आध्यात्म
पितृपक्ष में पिंडदानियों के लिए तैयार ‘मोक्षधाम’ गया
मनोज पाठक
गया| पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ पुरखों को पिंडदान करने के लिए बिहार के गया आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों के स्वागत के लिए गया पूरी तरह तैयार है। प्रशासन और गयापाल पंडा समाज के द्वारा तीर्थनगरी गया में आने वाले लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है जबकि धर्मशाला, होटल, निजी आवास पिंडदानियों से भर गए हैं। भगवान विष्णु की नगरी ‘मोक्ष धाम’ गया में पिंडदान के लिए देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए पूरी तैयारी की गई है। गया जिला के एक अधिकारी के मुताबिक, इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर यहां पांच लाख श्रद्घालुओं के आने की संभावना है।
गया में पिंडदानियों के आने का सिलसिला लगातार जारी हैं। अत्यधिक संख्या में श्रद्घालुओं के पहुंचने को लेकर कई स्थानों पर खुले मैदान में भी तंबू लगाए गए हैं ताकि श्रद्धालु यहां रात गुजार सकें। गया के जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से यहां पितृपक्ष में लाखों लोग आते हैं। आने वाले लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए तत्पर है। उन्होंने बताया कि मेला में किसी भी प्रकार की परेशानी के लिए एक कॉल सेंटर बनाया गया है जिसमें हेल्पलाइन के नंबर पर परेशानी बताई जा सकती है। कॉल सेंटर में तैनात अधिकारी किसी भी शिकायत को संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों को देंगे।
अग्रवाल ने बताया कि पूरे शहर को पांच सुपर जोन, 41 जोन और 183 सेक्टर में बांटा गया है। इसमें कर्मचारियों और अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा एक मोबाइल एप भी बनाया गया है जिसमें गया की सारी जानकारी उपलब्ध कराई गई है। एक अन्य अधिकारी के अनुसार, इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर महाविद्यालयों और विद्यालयों तथा पंडा आवासों को भी श्रद्घालुओं के रहने के लिए अनुमति दी गई है। इसके साथ ही जिला प्रशासन तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए बस सेवा और स्वास्थ्य सेवा के बेहतर इंतजाम का दावा कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है। गयावाल पंडा समाज के महेश लाल गुप्ता पंडा कहते हैं, “पिंडवेदी कोई एक जगह नहीं है। तीर्थयात्रियों को धार्मिक कर्मकांड में दिनभर का समय लग जाता है। इसमें लोग पूरी तरह थक जाते हैं। ऐसे में तीर्थयात्री अपने परिवार के साथ आराम की तलाश करते हैं।” उन्होंने कहा कि गया प्रशासन से लेकर आम लोग आने वाले पिंडदानियों को सुविधा देने के लिए तत्पर हैं।
गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज कहते हैं कि मेला क्षेत्र में अस्थायी तौर पर 37 अस्थायी थाने खोले गए हैं, जहां 24 घंटे पुलिस मौजूद रहेंगे। इसके अलावा पूरे क्षेत्र में बाइक और पैदल पुलिस गश्त करती रहेगी। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में 2000 से अधिक पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है, जिसमें महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। पुलिसकर्मी रेलवे स्टेशन क्षेत्र से लेकर पिंडवेदियों तक पैनी निगाह रखेंगे।
मेला क्षेत्र में बम निरोध दस्ता और श्वान दस्ता को विशेष रूप से तैनात किया जाएगा। यह मेला गया शहर, बोधगया सहित अन्य स्थानों में फैला होता है। पितृपक्ष में एक पखवारे तक लगने वाले ‘पितृपक्ष मेला’ का उद्घाटन रविवार शाम प्रमंडलीय आयुक्त वंदना किन्नी करेंगी। इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग-अलग है। श्रद्घालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं। कर्मकांड करने आने वाले श्रद्घालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं।
हिन्दु धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को ‘पितृपक्ष’ या ‘महालय पक्ष’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है। जिलाधिकारी कहते हैं कि जिला प्रशासन का प्रयास है कि मोक्षधाम आने वाले सभी पिंडदानी वापसी में अपने दिलों में सुखद यादें संजोकर जाएं, इसके लिए सभी लोगों के सहयोग की अपेक्षा है।
व्रत एवं त्यौहार
CHHATH POOJA 2024 : जानें कब से शुरू होगी छठी मैया की पूजा, जानिए इसे क्यों मनाते हैं
मुंबई। त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे, तो माता सीता ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर कुल की सुख-शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव की आराधना की थी।
छठ पूजा क्यों मनाते है ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति, समृद्धि, संतान सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व के दौरान प्रकृति के विभिन्न तत्वों जैसे जल, सूर्य, चंद्रमा आदि की पूजा की जाती है. यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है और हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है. छठ का व्रत बहुत कठिन होता है. व्रतधारी 36 घंटे तक बिना पानी पिए रहते हैं. साथ ही छठ पर्व सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है. इस पर्व के दौरान लोग मिलकर पूजा करते हैं, भोजन करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं. इससे सामाजिक एकता और भाईचारा बढ़ता है.
छठ पर्व के 4 दिन
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय.
छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना.
छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य.
छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
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