नेशनल
ठंडा क्यों पड़ गया है चिपको आंदोलन?
नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)| वर्ष 1970 के दशक के चिपको आंदोलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हिमालय में वनों की कटाई पर 15 साल के लिए रोक लगाने, 1980 का वन कानून बनाने के लिए बाध्य किया था, और देश में बाकायदा पर्यावरण मंत्रालय बना था, वह आंदोलन आज ठंडा पड़ गया है। आंदोलन के अगुआ चंडी प्रसाद भट्ट हालांकि इससे इंकार करते हैं।
गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट कहते हैं, आंदोलन ठंडा नहीं पड़ा है। चिपको की चेतना आज भी किसी न किसी रूप में पर्यावरण से जुड़े लोगों के बीच मौजूद है। मैं खुद नहीं चाहता था कि चिपको कोई राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संगठन बन जाए, और मैं उसका नेता। मैं चाहता था कि हर इलाके में वहां की जरूरत के हिसाब से अलग-अलग लोग पर्यावरण के लिए काम करें। चिपको आंदोलन ने यह चेतना पैदा की है।
उन्होंने कहा, देश ही नहीं, दुनिया में लोगों ने चिपको से प्रेरणा लेकर काम किए हैं। चिपको का ही परिणाम है कि आज कहीं भी पेड़ कटते हैं, तो कम से कम उसके खिलाफ आवाज उठती है। आज भी जर्मनी में जंगल बचाने के लिए चिपको जैसा आंदोलन चल रहा है। जल, जंगल की समस्या जबतक रहेगी, चिपको आंदोलन प्रासंगिक बना रहेगा।
पद्मभूषण से सम्मानित भट्ट ने कहा, हां, यह अलग बात है कि आज की पीढ़ी भोग में अधिक लिप्त है। उसे सिर्फ विकास दिखाई दे रहा, लेकिन उसके पीछे छिपा विनाश दिखाई नहीं दे रहा है। जब वह भुक्तभोगी होगी, तो खुद आंदोलित हो उठेगी। हम नई पीढ़ी को जागरूक कर रहे हैं। दूसरी बात यह कि सरकारें पांच साल के लिए आती हैं, और वे अगला चुनाव जीतने के लिहाज से काम करती हैं। उनमें राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव होता है। कानून बन जाते हैं, लागू नहीं हो पाते। लेकिन जब जनता जागरूक होगी, तो सरकारों को भी काम करना होगा।
सन् 1980 का वन कानून वन संरक्षण में कितना कारगर हुआ? प्रथम राष्ट्रीय वन आयोग के सदस्य रह चुके भट्ट ने कहा, कानून का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पा रहा है। पहले वनों से जनता का जुड़ाव होता था। आज वनकर्मियों के रवैये के कारण जनता वन संरक्षण को सरकार का काम मान बैठी है। वन सरकारी हो गए हैं।
हिमालय के जंगलों में आग लगने की घटनाएं वार्षिक परंपरा बनती जा रही हैं। पर्यावरण के साथ ही मनुष्यों और जंगली पशुओं के लिए यह बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इस बारे में भट्ट ने कहा, इसके पीछे कारण साफ है। लोग वन संरक्षण के काम को सरकारी मान बैठे हैं। पहले हर गांव के अलग-अलग जंगल होते थे, गांव के लोग उसका संरक्षण और संवर्धन करते थे। किसी गांव के जंगल में आग लगती थी तो उस गांव के लोग मिलकर बुझाते थे। लोग जंगलों से कट गए हैं, या फिर उन्हें काट दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि 1988 की राष्ट्रीय वन नीति के तहत संयुक्त वन प्रबंधन नामक कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसके तहत वन संरक्षण-संवर्धन का काम वन विभाग और स्थानीय लोगों को मिलकर करना था। लेकिन आज देश के कई हिस्सों में वन अधिकार को लेकर, खासतौर से वनवासियों और वन विभाग के बीच संघर्ष की स्थितियां बनी हुई हैं।
चंडी प्रसाद कहते हैं, वनों पर स्थानीय लोगों का प्राकृतिक अधिकार होता है। लेकिन कानून होने के बावजूद इसे नकारा जा रहा है। वर्ष 2003 में पहला राष्ट्रीय वन आयोग बना, इन्हीं सब समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए। सात सदस्यों में मैं भी शामिल था। मेरे अलावा बाकी सभी सदस्यों ने वनों पर जनता के अधिकार का विरोध किया था। मैंने अपनी टिप्पणी में लिखा था कि सामुदायिक जुड़ाव के बगैर वन संरक्षण असंभव है। लेकिन आज वैश्वीकरण के दबाव के आगे सबकुछ बेमानी हो गया है।
नेशनल
राहुल गांधी रायबरेली पहुंचे, पीपलेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन कर लिया हनुमान जी का आशीर्वाद
लखनऊ। कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी एक दिवसीय रायबरेली के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने रायबरेली लखनऊ बॉर्डर स्थित पीपलेश्वर मंदिर में दर्शन-पूजन कर हनुमान जी का आशीर्वाद लिया। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इसके बाद डिग्री कॉलेज चौराहा शहीद चौक पर पहुंचे। यहां माल्यार्पण कर डिग्री कॉलेज चौराहे का लोकार्पण किया।
लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरने के बाद उन्होंने सड़क मार्ग से रायबरेली तक का रास्ता तय किया। इस बीच वह चुरुवा हनुमान मंदिर में पूजा करने के लिए भी रुके। रायबरेली पहुंचने के बाद राहुल गांधी दिशा की बैठक में शामिल हुए। लोकसभा चुनाव के बाद राहुल का अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली में तीसरा और यूपी का 5वां दौरा है।
कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी का कहना है कि राहुल गांधी के दौरे से उत्तर प्रदेश कांग्रेस में नई ऊर्जा आएगी। चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ेगा। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लखनऊ पहुंच गए हैं। वह एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से रायबरेली के लिए रवाना हो गए हैं।
इसके पहले राहुल गांधी को रिसीव करने आए कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि राहुल गांधी एक जागरूक और जिम्मेदार नेता हैं। वह रायबरेली संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति जानने के लिए दिशा की बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक के बाद 2:30 बजे राहुल गांधी फुरसतगंज एयर पोर्ट के लिए रवाना होंगे।
-
लाइफ स्टाइल20 hours ago
सुबह डल नजर आता है चेहरा, तो अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय
-
नेशनल3 hours ago
दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल, कई इलाकों में AQI 4OO पार
-
उत्तर प्रदेश22 hours ago
दिवाली के दिन यूपी के इस जिले में 25 करोड़ की शराब पी गए लोग
-
खेल-कूद3 hours ago
HAPPY BIRTHDAY KING KOHLI : भारतीय क्रिकेट टीम के किंग विराट कोहली आज मना रहे हैं अपना 36वां जन्मदिन
-
खेल-कूद48 mins ago
फुटबॉल खेलते वक्त मैदान पर गिरी बिजली, एक प्लेयर की मौत, वीडियो वायरल
-
नेशनल3 hours ago
लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबियत बिगड़ी, एम्स में भर्ती, पीएम मोदी ने फोन कर ली जानकारी
-
नेशनल2 days ago
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण सनातन धर्म की रक्षा के लिए ‘नरसिंह वरही ब्रिगेड’ के गठन की घोषणा
-
खेल-कूद1 day ago
भारतीय क्रिकेट टीम पहुंची साउथ अफ्रीका, खेलेगी चार मैचों की टी20 सीरीज