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बिजनेस

देश में हेलीकॉप्टर एसेंबलिंग कर सकती है बोइंग 

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नई दिल्ली| प्रमुख वैश्विक विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत में हेलीकॉप्टर एसेंबली लाइन स्थापित करने पर विचार कर रही है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, यह एसेंबली लाइन अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर या चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर के लिए हो सकती है।

बोइंग का हाल ही में भारत के साथ 22 अपाचे और 15 चिनूक सीएच-47एफ बेचने का समझौता हुआ है।

बोइंग के अध्यक्ष जेम्स मैकनर्नी ने एक कार्यक्रम में कहा कि कंपनी दोनों में से एक हेलीकॉप्टर की भारत में एसेंबलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रही है।

कंपनी अभी बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के बीम का निर्माण भारत में नागपुर संयंत्र में करती है।

उन्होंने कहा, “हम मेक-इन-इंडिया में केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं। हम भारत में डिजाइन और विनिर्माण करना चाहते हैं।”

उन्होंने कहा, “बोइंग को भारत में काफी अवसर और क्षमता दिखाई देती है और वह इस अर्थव्यवस्था के विस्तार में मदद करना चाहती है। भारत से हमें व्यापार मिलेगा और बदले में हम प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता प्रदान करेंगे।”

मैकनर्नी ने कहा, “भारत एक विशाल बाजार है और असैन्य परमाणु समझौते के बाद दोनों देशों की सरकारें रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ा सकती हैं।”

उन्होंने कहा कि कंपनी जल्द ही भारत में विमान के डैने और फ्यूजलेज भी बना सकती है।

मैकनर्नी ने यह भी कहा कि बोइंग ने गत 50 साल में अमेरिका के शेष रक्षा उद्योग के मुकाबले अधिक समझौते भारत के साथ किए हैं।

मैकनर्नी ने देशभर में लाइवस्ट्रीम किए गए वेबकास्ट में कहा, “हां, वाकई। बोइंग ने गत 50 साल में भारत के साथ उतने रक्षा सौदे किए हैं, जितने पूरे अमेरिका ने नहीं किए।”

उन्होंने बताया, “इस सफलता का संभवत: यह कारण है कि हमने इन सौदों का पहले से ही अनुमान लगा लिया था। इसके बाद हमने यहां अपनी टीम तैनात कर दी।”

मैकनर्नी ने कहा, “भारतीय सेना व्यवस्थित और सक्षम है। वह जानती है कि उसे कौन-सा उपकरण चाहिए, इसलिए उसके साथ काम करना आसान है।”

उन्होंने कहा कि कंपनी ने हेवी लिफ्ट परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर का उत्पादन बंद कर दिया था।

भारत ने कंपनी से तीन और ग्लोबमास्टर की मांग की थी।

अध्यक्ष ने कहा, “अभी हमारे पास सिर्फ एक सी-17 है। उपयोग किए जा चुके विमानों के बाजार में खरीदारी की संभावना है और ये मॉडल 20-30 साल और बाजार में रहने वाले हैं।”

भारत सरकार और बोइंग के बीच 10 सी-17 के लिए समझौता हुआ था, जिमसें चार और ग्लोबमास्टर खरीदने का भी विकल्प था। यह सौदा 4.1 अरब डॉलर का था।

हिंडन वायुसेना अड्डे स्थित भारतीय वायुसेना के ग्लोबमास्टर बेड़े का संचालन ‘स्काईलॉर्ड्स’ स्काड्रन करती है।

ग्लोबमास्टर का सबसे बड़ा बेड़ा अमेरिका के पास है, जिसमें 220 से अधिक विमान शामिल हैं। उसके बाद इसका इसका दूसरा बड़ा बेड़ा भारत के पास है, जिसमें 10 विमान हैं।

 

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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