नेशनल
केसरी की महत्वाकांक्षा से गिरी थी गुजराल सरकार : प्रणव
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)| कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी ने वर्ष 1997 में संयुक्त मोर्चे की आई.के गुजराल सरकार से द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) को कैबिनेट से बाहर नहीं करने के फैसले के बाद समर्थन वापस ले लिया था लेकिन इसके पीछे प्रधानमंत्री बनने की उनकी अपनी महत्वाकांक्षा थी। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने नवीनतम किताब में इस बात का उल्लेख किया है। किताब के मुताबिक, कांग्रेस ने समर्थन वापस क्यों लिया? केसरी के बार-बार ‘मेरे पास समय नहीं है’ दोहराने का क्या मतलब था। कई कांग्रेस नेताओं ने उनके प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की ओर इशारा किया था।
मुखर्जी ने अपनी नवीनतम किताब ‘गठबंधन वर्ष-1996-2012’ में लिखा, उन्होंने भाजपा-विरोधी लहर का लाभ उठाना चाहा और गैर-भाजपा सरकार का प्रमुख बनकर अपनी महत्वाकांक्षा को पाने का प्रयास किया।
राजीव गांधी हत्याकांड की जांच के लिए स्थापित जैन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद संयुक्त मोर्चे की सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की गई थी।
जैन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट से इस बात का पता चला था कि डीएमके और इसका नेतृत्व लिट्टे नेता वी.प्रभाकरन को प्रोत्साहन देने में संलिप्त था। रिपोर्ट में हालांकि राजीव गांधी की हत्या के संबंध में डीएमके के किसी भी नेता या किसी भी पार्टी का सीधे नाम नहीं था। संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए यह काफी संकटपूर्ण स्थिति थी क्योंकि डीएमके सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। वहीं कांग्रेस सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।
मुखर्जी ने याद करते हुए किताब में उल्लेख किया है कि 1997 के शरद संसद सत्र में इस समस्या से निपटने के लिए काफी माथापच्ची की गई थी। गुजराल ने अपने अधिकारिक आवास पर केसरी, जितेंद्र प्रसाद, अर्जुन सिंह, शरद पवार और मुखर्जी जैसे नेताओं को रात्रि भोज पर बुलाया था।
गुजराल ने कहा कि ऐसे वक्त पर अगर डीएमके पर कार्रवाई की जाएगी तो इसका गलत संदेश जाएगा। सरकार अपने सहयोगी पार्टियों के दबाव में दिखेगी।
मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा, ‘गुजराल इस बात पर सहमत थे कि सरकार की विश्ववसनीयता पर आंच नहीं आनी चाहिए। हमने उनसे कहा कि हम इस मुद्दे को कांग्रेस वर्किं ग समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष रखेंगे जो अंतिम निर्णय लेगी।’
किताब के अनुसार बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता सरकार से तत्काल समर्थन वापस लेने के पक्ष में नहीं थे। इनमें से कई को डर था कि तत्काल चुनाव आने के बाद कई दोबारा सांसद नहीं बन पाएंगे। गुजराल भी शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और वामपंथियों के बीच ही लोकप्रिय थे।
उन्होंने लिखा, इन सब बातों के बीच कांग्रेस ने समर्थन वापस लेने और सीवीसी ने प्रधानमंत्री के डीएमके पर कार्रवाई न करने की स्थिति में समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
किताब के अनुसार ऊंचे इरादों वाले गुजराल डीएमके पर कार्रवाई न करने और कांग्रेस के इशारों पर नहीं नाचने के अपने रुख पर कायम रहे और सम्मान के साथ प्रधानमंत्री के पद से रूखसत हुए।
5 मार्च 1988 को सीताराम केसरी ने सीवीसी की बैठक बुलाई जिसमें जितेंद्र प्रसाद, शरद पवार और गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की पहल के लिए आग्रह किया। केसरी ने यह सुझाव ठुकरा दिया और मुखर्जी समेत अन्य नेताओं पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के आरोप लगाए। वह बाद में बैठक छोड़कर चले गए।
केसरी के जाने के बाद सीवीसी के सभी सदस्यों ने केसरी को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद संबंधी और सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने के संबंध में प्रस्ताव पारित किया।
अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन
डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।
डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।
बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।
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