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कैबिनेट को भारत-बांग्लादेश के बीच आईटी समझौते से अवगत कराया
नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्रिमंडल को बुधवार को एक द्विपक्षीय समझौते से अवगत कराया गया, जिसका मकसद भारत तथा बांग्लादेश के बीच सूचना एवं प्रौद्योगिकी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में सबंधों को प्रगाढ़ करना तथा बांग्लादेश में निवेश के अवसरों की तलाश करना है। मंत्रिमंडल को दोनों देशों के बीच अप्रैल में हुए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) से अवगत कराया गया, जिस पर हस्ताक्षर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे के दौरान किया गया था।
समझौता ज्ञापन मूलत: ई-गवर्नेस, एम-गवर्नेस, ई-पब्लिक सर्विसेज डिलीवरी, साइबर सुरक्षा तथा क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग पर ध्यान केंद्रित (फोकस) करता है।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इसका उद्देश्य भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा बांग्लादेश में व्यापार मौके की तलाश, सूचना एवं प्रौद्योगिकी व इलेक्ट्रॉनिक बाजार की तलाश करना तथा भारत में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना है, जो परोक्ष तौर पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
समझौता पांच वर्षो तक प्रभावी रहेगा। जिसके बाद दोनों देशों की परस्पर लिखित सहमति से इसे किसी भी वक्त विस्तारित किया जा सकता है। इसे दोनों में से कोई भी पक्ष लिखित तौर पर छह महीने का पूर्व नोटिस देने के बाद तोड़ सकता है।
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ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब वे नहीं जीते तो मतलब ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और जब चुनाव जीत गए तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने बताया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में चिंता जताई थी तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हार गए, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी और जब वे जीते, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने जब कहा कि सभी जानते हैं कि चुनावों में पैसे बांटे जाते हैं, तो पीठ ने टिप्पणी की, “हमें कभी किसी चुनाव के लिए पैसे नहीं मिले।” याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका में एक और अनुरोध चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने और यह सुनिश्चित करने का था कि इस तरह की प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हों। याचिका में जागरूकता बढ़ाने और सूचित निर्णय लेने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा, आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग मतदान नहीं कर रहे हैं। यह कितनी त्रासदी है। आने वाले वर्षों में क्या होगा यदि लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहा और हम कुछ नहीं कर पाए।
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