खेल-कूद
क्रिकेट : विराट ने संभाली बागडोर, देश ने देखा स्वर्णिम घरेलू सत्र (सिंहावलोकन-2017)
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारतीय क्रिकेट के लिए साल 2017 एक ऐसा साल रहा है जहां उसने वो मुकाम हासिल किया जिसे पाने का सपना हर टीम देखती है। साल का अंत होने तक टीम ने विश्व क्रिकेट में अपनी बादशाहत को और मजबूत किया।
हालांकि, भारत ने अधिकतर क्रिकेट अपने घर में खेली, लेकिन जो हासिल किया वो घर में स्वर्णिम काल से कम नहीं है। एक भी द्विपक्षीय सीरीज में हार नहीं मिली, टेस्ट में कोई भारत को मात नहीं दे पाया, टी-20 में टीम ने अपने वर्चस्व को और मजबूत किया, जो टीम सामने आई उसे हार मिली।
साल की शुरुआत वैसी नहीं रही थी, जैसा अंत रहा। मैदान से बाहर भारत ने काफी कुछ देखा। दो जनवरी को ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की बागडोर सर्वोच्च अदालत ने अनुराग ठाकुर के हाथों से छीन ली। ठाकुर के साथ अजय शिर्के भी सचिव पद से हटा दिए गए। लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर अमल में चूक के चलते बीसीसीआई को काफी कुछ झेलना पड़ा।
इस बीच मैदान के अंदर भी काफी कुछ हुआ। देश को दो विश्व कप दिलाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने वनडे और टी-20 की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया। देश ने जिस शख्स को सिर्फ और सिर्फ कप्तान के रूप में देखा वो स्वेच्छा से अपना पद एक युवा और धाकड़ बल्लेबाज विराट कोहली को देने को तैयार हो गया।
टेस्ट कप्तान कोहली ने इस बागडोर को सीमित ओवरों में बखूबी संभाला और पहली सीरीज में इंग्लैंड को मात दी। इंग्लैंड को वनडे और टी-20 में शिकस्त देने के बाद भारत ने टेस्ट में अपने विजय क्रम को बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए एकमात्र टेस्ट में भी जारी रखा।
आस्ट्रेलिया के रूप में उसके लिए ऐसी चुनौती खड़ी थी जो बेहद मुश्किल थी। आस्ट्रेलिया ने पुणे में खेले गए पहले मैच को जीतकर बता दिया कि भारत उसे किसी भी कीमत में हल्के में नहीं ले सकता। एक मुश्किल पिच पर रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा के सामने आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीवन स्मिथ शतकीय पारी खेल मैच अपने नाम कर ले गए।
लेकिन, भारत ने यहां हार नहीं मानी और फिर शानदार वापसी करते हुए चार टेस्ट मैचों की सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया।
बेहतरीन फॉर्म के साथ भारतीय टीम इंग्लैंड की जमीन पर चैम्पियंस ट्रॉफी खेलने पहुंची। भारत इस टूर्नामेंट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उम्मीद के मुताबिक उसने प्रदर्शन भी किया और फाइनल में जगह बनाई, लेकिन फिर वो हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था। फाइनल भारत और पाकिस्तान जैसे दो चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वियों के बीच था। पाकिस्तान ने इस मैच में भारत को एकतरफा मात दी और पहली बार आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में भारत को हराया और पहली बार चैम्पियंस ट्रॉफी पर कब्जा जमाया।
मैदान पर टीम की हार से मायूस प्रशंसकों को इसी दौरान एक और झटका लगा। टीम के मुख्य कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच मनमुटाव की खबरों ने बाजार गर्म किया। इस विवाद पर कुंबले ने अपना इस्तीफा देकर मुहर लगाई जिसमें उन्होंने कोहली के साथ मनमुटाव की बातों को सरेआम कबूला।
इंग्लैंड से टीम बिना मुख्य कोच के वेस्टइंडीज पहुंची। जहां वनडे सीरीज में उसने मेजबानों को 3-1 से हराया, लेकिन इकलौते टी-20 में हार गई।
घर लौटते ही कोच का मुद्दा फिर गरमाया और टीम के पूर्व निदेशक रहे रवि शास्त्री ने मुख्य कोच पद के लिए आवेदन दाखिल किया। पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग भी इस रेस में शामिल हुए, लेकिन कोहली के पसंदीदा शास्त्री को कोच पद का कार्यभार मिला। विवाद सिर्फ यहीं खत्म नहीं हुआ। कोच चुनने वाली सीएसी ने जहीर खान और राहुल द्रविड़ को टीम के गेंदबाजी और बल्लेबाजी सलाहकार के तौर पर चुना। लेकिन मुख्य कोच शास्त्री, भरत अरुण को गेंदबाजी कोच के रूप में चाहते थे, अंतत: उन्हीं की सुनी गई और अरुण ड्रेसिंग रूम पहुंच गए।
