अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र शांति मंच का दुरुपयोग कर रहा : भारत
संयुक्त राष्ट्र, 8 सितम्बर (आईएएनएस)| भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि वह अपने भूभाग विस्तार की महत्वाकांक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति एवं बाल मंच का दुरुपयोग कर रहा है, और भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल राजकीय नीति के औजार के रूप में कर रहा है।
वरिष्ठ भारतीय राजनयिक श्रीनिवास प्रसाद ने गुरुवार को बच्चों पर केंद्रित ‘कल्चर ऑफ पीस’ (शांति की संस्कृति) विषय पर एक उच्चस्तरीय बहस के दौरान पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाने के जवाब में कहा, यह विडंबना है कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान जो आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह और आतंकवाद को हथियार के रूप में प्रयोग करने के लिए मशहूर है, उसने न्याय और आत्मनिर्णय का राग अलापते हुए भारतीय भूभाग को हासिल करने के लालच में एक बार फिर से इस मंच का इस्तेमाल किया है।
प्रसाद ने कहा, मैं अपने पड़ोसी को याद दिला दूं कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। समय आ गया है, जब पाकिस्तान को भी यह समझ लेना चाहिए।
उन्होंने कहा, शांति की संस्कृति केवल व्यापक स्तर पर शांति का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि अंतर-राजकीय संबंधों के मामले में यह अच्छे पड़ोसी धर्म, परस्पर सम्मान और गैर-हस्तक्षेप के मूल्यों की द्योतक भी है।
चर्चा की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पीटर थॉमसन ने की। उन्होंने कहा, महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमें दुनिया को शांति का असली संदेश देना है, तो इसकी शुरुआत हमें बच्चों से करनी होगी।
बच्चों पर केंद्रित सत्र की शुरुआत के बीच में ही टोकते हुए लोधी ने कहा, भारत द्वारा अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर के हालात अंतर्राष्ट्रीय कानून, न्याय और मानवता के सिद्धांतों का हनन है।
उन्होंने भारतीय राज्य कश्मीर की स्थिति की तुलना फिलिस्तीन से करते हुए कहा कि ये ऐसे लंबित मामले हैं, जहां लोगों को आज भी आत्मनिर्णय का बुनियादी अधिकार प्राप्त नहीं है।
प्रसाद ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत हमेशा देश की जनता की इच्छा का सम्मान करता है और वह आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा इसका हनन नहीं होने देगा।
उन्होंने कहा, दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक भारत महान आध्यात्मिक गुरुओं और विचारकों का गढ़ रहा है, जिन्होंने सदियों से दुनियाभर में शांति की संस्कृति के संदेश का प्रसार किया है।
उन्होंने कहा, वेदों की ऋचाओं से लेकर भगवान बुद्ध और गांधी के संदेशों तक भारतीय सभ्यता ने हमेशा शांति की संस्कृति का संदेश दिया है।
सत्र के थीम पर जोर देते हुए प्रसाद ने कहा, बच्चों की सुरक्षा और उनके लिए एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना, जहां वे खुशियों भरे माहौल में पल-बढ़ सकें और एक सफल जीवन जी सकें, शांति की संस्कृति के निर्माण का प्रथम चरण है।
उन्होंने शांति की संस्कृति के निर्माण में लड़कियों की भूमिका पर जोर देते हुए भारत ने उनके लिए भी एक प्रमुख कार्यक्रम शुरू किया है।
उन्होंने कहा, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान भारत की एक प्रमुख पहल है। इसके अलावा सरकार का एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम ‘कौशल विकास कार्यक्रम’ भी है, जिसमें युवाओं को उत्पादक और शांतिपूर्ण नागरिक बनने में मदद के लिए उन्हें विभिन्न कौशल सिखाने पर बल दिया जाता है।
नोबल पुरस्कार विजेता बेट्टी विलियम्स ने कहा कि अमेरिका में जब बच्चे भूख से मर रहे हैं, तो ऐसे में सेना पर खर्च करना निंदनीय है।
विलियम्स ने कहा, दुनिया पूरी तरह पागल हो चुकी है।
उन्होंने कहा, यह समय है, जब बच्चों की आवाज को मुखर होने देना चाहिए।
अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।
इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।
जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।
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