बिजनेस
पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए : मंत्री प्रधान
नई दिल्ली, 2 अप्रैल (आईएएनएस)| केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने दिल्ली में ईंधन की कीमतों के रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंचने के अगले दिन पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में लाने की अपील की, ताकि उपभोक्ताओं को मूल्य निर्धारण का लाभ मिल सके।
यहां एक दिन पहले यूरो-6 ग्रेड के पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति भी शुरू की गई है। दिल्ली में यूरो-4 ग्रेड की जगह पर यूरो-6 ईंधन को लांच करने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान ने याद करते हुए कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए उत्पाद शुल्क में कटौती की थी और कुछ राज्यों ने भी इसका अनुसरण करते हुए स्थानीय करों में कटौती की थी।
प्रधान ने कहा कि कीमतों में डायनेमिक आधार पर रोज बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा, ईंधन की कीमतों को लेकर हमारे पास छुपाने को कुछ नहीं है.. पेट्रोल, डीजल अंतर्राष्ट्रीय उत्पाद है और जैसे ही इनकी कीमतें बढ़ती या घटती है हम ग्राहकों के लिए उसी हिसाब से कीमतों को बढ़ा-घटा देते हैं।
उन्होंने कहा, भारत एक उपभोक्ता संवेदनशील देश है और सरकार ने पिछले साल उत्पाद शुल्क में कटौती की थी.. कुछ राज्यों ने भी ईंधन पर वैट में कटौती की थी, इसलिए राज्यों को एक बार फिर से कटौती करना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि राज्य नहीं चाहते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थो को नए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाया जाए।
उन्होंने कहा, मैं एक बार फिर से जीएसटी परिषद से पेट्रोलियम को जीएसटी के तहत लाने की अपील करता हूं, ताकि ग्राहकों को फायदा हो।
दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत 73.83 रुपये प्रति लीटर तथा डीजल की कीमत 64.69 रुपये प्रति लीटर थी, जबकि नोएडा और गाजियाबाद में 75 रुपये।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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