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जेटली के बयान पर भड़का विपक्ष, राज्यसभा की कार्यवाही बाधित

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नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)| राज्यसभा में बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा विपक्ष को लेकर दिए गए बयान पर विपक्ष भड़क उठा, जिसके चलते प्रश्न काल और शून्य काल के दौरान सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। जेटली ने विपक्ष पर शून्य काल को टेलीविजन पर प्रचार पाने का अवसर बनाने का आरोप लगाया था।

जेटली के इस बयान का विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीखा विरोध किया और जेटली के बयान को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की।

विपक्ष के कई सदस्यों ने नियम 267 के तहत नोटिस जारी कर और ‘प्वाइंट ऑफ ऑर्डर’ उठाते हुए जेटली से सरकार के उस कथित फैसले के बारे में पूछा, जिसके अनुसार, सरकार 2,000 रुपये के नए नोट बंद कर फिर से 1,000 रुपये के नोट छापने और बड़ी मुद्रा के सिक्के ढालने की योजना बना रही है।

जेटली ने हालांकि सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया, जबकि नियम 267 के तहत उठाए गए प्वाइंट ऑफ ऑर्डर और नोटिस को सभापति ने खारिज कर दिया।

जेटली ने इससे पहले कहा था, सभापति को उस सिद्धांत का पालन करना चाहिए कि आप शून्यकाल की कार्यवाही को टेलीविजन पर प्रचार पाने के उद्देश्य वाला नहीं बना सकते।

जेटली ने मांग की कि कांग्रेस सदस्य आनंद शर्मा द्वारा राज्यसभा में दिए गए भाषण को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए, क्योंकि उनके भाषण में उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों का जिक्र है।

जेटली से ठीक पहले दिए अपने भाषण में शर्मा ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे राष्ट्रीय गरिमा के प्रतीकों का महत्व कमतर करने की कोशिश कर रही है।

शर्मा ने कहा, देश के लिए बलिदान देने वालों को हर देश और हर समाज सम्मान से याद करता है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी, यह सरकार इन सभी के महत्व को कमतर करने की कोशिश कर रही है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के शताब्दी वर्ष मनाए जा रहे हैं, जिन्होंने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया।

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नेशनल

ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब वे नहीं जीते तो मतलब ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और जब चुनाव जीत गए तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में चिंता जताई थी तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हार गए, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी और जब वे जीते, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने जब कहा कि सभी जानते हैं कि चुनावों में पैसे बांटे जाते हैं, तो पीठ ने टिप्पणी की, “हमें कभी किसी चुनाव के लिए पैसे नहीं मिले।” याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका में एक और अनुरोध चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने और यह सुनिश्चित करने का था कि इस तरह की प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हों। याचिका में जागरूकता बढ़ाने और सूचित निर्णय लेने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा, आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग मतदान नहीं कर रहे हैं। यह कितनी त्रासदी है। आने वाले वर्षों में क्या होगा यदि लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहा और हम कुछ नहीं कर पाए।

 

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