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गणतंत्र दिवस विशेष: भारतीय सेना की इन रेजीमेंट्स से खौफ खाता है पाकिस्तान
नई दिल्ली। आज देश अपना 69 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। हर देशवासी के लिए ये सम्मान का दिन है लेकिन हम आज जो गणतंत्र दिवस मना रहे हैं, स्वतंत्र होने की एहसास कर रहे हैं वो कहीं न कहीं हमें कुछ लोगों की कुर्बानी से हासिल हुई है। देश की सेवा में हमारे वीर सैनिक अपनी जान देकर देश की रक्षा करते हैं। हमारी आज़ादी और निश्चितता से रहने के लिए वो अपने आज को कुर्बान कर देते हैं। वो रात-दिन सरहद पर तैनात रहते हैं ताकि हम अच्छी नींद सो सकें।
हम सभी भारतीय सेना की विशिष्ठता से परिचित हैं, जिसके शौर्य और पराक्रम पर हर देशवासी को नाज है। सही मायनों में कहा जाए तो हमें सबसे ज्यादा भरोसा किसी पर है तो वो हमारी सेना ही है। भारतीय सेना आज़ादी से पहले और बाद के मौकों पर अपनी शौर्यता का परिचय देती आई है।
आज हम आपको भारतीय सेना की 13 मुख्य रेजिमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम सुनते ही दुश्मन थर-थर कांपने लगते हैं। इन सभी रेजीमेंट्स ने भारत की आन, बान और शान को बनाए रखने के लिए समय-समय पर अपनी जान हंसते हुए न्योछावर कर दी है।
इन रेजीमेंट में भारत बसता है। जो अपनी देश की मिट्टी के लिए शहीद होने से नहीं जरा भी पीछे नहीं हटते। अब तक भारत ने जितने भी युद्ध देखे हैं, उन सभी में इन रेजीमेंट्स ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। इनका लक्ष्य अपने तिरंगे को लहराते हुए ही देखना है।
ये हैं वो रेजीमेंट्स
1. पंजाब रेजीमेंट
पंजाब रेजीमेंट भारत के सबसे पुराने फौजी रेजीमेंट में से है। भारत-पाक बंटवारे के समय पंजाब रेजीमेंट का भी बंटवारा हुआ। जिसका पहला हिस्सा पाकिस्तान को मिला, तो दूसरी बटालियन भारत को। पंजाब रेजीमेंट विदेशों में शांति कार्यक्रमों में काफी सक्रिय रही। लोगेंवाला की लड़ाई में पंजाब रेजीमेंट का जौहर हम सभी देख चुके हैं, जिसने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी। हालांकि ऑपरेशन ब्लूस्टार के समय बगावत की वजह से 122 अधिकारियों का कोर्टमार्शल होना भारतीय सेना के इतिहास की सबसे बड़ी घटना भी पंजाब रेजीमेंट में हुई।
2. पैराशूट रेजीमेंट
पैराशूट रेजीमेंट की स्थापना आजादी से पहले 29 अक्टूबर 1941 को हुई थी। मौजूदा समय में लेफ्टिनेंट जनरल एनकेएस घई इस रेजीमेंट के प्रमुख है। ये रेजीमेंट देश के सभी सैन्य बलों को हवाई मदद पहुंचाता है। सन 1999 में कारगिल युद्ध के समय 10 में से 9 पैरासूट बटालियन की तैनाती ऑपरेशन विजय के लिए हुई। कारगिल युद्ध में पैराशूट बटालियन 6 और 7 ने मुश्कोह घाटी को फतह किया, वहीं पैरासूट बटालिन 5 ने बाटालिक प्वाइंट पर फतह हासिल की।
3. राजपूत रेजीमेंट
सर्वत्र विजय की लाइन के साथ राजपूत रेजीमेंट देश की सेवा करती है। सन 1778 में अंग्रेजों ने राजपूर रेजीमेंट को बनाया था। तमाम सैन्य पुरस्कार राजपूर रेजीमेंट के नाम हैं। राजपूत रेजीमेंट दोनों विश्वयुद्धों में अंग्रेजों के लिए जौहर दिखाया, तो भारत-पाक बंटवारे के तुरंत बाद पाकिस्तान से लोहा लिया। भारत-चीन युद्ध में भी राजपूत रेजीमेंट ने अदम्य साहत का परिचय दिया, तो 1965 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को नाकों चने चबवा दिए। 1971 में पाकिस्तानी सैनिक राजपूत रेजीमेंट के नाम से भय खाते थे तो कारगिल युद्ध के समय राजपूत रेजीमेंट ने तोलोइंग जैसे सबसे महत्वपूर् प्वाइंट पर कब्जा किया। अमर शहीद वियजंत थापर राजपूत रेजीमेंट में थे।
4. मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट
भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद भारतीय सेना को मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्टी रेजीमेंट की शिद्दत से जरूरत महसूस हुई। उसके बाद लंबे समय तक चली प्रक्रिया के फलस्वरूप 1979 में मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट की स्थापना हुई। मैकेनाइज्ड इन्फ्रेन्ट्री रेजीमेंट अबतक ऑपरेशन पवन के तहत श्रीलंका, ऑपरेशन रक्षक के तहत पंजाब और जम्मू-कश्मीर, ऑपरेशन विजय के तहत जम्मू-कश्मीर में अपना जौहर दिखा चुकी है, तो संयुक्त राष्ट्र शांति कार्यक्रमों में सोमालिया, कांगो, एंगोला और सिएरा लियोन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है।
5. मद्रास रेजीमेंट
मद्रास रेजीमेंट भी भारतीय सेना के सबसे पुराने रेजीमेंट में से एक है। 1750 के दशक में अंग्रेजों ने इस रेजीमेंट की स्थापना की थी, जिसके नाम तमाम उपलब्धियां हैं। इस रेजीमेंट में 23 बटालियन हैं।
6. जाट रेजीमेंट
