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नाबालिगों में बढ़ रही दुष्कर्म की प्रवृत्ति
नई दिल्ली| विभिन्न अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों से संबंधित आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षो में नाबालिगों की दुष्कर्म में संलिप्तता तेजी से बढ़ी है।
अलग-अलग अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए इन नाबालिगों में 86 फीसदी बेहद गरीब परिवारों से पाए गए, जबकि छह फीसदी बेघर और छह फीसदी से कम किशोरियां अपराधों में संलिप्त पाई गईं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा दिए गए आंकाड़ों में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि वर्ष 2013 में गिरफ्तार किए गए 35,244 नाबालिग अपराधी अपने अभिभावकों के साथ ही रह रहे थे।
प्राप्त आकड़ों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 16-18 आयु वर्ग के नाबालिगों की संख्या वर्ष 2003 से 2013 के बीच बढ़कर 60 प्रतिशत हो चुकी है।
इन 10 वर्षो में दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों में 288 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि चोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिगों की संख्या में 46 फीसदी की वृद्धि हुई।
किशोर तथा नाबालिग अपराधियों की बड़ी संख्या में अपराधों में संलिप्तता के कारण केंद्र सरकार ने एक नया कानून बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें नाबालिग अपराधी को भी बालिग अपराधियों की ही श्रेणी में रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को एक चलती बस में घटी सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद से ही नाबालिग अपराधियों को भी बालिग अपराधियों की श्रेणी में रखे जाने की मांग उठनी शुरू हुई।
चूंकि इस सामूहिक दुष्कर्म में एक 17 वर्षीय अपराधी भी शामिल था, इसलिए अदालत ने उसे बाल सुधार गृह भेज दिया। अदालत द्वारा नाबालिग अपराधी को बाल गृह भेजने के आदेश के बाद ही देशभर के बुद्धिजीवियों में यह बहस छिड़ चुकी है कि क्या सामूहिक दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में शामिल अपराधी को महज उसकी उम्र के आधार पर सजा में राहत दी जानी चाहिए?
सामूहिक दुष्कर्म का अपराधी नाबालिग है या बालिग, किस आधार पर इसकी पहचान की जानी चाहिए?
विदित हो कि वर्ष 2013 में गिरफ्तार किए गए कुल 35,244 नाबालिग अपराधियों में से 5,800 अपराधी अपने परिवारों के साथ ही रहते थे। ये सभी गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते थे, जिनके परिवारों की वार्षिक आय 50 हजार रुपये के आस-पास थी। गिरफ्तार किए गए नाबालिग अपराधियों में 8,392 अनपढ़ थे, जबकि 13,984 अपराधी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त थे।
एनसीआरबी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2003 से 2013 के बीच 10 वर्षो के दौरान लगभग 379,283 नाबालिग अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। 2013 में 16 से 18 वर्ष आयु वर्ग के कुल 28,860 बाल अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें लड़कियों का प्रतिशत 4.3 और कुल संख्या 1,867 थी।
एनसीआरबी से प्राप्त आकड़ों के अनुसार, किशोर अपराधियों को गिरफ्तार करने में मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र का नाम क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर आता है। वर्ष 2003 से 2013 तक मध्य प्रदेश में जहां 75,037 किशोर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, वहीं महाराष्ट्र में 72,154 को गिरफ्तार किया गया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में देशभर में कुल 43,506 नाबालिग अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से महाराष्ट्र में 8,012, मध्य प्रदेश में 7,365, तमिलनाडु में 3,142, आंध्र प्रदेश में 3,133 तथा राजस्थान में 2,882 किशोर अपराधी गिरफ्तार किए गए।
एनसीआरबी के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं, क्योंकि वर्ष 2003 में दुष्कर्म के आरोप में गिफ्तार होने वाले नाबालिग अपराधियों की संख्या 535 थी, जबकि वर्ष 2013 में यह संख्या बढ़कर 10,693 तक जा पहुंची है।
एनसीआरबी के अनुसार, देशभर में महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न या अन्य अपराधों में भी वृद्धि हुई है। गत वर्ष की तुलना में यह आंकड़ा अब बढ़कर 117 फीसदी तक पहुंच चुका है।
केंद्र सरकार द्वारा नया कानून पारित किए जाने की संभावनाओं से ही आम जनता में आशा जगी है कि भविष्य में अब किसी भी जघन्य अपराध के नाबालिक अपराधी को भी अन्य बालिग अपराधियों की ही भांति सजा मिल पाएगी।
(इंडियास्पेंड डॉट ऑर्ग के साथ हुए समझौते के तहत। यह एक गैर लाभकारी पत्रकारिता मंच है, जो जनहित में काम करता है। इससे संबद्ध चैतन्य मल्लपुर एक नीति विश्लेषक हैं)
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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