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‘पोलियो की तर्ज पर गर्भवती महिलाओं का हो टीकाकरण’ (28 मई : विश्व महिला स्वास्थ्य दिवस)

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नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)| देश में गर्भवती महिलाओं से कई भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं। ये भ्रांतियां सिर्फ गांवों या दूरदराज के क्षेत्रों तक ही नहीं, बल्कि शहरी इलाकों में भी पैठ जमा चुकी हैं। 21वीं सदी में भी देश में गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को नाक-भौंह सिकोड़कर देखा जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा सरकार के ‘मिशन इंद्रधनुष’ से तस्वीर थोड़ी बहुत ही सही, लेकिन बदली है।

हालांकि, भारत अभी भी महिला स्वास्थ्य को लेकर कई यूरोपीय और एशियाई देशों से पिछड़ा हुआ है, जिसके लिए पोलियो की तर्ज पर अभियान चलाने की जरूरत है।

एक गर्भवती महिला जब बच्चे को जन्म देती है तो उस दौरान जच्चा और बच्चा दोनों में ही कई तरह के संक्रमण होने की आशंका रहती है। आमतौर पर पूरा ध्यान नवजात शिशु पर रहता है और महिला के स्वास्थ्य की अनदेखी कर दी जाती है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि भारत में बच्चों को जन्म देने के दौरान हर घंटे पांच महिलाओं की मौत हो जाती है।

नेशनल नियोनेटोलॉजी फोरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. अजय गंभीर कहते हैं, गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता लाने की जरूरत है। डिलीवरी के समय शरीर से अत्यधिक खून या किसी अन्य वजहों से भी बच्चे से मां को संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इसलिए बच्चे के साथ-साथ मां को बचाना भी बहुत जरूरी बन पड़ा है।

डॉ. अजय कहते हैं, भारत सरकार ने 2010 में ‘आरएमएमएचए’ योजना बनाई थी, लेकिन 2014 में इसे वापस ले लिया गया। वैक्सीन संबंधी यह योजना बहुत मददगार थी। हमारे देश में समस्या यह है कि जो नई वैक्सीन बाजार में आ रही हैं, उसे लेकर जागरूकता की कमी है।

उन्होंने कहा, नई वैक्सीन के बजाय अभी भी पुरानी वैक्सीन ही उपयोग में लाई जा रही है। उदाहरण के तौर पर गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए टीटी की जगह टीडी वैक्सीन लाई गई, लेकिन अभी भी टीटी वैक्सीन ही चलन में है। देश में पोलियो के खात्मे के लिए अभियान शुरू किया गया, ठीक उसी तरह गर्भवती मां के टीकाकरण के लिए भी अभियान शुरू करने की जरूरत है। सरकार ने ‘एमएमआर’ यानी ‘खसरा, मम्प्स और रूबेला’ की दो खुराक देना शुरू किया है, जो महिलाएं गर्भवती नहीं हैं, वे भी इसे ले सकती हैं। इनके अभाव में बच्चे में मोतियाबिंद होने की आशंका रहती है।

गर्भवती महिलाओं में टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में वह कहते हैं, हां, ये भी सच है कि कई वैक्सीन ऐसी हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन उसकी पूरक वैक्सीन को गर्भावस्था के छह सप्ताह में देना जरूरी हो जाता है, ताकि मां और आने वाले बच्चे को नुकसान न हो।

भारत गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण में विकसित देशों के साथ-साथ कई विकासशील देशों से भी बहुत पीछे है। इसके बारे में डॉ. अजय कहते हैं, अभी हमारी पहुंच सिर्फ 60 फीसदी महिलाओं तक ही है, जो कई एशियाई और पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम है। इस दिशा में अभी बहुत काम करना होगा। सरकार ने जब से ‘मिशन इंद्रधनुष’ शुरू किया है, इस दिशा में सकारात्मक काम हुआ है।

वह कहते हैं, सरकार ने टीकाकरण पर जोर दिया है, लेकिन समाज में अभी कई भ्रांतिया हैं, जो क्षेत्रीय भी हैं। हमें मेडिकल सोशल इकोनॉमिक बदलाव करने हैं। जैसे-जैसे इकोनॉमी मी बढ़ेगी, सामाजिक बदलाव होंगे और ये भ्रातियां दूर होंगी।

महिला स्वास्थ्य को लेकर सरकार की भूमिका के बारे में पूछने पर वह कहते हैं, सरकार बदलने से तय लक्ष्य नहीं बदलता। हर सरकार की अपनी प्राथमिकता और रास्ते अलग होते हैं, लेकिन लक्ष्य हमेशा एक ही रहता है। हालांकि, मोदी सरकार ने नए वैक्सीन पर जोर दिया है लेकिन गुणवत्ता के बजाय मात्रा पर जोर अधिक है। हमें मात्रा के बजाय गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना होगा, क्योंकि बिना गुणवत्ता के मात्रा का कोई फायदा नहीं होगा।

वह कहते हैं कि समझने की जरूरत यह है कि महिलाओं को भी खुद अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक बनना पड़ेगा, तभी फर्क नजर आएगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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