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न्यायमूर्ति जोसेफ के आदेश को लेकर बदले की भावना नहीं : कानून मंत्री

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नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)| कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की फाइल सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए भेजने की केंद्र सरकार की कार्रवाई में उनके द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को निष्प्रभावी करने के आदेश देने से कुछ भी लेना देना नहीं था।

प्रसाद ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, मैं अपने प्राधिकार की हैसियत से इस बात को अस्वीकार करता हूं कि दो कारणों से इसमें न्यायमूर्ति जोसेफ के फैसले से कोई संबंध नहीं है। पहला, उत्तराखंड में तीन-चौथाई बहुमत से भाजपा की अगुवाई में सरकार बनी है। दूसरा, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर ने आदेश की पुष्टि की थी।

प्रसाद ने कहा, न्यायमूर्ति खेहर ने ही सरकार की राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की पहल खारिज कर दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम ने प्रख्यात अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के साथ-साथ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नति प्रदान करने के लिए उनके नाम की सिफारिश की।

सरकार ने मल्होत्रा के नाम पर मंजूरी प्रदान की, लेकिन न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल कॉलेजियम के पास पुनर्विचार के लिए वापस कर दी गई, जिसकी विधिक समुदाय और विपक्ष ने काफी आलोचना की।

उत्तराखंड में 2016 में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार को बर्खास्त कर केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने निरस्त कर दिया था।

उच्च न्यायालय के इस फैसले से मोदी सरकार की काफी छीछालेदार हुई थी।

सरकार ने जोसेफ के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनसे 41 न्यायाधीश पूरे भारत में वरीयता क्रम में आगे हैं और न्यायमूर्ति जोसेफ को प्रोन्नति प्रदान करने से सर्वोच्च न्यायालय में क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ेगा। साथ ही सरकार ने कॉलेजियम को किसी दलित न्यायाधीश को शीर्ष अदालत में नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए।

कॉलेजियम ने बुधवार की शाम सरकार के दृष्किोण पर विचार-विमर्श किया लेकिन अपना फैसला स्थगित रखा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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