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जयललिता के आवास पर छापे के लिए शशिकला का परिवार जिम्मेवार

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चेन्नई, 18 नवंबर (आईएएनएस)| तमिलनाडु के मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार ने शनिवार को जेल में बंद अन्नाद्रमुक नेता वी. के. शशिकला और उनके परिवार पर पूर्व मुख्यमंत्री दिवगंत जयललिता के आवास पर शुक्रवार रात को आयकर विभाग (आईटी) के छापे को जिम्मेवार ठहराया है। जयललिता की भतीजी जे. दीपा ने इस छापे को शशिकला परिवार की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि आईटी अधिकारियों ने छापे के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं दी। दीपा जयललिता की वैध उत्तराधिकारी हैं।

संवाददाताओं से बात करते हुए मंत्री जयकुमार ने यहां कहां कि जयललिता के घर पर आईटी के छापे ‘पीड़ादायक’ हैं।

जयकुमार ने कहा, इस आईटी छापे के लिए शशिकला का परिवार और टी.टी.वी. दीनाकरन जिम्मेवार हैं।

जयकुमार ने कहा कि दीनाकरन मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम को राजनीतिक फायदे के लिए दोषी ठहरा रहे हैं।

तुतीकोरेन में मीडिया को जवाब देते हुए राज्य के वित्त और शिपिंग मंत्री पोन राधाकृष्णन ने कहा, यह छापे विशिष्ट जानकारी के आधार पर मारे गए हैं और इनका राजनीतिक प्रतिशोध से कोई लेना-देना नहीं है। तुतीकोरेन चेन्नई से 600 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, आईटी अधिकारियों ने शुक्रवार रात जयललिता के आवास पर शशिकला द्वारा प्रयोग किए गए कमरे से एक लैपटॉप, एक डेस्कटॉप और चार पेनड्राइव बरामद की है।

नाम न छापने की शर्त पर आईटी अधिकारी ने आईएएनएस ने शुक्रवार को बताया था, हमें जानकारी मिली थी कि वेदा निलायम (जयललिता का आवास) में शशिकला द्वारा उपयोग किए गए दो कमरों में से कुछ विद्युत भंडारण उपकरणों को गुप्त तरीके से हटाया गया है।

उनके मुताबिक, यह एक सीमित अभियान था। हमने उनके पूरे परिसर की जांच नहीं की।

यह छापा आईटी अधिकारियों द्वारा शशिकला के परिजनों और उनके व्यापार सहयोगियों के घरों और परिसर में बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाने के कुछ दिनों मारा गया है। आईटी ने शशिकला के परिजनों और सहयोगियों पर 1,430 करोड़ रुपये के कर चोरी का पता लगाया है।

जयललिता के आवास पर शुक्रवार को 21 साल बाद छापा मारा गया है।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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