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किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं? सरसों को आगे बढ़ाएं

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भारतीय परिदृश्य में कृषि, आर्थिक और पोषकता के क्षेत्र में सरसों की महत्ता बहुत अधिक है। यह देश की सबसे महत्वपूर्ण शरदकालीन तिलहन फसल है। 2015-16 में लगभग 70 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की फसल को लगाया गया और इसका उत्पादन 68.2 लाख टन हुआ। इसके साथ ही 2016-17 के लिए उत्पादन अनुमान 79 लाख रखा गया। लाखों किसानों और उनके परिवार इससे अपनी जीविका चलाते हैं।

अगर अन्य तिलहन फसल पर विचार करें तो मूंगफली को केवल 6.39 लाख हेक्टेयर में लगाया गया है, जोकि सरसों फसल के क्षेत्रफल का केवल 10वां भाग है। अलसी (लिनसिड) को 4.01 लाख हेक्टेयर में, सूरजमुखी को 1.74 लाख हेक्टेयर में, तिल के बीज को 0.68 लाख हेक्टेयर में और साफ्फलावर को 0.62 लाख हेक्टेयर में लगाया गया है।

सरसों की महत्ता के कारण एक राष्ट्रीय सरसों नीति विकसित की जाए। चाहे वह कृषि सामग्री के तौर पर हो, या भोजन पकाने के तेल के तौर पर हो, चाहे पोषण के स्तर पर हो या फिर सामान्य स्वास्थ्य स्तर पर या विशेष स्तर पर हृदय संबंधी समस्या हो, इन सब में इसकी महत्ता है और हर स्तर पर इसे बढ़ावा देना चाहिए।

मौजूदा समय में, सरकार के पास सरसों को किसानों के लिए एक नकदी फसल के तौर पर आगे बढ़ाने के लिए केंद्रित नीति नहीं है। आदर्श रूप में इस तरह की नीति से सरसों की खेती के क्षेत्र में विस्तार होना चाहिए, सरसों तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी कर मांग-आपूर्ति के बीच अंतर में कमी होनी चाहिए।

प्रस्तावित नीति को नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीइएक्स) को किसानों के हित में बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इस वर्ष की शुरुआत में, वित्त मंत्रालय ने एक रूपरेखा को हरी झंडी दिखाई जो कृषि सामग्री विकल्पों की पेशकश करती है जिससे किसान कीमतों में प्रतिकूल बदलाव से खुद की रक्षा कर सकें और इसके खतरे को कम कर सकें। हालांकि, किसान खासकर सरसों के किसान आश्वासन के बावजूद न्यूनतम मूल्य और फसलों की लाभकारी कीमत प्राप्त नहीं कर सके हैं।

एक समग्र राष्ट्रीय सरसों नीति में इसके अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) प्रकारों (अगर ऐसा भविष्य में संभव हुआ तो) को लाने के लिए स्पष्ट नियम और दिशा निर्देश तैयार करने की जरूरत है।

(लेखक पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।)

 

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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