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लाइफ स्टाइल

घटने लगा है पतंगबाजी का शौक

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Kite Flying

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रायपुर। किसी जमाने में गर्मियों की छुट्टियां शुरू होते ही शाम को आसमान रंग-बिरंगे पतंगों से सजे होते थे, लेकिन अब पतंगबाजी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। शाम होते ही छत और खुले मैदानों में बच्चों की धमा-चकौड़ी भी अपेक्षाकृत कम हो चली है। लिहाजा, अब आसमान में देसी ‘भर्रा’ और ‘नागिन’ की झलक दिखाई नहीं दे रही है। छत्तीसगढ़ की राजधानी के कुछ व्यापारियों ने पतंग का व्यापार पहले के मुकाबले कुछ कम आंका तो कई व्यापारियों का कहना है कि मौसम की आंख मिचौली के चलते भी व्यवसाय प्रभावित हुआ है, लेकिन पतंगों की मांग अब भी बनी हुई है। यहां कोलकाता, इलाहाबाद, दिल्ली, कानपुर और बरेली से पतंगों की आवक हो रही है।

मनीष गौतम के अनुसार, पतंगबाजी में कमी का कारण वीडियो गेम, कम्प्यूटर और मोबाइल की लोकप्रियता है। राजधानी में बढ़ती गर्मी की तपिश और पर्याप्त जगह के अभाव भी इसके कारण हो सकते हैं। फिटनेस एक्सपर्ट अजय सिंह ने पतंगबाजी को खेल के साथ-साथ जीवनोपयोगी भी बताया है। लेकिन कालांतर में वीडियो गेम्स, मोबाइल के साथ ही अन्य टेक्नॉलॉजी के आज बहुतायत प्रयोग के चलते उन्होंने धीरे-धीरे इस खेल के खत्म होने पर चिंता जताई है।

वर्षों से पतंग बेच रहे राजधानी के व्यापारियों ने भी बताया कि पतंग उड़ाने वालों की संख्या अब सिमटती जा रही है। राजधानी में पतंग बेचने वाले कई व्यापारियों का कहना है कि पहले मार्च महीने से ही पतंग की बिक्री जोर पकड़ लेती थी, लेकिन अब मई-जून तक महीने खाली-खाली गुजर जाते हैं। लगातार घटती जा रही पतंग उड़ाने वालों की संख्या से इस परंपरागत खेल के लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
कुछ व्यापारियों ने हालांकि पतंगबाजी हर मौसम में होने की बात कही। श्याम टॉकीज के पास स्थित मोती पतंग भंडार के पार्टनर हरिकिशन चावड़ा ने बताया कि मोती पतंग भंडार के मालिक शांतिलालजी गोलछा पिछले 50 वर्षों से पतंग व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। अब मोतीलाल गोलछा इसका संचालन करते हैं।

चावड़ा ने बताया कि उनके यहां दो रुपये से लेकर 1,000 रुपये तक के पतंग उपलब्ध हैं। कागज, झिल्ली के पतंगों के साथ ही कपड़ों के पतंगों की मांग भी प्रदेश में बनी हुई है। उन्होंने पतंगों के कारोबार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि उनका व्यवसाय सालभर चलता रहता है। बस बरसात के समय तीन महीने प्रभावित रहता है। पतंगबाजी में कमी को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा बहुत अधिक नहीं हुआ है। आज भी लोग पतंग उड़ाते हैं, लेकिन अब गर्मियों में पतंग उड़ाना कम हो गया है।

पहले दशहरा में पतंग उड़ाने का चलन था, अब मकर सक्रांति में पतंग की ज्यादा मांग होने लगी है। उन्होंने बताया कि उनके पास फैंसी पतंगों में कार्टून प्रिंट वाले- टॉम एंड जेरी, कार्टून प्रिंट, मोटू पतलू, छोटा भीम, स्पाइडर मैन, चील एवं फैंसी पतंग, चाईना पतंग की ढेरों वेरायटी उपलब्ध हैं। चावड़ा ने बताया कि उनके पास बरेली के मांजा की खासी मांग है। इसके साथ-साथ पांडा मांजा, चाइना मांजा भी दो रुपये से लेकर 1000 रुपये तक में उपलब्ध हैं।

पिछले 40 वर्षों से पतंगों का व्यवसाय कर रहे संजय पतंग भंडार के संजय कसार ने बताया कि नागिन पतंगें अब बिल्कुल नहीं आ रही हैं। पिछले दो-तीन सालों से पतंगों के कारोबार में काफी गिरावट आई है। उनका कहना था कि जनवरी में मकर संक्रांति और दशहरे के समय पतंगों की मांग बनी रहती है, लेकिन गर्मियों में अब पतंगबाजी कम हो चली है। कसार ने बताया कि चाइना पतंग, फैंसी पतंगों के साथ ही कार्टून प्रिंट वाली पतंग दिल्ली, कोलकाता जैसे शहरों से मंगाते हैं। अब रेडीमेड पतंगों का ही चलन बढ़ा है। कपड़ा वाले पतंग भी 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में उपलब्ध हैं।

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लाइफ स्टाइल

दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देता है जंक फूड, इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज  

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Junk food invites heart related diseases, avoid these foods

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नई दिल्ली। अनियमित लाइफ स्टाइल व तला भुना जंक फूड दिल से जुड़ी बीमारियों की मुख्य वजह बन गया है। स्टडीज़ के अनुसार, अगर आप अपने दिल की सेहत में सुधार करना चाहते हैं, तो इन 4 तरह के खाने से दूरी बना लें।

तला हुआ खाना

कई शोध से पता चला है कि सैचुरेटेड फैट्स शरीर में बैड कोलेस्ट्ऱॉल की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। रेड मीट, फ्रेंच फ्राइज़, सैंडविच, बर्गर आदि जैसे फूड्स LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे स्ट्रोक और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है।

चीनी युक्त सोडा या फिर केक

चीनी को मीठा ज़हर ही कहा जाता है। केक, मफिन, कुकीज़ और मीठी ड्रिंक्स शरीर में सूजन का कारण बनते हैं। चीनी का ज़्यादा सेवन शरीर में फैट्स बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।

लाल मांस

रेड मीट सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है, जिसकी वजह से धमनियों में प्लाक जम सकता है। जिनको मटन खाने का शौक है, उन्हें वह हिस्सा खाना चाहिए जिसमें ज़्यादा प्रोटीन और कम फैट हो। अगर आप चिकन खा रहे हैं तो ब्रेस्ट, विंग्ज़ वाला हिस्सा में ज़्यादा प्रोटीन होता है और कम फैट। वहीं, मछली सबसे हेल्दी और अच्छा ऑप्शन है।

सफेद चावल, ब्रेड या फिर पास्ता

सफेद ब्रेड, मैदे, चीनी और प्रोसेस्ड तेल को मिलाकर तैयार किए जाने वाले फूड्स में किसी भी तरह का फायदा नहीं होता। ऐसा ही सफेद पास्ता के साथ भी है। सफेद चावल में फाइबर की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल की सेहत के लिए इसका ज़्यादा सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

 

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