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खराब स्तर, अनुभव की कमी के कारण पीछे हैं भारतीय फुटबाल रेफरी

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कोलकाता, 12 जून (आईएएनएस)| खराब स्तर और अनुभव हासिल करने के लिए मिले अवसरों की कमी के कारण भारत में रेफरियों का स्तर नीचे है और इसी कारण देश के रेफरी विश्व कप में जगह नहीं बना पा रहे हैं।

यह कहना है कोमालेश्वरम शंकर का, जिन्होंने 2002 विश्व कप में खेले गए तीन मैचों में सहायक रेफरी का काम किया था।

शंकर ने आईएएनएस को फोन पर दिए बयान में कहा, हमारे पास अच्छे रेफरी हैं और देश में रेफरींग सही दिशा में जा रही है। हालांकि, आधुनिक समय में रेफरींग अधिक वैज्ञानिक हो गई है और इसमें आपके पास अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों का अनुभव होना जरूरी है। इसके बिना आप विश्व कप के मैचों में आधिकारिक रेफरी का अवसर हासिल नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा, हमें भारतीय रेफरियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का अनुभव हासिल करने के लिए अधिक अवसर देने की जरूरत है। उन्हें नियमित रूप से उच्च स्तरीय कोंटिनेंटल मैचों का कार्यभार देना चाहिए। मेरा मानना है कि हम उस स्तर पर जल्द ही पहुंच सकते हैं। हमारे पास बस अनुभव हासिल करने के लिए मिले अवसरों की कमी है।

शंकर देश के एकमात्र ऐसे रेफरी हैं, जिन्होंने विश्व कप में आधिकारिक रूप से रेफरी का कार्यभार संभाला है। चेन्नई के निवासी शंकर ने साल 2002 में जापान और दक्षिण कोरिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विश्व कप के तीन मैचों में सहायक रेफरी का काम किया था।

शंकर का मानना है कि भारतीय रेफरियों की सफलता के लिए उन्हें हर ओर से समर्थन मिलना जरूरी है।

अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) को आशा है कि कतर में 2022 में होने वाले विश्व कप में देश से एक रेफरी जरूर शामिल होगा। हालांकि, इसके लिए चयन प्रक्रिया में सफल हो पाना आसान नहीं होगा।

एआईएफएफ में रेफरी प्रमुख कर्नल गौतम कार का कहना है कि विश्व कप में भारत के पुरुष रेफरियों के शामिल न होने के पीछे बहुत कारण हैं। ऐसे में 2022 विश्व कप में भारतीय रेफरियों को शामिल करने के क्रम में एआईएफएफ तैयारी कर रहा है और इसी के तहत रेफरियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

अगले साल तक फीफा 2022 विश्व कप के लिए रेफरियों की संभावित सूची की घोषणा कर सकता है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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