मनोरंजन
कविताएं हमारे आसपास तैर रही हैं : गुलजार
मुंबई, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)| चाहे चांद का उदाहरण देते हुए अपना विचार जाहिर करना हो या कंक्रीट के जंगल में एक खिड़की को लेकर कहानियां गढ़नी हो, मशहूर गीतकार व कवि गुलजार (83) उन सबको एक काव्यात्मक स्वरूप में ले आते हैं। उनका कहना है कि कवि के दिमाग को कविता को रचनात्मक विचार के तौर पर उभार देने के लिए वास्तविकता से भली-भांति परिचित होना चाहिए।
पाकिस्तान के झेलम में जन्मे गुलजार का 1947 में देश विभाजन के बाद मुंबई के कंक्रीट के जंगल से परिचय हुआ।
शहर के जीवन के अपने अनुभव को उन्होंने फिल्म ‘घरौंदा’ (1977) के गीत ‘दो दीवाने शहर में’ उतारा।
उन्होंने लिखा, इन भूलभुलैया गलियों में, अपना भी घर होगा, अंबर पे खुलेगी खिड़की या, खिड़की पे खुला अंबर होगा।
उन्होंने यहां आईएएनएस को बताया, इस तरह की कल्पनाएं मुंबई शहर में मौजूदा दौर में भी काफी प्रासंगिक हैं, हैं न? दरअसल, आपको कविता लिखने के लिए कल्पना की तलाश करने को लेकर कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है..कल्पनाएं हमारे आसपास तैर रही हैं, बस इन पर नजर डालने की जरूरत है।
जहां तक गुलजार के हालिया काम की बात है, तो उन्होंने अल्बम ‘दिल पीर है’ के लिए आठ गीत लिखे हैं, जिसे मशहूर गायक व संगीतकार भूपिंदर सिंह ने अपनी धुनों से सजाया है। उनके मुताबिक, सिंह के साथ लंबे समय से उनके जुड़ाव की परिणति एक अच्छी साझेदारी के रूप में हुई।
दोनों ने साथ मिलकर ‘दो दीवाने शहर में’, ‘बीते ना बिताए रैना’ जैसे लोकप्रिय गीत दिए हैं।
गुलजार ने बताया कि भूपिंदर के साथ उन्होंने न सिर्फ फिल्मी गीतों पर काम किया है, बल्कि एल्बम के लिए भी काम किया है।
गीतकार ने कहा कि अक्सर वे सबसे पहले वह गाना लिखते हैं और फिर भूपिंदर उसे धुनों से सजाते हैं, लेकिन इस एल्बम के शीर्षक गीत की धुनों को उन्होंने खुद रचा और फिर गायक ने उन्हें धुन में सुनाया और इस तरह गीत के बोल पांच मिनट में तैयार हो गए।
उन्होंने आगे कहा, कभी-कभी ऐसा तुक्का काम कर जाता है।
‘दिल पीर है’ भूपिंदर और मिताली के संगीत लेबल भूमिताल म्यूजिक का पहला एल्बम है।
गुलजार अपनी आकर्षक आवाज में कविता सुनाने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने यहां तक कि अपने दो ऑडियोबुक ‘रंगीला गीदड़’ और ‘परवाज’ भी प्रकाशित किए हैं।
साहित्य अकादमी पुरस्कर से सम्मानित गुलजार ने अपनी कविता का पाठ खुद करने के अनुभव को साझा करते हुए बताया, मैं अपनी सभी कविताओं की मां हूं। वे मेरी कल्पनाओं से जन्मी हैं।
उन्होंने कहा कि कविताओं को सुनाते समय उससे जुड़ी भावना स्वभाविक रूप से आती है, यह सभी रचनात्मक लोगों के साथ होता है।
नेशनल
5.6 मिलियन फॉलोअर्स वाले एजाज खान को मिले महज 155 वोट, नोटा से भी रह गए काफी पीछे
मुंबई। टीवी एक्टर और पूर्व बिग बॉस कंटेस्टेंट एजाज खान इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। हालांकि जो परिणाम आए हैं उसकी उन्होंने सपने में भी उम्मीद नहीं की होगी। एजाज आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर वर्सोवा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन उन्होंने अभी तक केवल 155 वोट ही हासिल किए हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटा को भी 1298 वोट मिल चुके हैं। इस सीट से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हारून खान बढ़त बनाए हुए हैं जिन्हें अबतक करीब 65 हजार वोट मिल चुके हैं।
बता दें कि ये वहीं एजाज खान हैं जिनके सोशल मीडिया पर 5.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं। ऐसे में बड़ी ही हैरानी की बात है कि उनके इतने चाहने वाले होने के बावजूद भी 1000 वोट भी हासिल नहीं कर पाए। केवल 155 वोट के साथ उन्हें करारा झटका लगा है।
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