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कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ के लिए भारत की तरह आंध्र को बांटा : मोदी

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नई दिल्ली, 7 फरवरी (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में शोरगुल के बीच कहा कि कांग्रेस ने 1947 में राजनीतिक फायदे के लिए जिस तरह देश को बांटा वैसे ही आंध्र प्रदेश को विभाजित किया है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में मोदी ने कहा, यह आपका चरित्र है। आपने भारत को विभाजित किया। आजादी के 70 साल बाद भी 125 करोड़ भारत की जनता आपके बोए जहर के कारण जूझ रही है। एक भी दिन ऐसा नहीं जाता कि भारत के लोग आपके गुनाहों का दंड नहीं भुगतते।

मोदी सदन को कुछ सांसदों द्वारा आंध्र प्रदेश को वित्तीय पैकेज प्रदान करने की मांग को लेकर नारेबाजी के बीच संबोधित कर रहे थे। केंद्र सरकार ने कांग्रेसनीत संप्रग शासनकाल के अंत में तेलंगाना के आंध्र से अलग होने पर वित्तीय पैकेज देने का वादा किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने राजनीतिक फायदे के लिए दक्षिण राज्य को जल्दबाजी में विभाजित किया था।

मोदी ने कहा, जब भी हम नए राज्यों के गठन की बात करते हैं तो हम अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के तरीकों को याद करते हैं। उन्होंने दिखाया था कि कैसे दूरदर्शी फैसले अमल में लाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना में कोई सार ही नहीं है। वह यही कहते रहते हैं ‘हम जब सत्ता में थे..’।

उन्होंने कहा, यह वही पार्टी है जिसने भारत को विभाजित किया। दशकों से एक पार्टी ने अपनी सारी ताकत एक परिवार की सेवा में लगा दी। एक परिवार के हित को राष्ट्रहित से ऊपर रखा गया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा कहती रही है कि भारत को लोकतंत्र पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस की वजह से मिला है। उन्होंने पूछा, भारत के इतिहास को लेकर यही उनकी समझ है? यह कैसा घमंड है?

मोदी ने कहा कि भारत को लोकतंत्र नेहरू की वजह से नहीं मिला। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से कहा कि कृपया हमारे मूल्यवान इतिहास को देखिए जहां मूल्यवान लोकतांत्रिक परंपरा के कई महत्वपूर्ण उदाहरण हैं जो सदियों पुराने हैं।

उन्होंने कहा, इस राष्ट्र में लोकतंत्र अत्यावश्यक है और यह हमारी परंपरा में है।

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नेशनल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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