शास्त्री का कोच के तौर पर पहला दौरा श्रीलंका का था। भारत ने श्रीलंका को उसी के घर में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 3-0 से मात दी। इसके बाद वनडे सीरीज में भी भारत ने श्रीलंका को 5-0 और एक मात्र टी-20 में भी मात दी।
श्रीलंका से लौटने के बाद भारत ने एक बार फिर आस्ट्रेलिया की मेजबानी की और उसे सीमित ओवरों में करारी शिकस्त दी। वनडे सीरीज पर भारत ने 4-1 से कब्जा जमाया। इस वनडे सीरीज में कोलकाता में खेल गए मैच में कुलदीप यादव ने हैट्रिक ली। वह वनडे में भारत के लिए हैट्रिक लगाने वाले तीसरे गेंदबाज बने। उनसे पहले, चेतन शर्मा और कपिल देव ने वनडे में भारत के लिए हैट्रिक ली थी। भारत ने वनडे के बाद आस्ट्रेलिया को टी-20 में भी मात दी।
आस्ट्रेलिया की मेजबानी के बाद भारत ने तीन टी-20 और तीन वनडे मैचों की सीरीज के लिए न्यूजीलैंड की मेजबानी की और खेल के दोनों प्रारूप में उसे शिकस्त दी। इस टी-20 सीरीज के दिल्ली में खेले गए पहले मैच में तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने अतंर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
तकरीबन तीन महीने बाद भारत और श्रीलंका के बीच फिर तीनों प्रारूप में सीरीज खेली गई, लेकिन इस बार मेजबान भारत था। भारत ने अपने घर में श्रीलंका को तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 से धूल चटाई। भारत की यह लगातार नौवीं टेस्ट सीरीज जीत थी और इसी के साथ उसने आस्ट्रेलिया के लगातार सबसे ज्यादा टेस्ट सीरीज जीतने के रिकार्ड की बराबरी कर ली।
भारत का विजय क्रम यहीं नहीं रुका। उसने श्रीलंका को वनडे सीरीज में 2-1 और टी-20 में 3-0 से मात देते हुए साल का अंत द्विपक्षीय सीरीज में अपारिजत रहते हुए किया।
भारत ने साल का अंत टेस्ट में पहले स्थान तथा टी-20 और वनडे में दूसरे स्थान के साथ किया।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भारत ने इस साल जो प्रदर्शन किया और अपनी बादशाहत का लोहा मनवाया उसे देखते हुए भारत से अगले साल भी इसी प्रदर्शन की उम्मीद होगी। हालांकि, अगले साल उसे अधिकतर क्रिकेट घर से बाहर खेलनी है, जो इस युवा और संतुलित मानी जाने वाली टीम की अब तक की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
खेल-कूद
IPL Auction: 13 साल के वैभव सूर्यवंशी ने रचा इतिहास, बन गए सबसे युवा करोड़पति
पटना। बिहार के वैभव सूर्यवंशी ने महज 13 साल की उम्र में इतिहास रच दिया है। वैभव को आईपीएल मेगा नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने 1.1 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। 13 साल 243 दिन की उम्र में वैभव आईपीएल के इतिहास में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स उन्हें अपने साथ जोड़ने में दिलचस्पी दिखाई। राजस्थान ने 1.1 करोड़ रुपये में अपने साथ जोड़ा।
वैभव ने हाल ही में सबका ध्यान अपनी ओर खींचा जब वह अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज (13 वर्ष, 288 दिन) बने। उन्होंने चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ भारत अंडर-19 के लिए खेले गए यूथ टेस्ट में 62 गेंदों पर 104 रन बनाए। बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने 58 गेंदों पर शतक बनाया। यह किसी भारतीय का सबसे तेज यूथ टेस्ट शतक और दुनिया में दूसरा सबसे तेज शतक था।
वैभव एक बेहतरीन खिलाड़ी है और उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 आईपीएल में वह जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे। वैभव की बात करें तो वह बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं। महज 13 साल के बेटे के करोड़पति बनने के बाद उनके पिता भावुक नजर आ रहे हैं।
एक मीडिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने कहा कि अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया। अपनी खेती तक की जमीन बेच दी ताकि वैभव क्रिकेट खेल सके और अपना करियर बना सके। वैभव के बारे में बात करते हुए पिता ने बताया कि उसे हमेशा से क्रिकेट में रूचि थी और वह महज 5 साल का था, तब से क्रिकेट खेल रहा है। वैभव को उनके पिता ने ही घर में नेट प्रैक्टिस करवाई, जिसके बागद समस्तीपुर क्रिकेट एकेडमी भेजा। उनके पिता ने बेटे की कामयाबी के लिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी का भी शुक्रिया किया।
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