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दक्षिण कोरिया की भारत को 10 अरब डॉलर की पेशकश : राजदूत

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नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,दक्षिण कोरिया, राजदूत जून ग्यू ली

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नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां सोमवार को दक्षिण कोरिया की दो दिवसीय यात्रा शुरू की, वहीं दक्षिण कोरिया ने उनकी बुलेट ट्रेन और स्मार्ट शहर जैसी परियोजनाओं के लिए 10 अरब डॉलर का कोष स्थापित करने की पेशकश की है। यह बात देश में दक्षिण कोरिया के राजदूत जून ग्यू ली ने कही। ली ने कहा, “मेरा देश भारत को 10 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज की पेशकश कर रहा है। इसमें एक अरब डॉलर का एक आर्थिक विकास सहयोग कोष और नौ अरब डॉलर का निर्यात साख शामिल है।”

ली ने कहा, “इस कोष का उपयोग मोदी की रेलवे, बिजली उत्पादन और पारेषण तथा बाद में तय होने वाली कई अन्य परियोजनाओं को सहायता देने के लिए किया जाएगा।” उनके मुताबिक, दक्षिण कोरिया की कंपनियां खास तौर से रेल नेटवर्क, बंदरगाह तथा अन्य आधुनिक परिवहन साधनों के विकास में अधिक रुचि ले रही हैं। राजदूत ने कहा, “संबंधित मंत्रालयों और कंपनियों के बीच चर्चा चल रही है, जैसे मौजूदा रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण के लिए।” उन्होंने कहा, “दक्षिण कोरिया को मौजूदा रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण से लेकर तेज रफ्तार बुलेट ट्रेन की टर्नकी परियोजनाओं को पूरा करने तक रेलवे विकास के सभी पहलुओं का अनुभव है। मेरा देश भारत के साथ इसकी परिवहन अवसंरचनाओं के विकास के लिए काम करने के लिए तैयार है।” उल्लेखनीय है कि दक्षिण कोरिया के साथ देश का 20 अरब डॉलर सालाना का द्विपक्षीय व्यापार है।

मोदी ने कई बार दक्षिण कोरिया की जहाज निर्माण क्षमता और भारत की जहाज निर्माण क्षमता के विकास में रुचि प्रदर्शित की है। सियोल इस क्षेत्र में भी साझेदारी करने को उत्सुक है। राजदूत ने आईएएनएस से कहा, “हम इस मुद्दे पर गहराई से काम कर रहे हैं। हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री हमारी जहाज निर्माण क्षमता को महत्व देते हैं। हम इस क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत की अपील का जवाब देने को विवश हैं।” उनके मुताबिक, दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े शिपयार्ड में मोदी के जाने से पता चलता है कि यह उद्योग दोनों देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि दोनों देश जहाज-निर्माण में सहयोग के लिए एक अच्छा रास्ता तलाश लेंगे।” दक्षिण कोरियाई कंपनियों की भारत में विनिर्माण संचालन में विस्तार में रुचि दिखाने के बारे में राजदूत ने कहा, “आप बड़ी संख्या में कोरियाई कंपनियों के आने और व्यापक निवेश की उम्मीद कर सकते हैं। ये निर्णय यद्यपि कंपनियां खुद ही करेंगी, लेकिन हम काफी अच्छी संभावना के बारे में बता सकते हैं।” सैमसंग, एलजी और ह्युंडई जैसी दक्षिण कोरियाई कंपनियां आज हर भारतीय घर में जाना-पहचाना नाम हैं।

आपसी व्यापार के कोरिया के पक्ष में झुके होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सरकारों ने इस असंतुलन को दूर करने के लिए भारतीय फार्मा और सेवा क्षेत्र की कंपनियों को दक्षिण कोरिया में अधिकाधिक सुविधा देने पर विचार किया है। उन्होंने कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि संबंधों के विकास के लिए जरूरी है कि दोनों ही पक्षों को व्यापार का लाभ मिले। लेकिन कृपया इस बात पर भी गौर कीजिए कि दक्षिण कोरिया से भारत को होने वाले निर्यात में अधिकांश हिस्सा उपकरणों जैसी माध्यमिक वस्तुओं की होती है, जिसे भारत में एसेंबल किया जाता है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर वार्ता करेंगे। राजदूत ने साथ ही उम्मीद जताई, “भारतीय वस्तुओं के हमारे देश में निर्यात में यदि कोई भी बाधा होगी, तो कोरिया उसे दूर करने की हर संभव कोशिश करेगा।”

नेशनल

लद्दाख में एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का हुआ उद्घाटन, 4300 मीटर की ऊंचाई पर है स्थित

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लद्दाख। एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन, मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस दूरबीन से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन दुनिया में इस तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। इस दूरबीन की मदद से अब वैज्ञानिक रिसर्च में और भी प्रगति होगी। इस दूरबीन को मुंबई स्थित BARC ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों की मदद से बनाया है और इसे स्वदेशी तरीके से बनाया गया है।

4 अक्तूबर को हुआ उद्घाटन

MACE वेधशाला का उद्घाटन DAE के प्लेटिनम जुबली वर्ष प्रोग्राम का एक हिस्सा था। 4 अक्तूबर को लद्दाख के हनले में डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) वेधशाला का उद्घाटन किया। इसके उद्घाटन के बाद उन्होंने उन सभी कोशिशों की प्रशंसा भी की जिस कारण MACE दूरबीन सफल हुई।

 

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