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‘निपाह से बचाव ही एकमात्र इलाज’
नई दिल्ली, 31 मई (आईएएनएस)| निपाह वायरस का आतंक केरल के बाद बाकी राज्यों में भी अपने पांव पसार रहा है।
पश्चिम बंगाल से निपाह का एक मामला सामने आने के बाद लोगों में तेजी से इस वायरस का डर बढ़ रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि तेजी से फैल रहे इस वायरस का कोई कारगर इलाज नहीं है, बल्कि एकमात्र बचाव ही इसका इलाज है।
केरल में निपाह वायरस से 10 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र द्वारा देशभर में हाईअलर्ट जारी किया गया है।
नोएडा स्थित फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग की मृणाल सरकार ने बताया, निपाह वायरस के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मनुष्यों या जानवरों के लिए इसका कोई टीका उपलब्ध नहीं है। अगर कोई मनुष्य निपाह वायरस से संक्रमित होता है, तो ऐसी स्थिति में सहायक देखभाल ही एकमात्र विकल्प है। गंभीर हालत के रोगियों को इंटेन्सिव केयर यूनिट में रखा जाता है।
निपाह एक ऐसी बीमारी है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करती है। यह वायरस आमतौर पर फ्रूट बैट (चमगादड़) जो मेगाबैट के रूप में भी जाने जाते हैं और सूअरों को संक्रमित करता है। यह संक्रमित चमगादड़, सूअर या मनुष्यों से सीधे संपर्क के द्वारा फैल सकता है। निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) का कारण बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वायरस की पहचान वर्ष 1998 में मलेशिया के कंपंग सुंगई निपाह में हुई थी। उस दौरान सूअर इस वायरस के मेजबान थे। 2004 में बांग्लादेश में चमगादड़ से दूषित होने वाले खजूर के उपयोग के परिणामस्वरूप निपाह वायरस इंसानों में फैल गया था।
सूअरों और चमगादड़ के अलावा यह वायरस अन्य पालतू जानवरों को भी संक्रमित करने में सक्षम है।
निपाह से बचाव के उपाय बताते हुए मृणाल कहती हैं, ऐसे फलों को नहीं खाना चाहिए जो कटा हो या उसे किसी जानवर ने खाया गया हो। पालतू जानवरों को भी चमगादड़ों से दूषित फल नहीं खाने देना चाहिए और यहां तक कि ऐसे फल मिलने पर उसे घर के बाहर भी नहीं फेंकना चाहिए, ऐसी स्थिति में अन्य जानवरों या पक्षियों में संक्रमण फैलने की आशंका हो सकती है। संक्रमित खजूर खाने से बचना चाहिए। अस्पतालों में मरीजों की देखभाल करने वाले चिकित्सा कर्मियों को गाउन, दस्ताने और मुखौटा पहनना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत की मृत्युदर के खतरे के साथ यह वायरस अत्यधिक घातक हो सकता है।
वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में चिकित्सीय सलाहकार डॉ. एन.पी. सिंह ने बताया, निपाह एक पशुजन्य (जूनोसिस) रोग है जो संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैला है। हाल ही में यह दक्षिण भारत के केरल में दर्ज किया गया है। ऐसे लोग, जिनके आसपास सुअर हैं, उन्हें इस वायरस से खतरा ज्यादा है और यह सूअरों का मांस खाने वाले लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
निपास के लक्षणों के बारे में बताते हुए एन.पी. सिंह ने कहा, निपाह को एनआईवी वायरस के नाम से भी जाना जाता है। इंसानों में इसके संक्रमण के बाद तेज बुखार और श्वसन संबंधी परेशानी हो सकती है। यह मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करता है, जिससे पीड़ित के सिर में तेज दर्द होता है। इस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट चिकित्सा (कोई टीका या कोई एंटीवायरल थेरेपी) नहीं है।
इसके बचाव के बारे में बात करते हुए हेल्थकेयर एट होम के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर गौरव ठुकराल ने आईएएनएस को बताया, निपाह से बचने के लिए आप बस ध्यान रखें कि कोई फल, जैसे नारियल या फिर खजूर को खरीदते या खाते वक्त यह देंखे कि फल पूरी तरह साबुत होना चाहिए। वह कहीं से भी कटा या उस पर निशान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही फलों को अच्छी तरह पानी से धोना चाहिए। अपने हाथों से भी अच्छी तरह धोएं। डब्ल्यूएचओ द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, हर किसी शख्स के हाथ धोने की अवधि कम से कम 30 सेंकड तक होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, सार्वजनिक स्थानों या यात्रा के दौरान संभव हो तो एन95 मास्क का उपयोग करना चाहिए। खांसते या छींकते समय हाथों का नहीं हमेशा टिशू पेपर या किसी कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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