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बिजनेस

‘नोटबंदी, करों पर निगरानी से संदिग्ध लेनदेन पकड़ में आई’

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नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)| भारत सरकार के नोटबंदी जैसे नीतिगत उपायों से संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट्स (एसटीआर) में भारी इजाफा हुआ है। यह बात वैश्विक बाजार की खुफिया अनुसंधान व परामर्शदात्री कंपनी बीआईएस रिसर्च ने सोमवार को कही। बीआईएस रिसर्च ने कहा, हमारी अपनी हालिया रिपोर्ट ‘वैश्विक धनशोधन रोधी (एएमएल) सॉफ्टवेयर मार्केट-एनालाइसिस एंड फोरकास्ट (2017-2023)’ के अनुसार नोटबंदी और कर अधिकारियों की निगरानी बढ़ने से एसटीआर वित्तवर्ष 2011 के 20,000 से बढ़कर 2016 में 1,00,000 और 2017 में तकरीबन 5,00,00 पहुंच गई हैं।

रिसर्च कंपनी के मुताबिक, वर्ष 2018 में यह संख्या बढ़कर 10,46,283 हो सकती है। अनुसंधानकर्ता ने देश में मौजूद धनशोधन रोधी मानकों के अनुपालन की जरूरत पर ज्यादा जोर दिया गया।

अध्ययन के मुताबिक, 2023 तक वैश्विक धन शोधन सॉफ्टवेयर बाजार का आकार बढ़कर 1.4 अरब डॉलर हो जाएगा।

कंपनी ने एक बयान में कहा, संदेहास्पद लेन-देन पर निगरानी की बढ़ती जरूरतों व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के नियमों के अनुपालन के मद्देनजर इसमें (वैश्विक धन शोधन सॉफ्टवेयर बाजार) बढ़ोतरी की उम्मीद की जाती है। रिपोर्ट से भारत में भारी पैमाने पर संदेहास्पद लेन-देन में वृद्धि होने के संकेत मिल रहे हैं, जबकि इसमें 2016-17 में चार गुना इजाफा हुआ है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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