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साइंस

नासा वैज्ञानिक मंगल के कृत्रिम वातावरण से बाहर आए

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न्यूयार्क, 17 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका के हवाई में कृत्रिम रूप से तैयार किए मंगल ग्रह के वातावरण में रहकर मानव मिशन के लिए तैयार हो रहे नासा के छह वैज्ञानिक रविवार को वहां से वापस लौट आए हैं।

नासा के छह वैज्ञानिक विशालकाय ज्वालामुखी मौनालोआ के पास एक बड़े मैदानी इलाके में जनवरी से रहकर मानव अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के मनोविज्ञान, आवश्यकताओं और उनके समक्ष आने वाली समस्याओं से निपटने का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस दल में चार पुरुष व दो महिलाएं शामिल हैं।

कठिन वातावरण और मानव मिशन पर लंबे समय तक रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्री शारीरिक, मानसिक और सबसे अधिक जरूरी मनोवैज्ञानिक तौर पर कैसे प्रतिक्रिया दें, इस पर बेहतर समझ हासिल करने के लिए वह आठ महीने तक इसी तरह के वातावरण में रहेंगे।

‘इंक्विसिट्र डॉट कॉम’ ने मनोआ स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के नेतृत्व वाली इस परियोजना हवाई स्पेस एक्सप्लोरेशन एनालॉग एंड सिमुलेशन (एचआई-एसईएएस) की विशेषज्ञ लौरा लार्क के हवाले से बताया, लंबे समय की अंतरिक्ष यात्रा बिलकुल संभव है।

उन्होंने कहा, इसके लिए हमें निश्चित रूप से तकनीकी चुनौतियां दूर करनी होंगी। मिशन के दौरान कई मानवीय समस्याएं आ सकती हैं जिनका पता लगाया जाना है, और यही एचआई-एसईएएस कर रहा है। लेकिन मुझे लगता है कि उन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए केवल एक प्रयास की जरूरत है। हम इसमें बिल्कुल सक्षम हैं।

ऐसी उम्मीद की जा रही मंगल पर 2030 तक मानव आबादी बसने लगेगी।

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साइंस

फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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