अंग्रेजों द्वारा 1795 में जाट रेजीमेंट की स्थापना की। जाट रेजीमेंट को अपनी बहादुरी के लिए कई युद्ध सम्मान, 2 विक्टोरिया क्रॉस, 2 अशोक चक्र, 8 महावीर चक्र, 8 कीर्ति चक्र, 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना मिल चुके हैं।
7. सिख रेजीमेंट
अंग्रेजों ने सिख रेजीमेंट की स्थापना 1 अगस्त 1846 में की थी। सिख रेजीमेंट में 19 बटालियन हैं, जो ‘निश्चय कर अपनी जीत करो’ के नारे के साथ आगे बढ़ते हैं। ब्रिटिश भारत के दौरान तमाम महत्वपूर्ण मोर्टों पर सिख रेजीमेंट ने फतह हासिल किया। और स्वतंत्रता के बाद देश के लिए हर लड़ाई में मोर्चा लिया। सिख रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय टाइगर हिल पर कब्जा किया।
8. डोगरा रेजीमेंट
अंग्रेजों ने सन 1877 में डोगरा रेजीमेंट की स्थापना की थी। डोगरा रेजीमेंट ने पाकिस्तान के दांत बार-बार खट्टे किए। डोगरा रेजीमेंट को देश के सबसे खतरनाक रेजीमेंट में गिना जाता है।
9. कुमायूं रेजीमेंट
अंग्रेजों ने सन 1813 कुमायूं रेजीमेंट की स्थापना की थी। कुमायूं रेजीमेंट अबतक 2 परम वीर चक्र, 4 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 6 कीर्ति चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। कुमायूं रेजीमेंट ने तमाम युद्धों में अपना जौहर दिखाया। कुमायूं रेजीमेंट ही दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन ग्लेशियर में तैनात है।
10. असम रेजीमेंट
असम रेजीमेंट की स्थापना 15 जून 1941 को हुई थी। असम रेजीमेंट में विशेष तौर पर नॉर्थ-ईस्ट से सिपाहियों की भर्ती होती है। असम रेजीमेंट ने चीन हमले के साथ ही बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी हिस्सा लिया था।
11. बिहार रेजीमेंट
बिहार रेजीमेंट की स्थापना 1941 में हुई थी। बिहार रेजीमेंट ने आजादी से पहले बर्मा युद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध में हिस्सा लिया, तो सभी भारत-पाक युद्धों में हिस्सा लिया। बिहार रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध में भी दुश्मनों के दांत खट्टे किए। बिहार रेजीमेंट के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने मुंबई हमलों के समय शहादत दी।
12. महार रेजीमेंट
महार रेजीमेंट की स्थापना भी सन 1941 में हुई थी। महार रेजीमेंट को 1 परमवीर चक्र, 4 महावीर चक्र समेत तमाम पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। महार रेजीमेंट में देश के सभी कोने से सिपाहियों की भर्ती की जाती है।
13. नगा रेजीमेंट
नगा रेजीमेंट देश का सबसे नया रेजीमेंट है। इसकी स्थापना 1970 में हुई। नगा रेजीमेंट ने अपनी स्थापना के तुरंत बाद बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लिया। नगा रेजीमेंट ने कारगिल युद्ध के समय द्रास सेक्टर में कमान संभाली। नगा रेजीमेंट को तमाम युद्ध सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
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बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर कर्नाटक में FIR दर्ज, फेक न्यूज फैलाने का है आरोप
बेंगलुरु। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर कर्नाटक में एफआईआर दर्ज हुई है। तेजस्वी पर एक किसान की आत्महत्या के मामले को वक्फ बोर्ड के साथ भूमि विवाद से जोड़कर फर्जी खबर फैलाने का आरोप है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसान की आत्महत्या का कारण कर्ज और फसल खराबी था, न कि जमीन का विवाद। इस मामले ने कर्नाटक में राजनीति को गरमा दिया है।
हावेरी जिले के पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में बताया कि किसान की मौत जनवरी 2022 में हुई थी। उन्होंने कहा कि किसान ने आत्महत्या की वजह कर्ज और फसल नुकसान बताया गया था। पुलिस ने मामले की जांच पूरी करके रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी थी। सूर्या की पोस्ट के बाद इस घटना को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई, और सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गईं।
कन्नड़ न्यूज पोर्टल के संपादकों पर भी FIR दर्ज
इस मामले में केवल तेजस्वी सूर्या ही नहीं, बल्कि दो कन्नड़ न्यूज़ पोर्टल के संपादकों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। इन पोर्टल्स ने एक हेडलाइन में दावा किया कि किसान की आत्महत्या वक्फ बोर्ड के भूमि विवाद से जुड़ी थी। पुलिस का कहना है कि इस प्रकार की गलत जानकारी किसानों में तनाव फैला सकती है और इसीलिए मामला दर्ज किया गया है।
वहीँ एफआईआर दर्ज होने के बाद तेजस्वी सूर्या ने इसपर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हाल ही में वक्फ भूमि के नोटिसों ने किसानों के बीच चिंता बढ़ाई है, जिसके चलते उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट पर विश्वास किया।
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