बिजनेस
पौष्टिक और विविध खाद्य उत्पादन को दें बढ़ावा : एसोचैम-ईवाई शोध
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)| देश को कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एसोचैम-ईवाई की संयुक्त रिपोर्ट में यह सलाह दी गई है कि भारत को पौष्टिक, विविध और लोचदार खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर दो-आयामी रणनीति बनानी चाहिए। एसोचैम और वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म ईवाई (अर्नेस्ट एंड यंग) के संयुक्त अध्ययन ‘अंतराल को कम करना : सर्वोत्कृष्ट पोषण के लिए कृषि क्षमता का दोहन’ में कहा गया, एक दो-आयामी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जहां मांग पक्ष पर, कंपनियों और सरकारों को एक साथ आकर उपभोक्ता संवेदनशीलता अभियान चलाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं के बीच पोषक भोजन को बढ़ावा दिया जा सके, और वहीं दूसरी तरफ विविध और लोचदार खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए ताकि आपूर्ति पक्ष की तरफ उत्पादन की लागत में कटौती हो।
रिपोर्ट में कहा गया कि मैक्रोन्यूट्रिएंट और माइक्रोन्यूट्रिएंट की बड़े पैमाने पर पूरी नहीं हुई जरूरत को देखते हुए भारत को नीतिगत और अभ्यास स्तर पर सुधार करने की जरूरत है, जो यह लोगों को कम कीमत पर पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करे।
रिपोर्ट में कहा गया, पौष्टिकता और कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों को मजबूत करना होगा, जिसमें खेत में कृषि का विविधीकरण, खाद्य उत्पादन, खाद्य सुदृढ़ीकरण, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करना, पौष्टिक भोजन उगाने के लिए स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना और किचन गार्डन को बढ़ावा देना शामिल है।
एसोचैम-ईवाई के अध्ययन में यह भी कहा गया कि संतुलित और विविध आहार के महत्व को लेकर समुदाय के बीच जागरूकता फैलाना, और उन्हें सशक्त बनाना, विशेष रूप से महिलाओं को सशक्त बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे स्वयं और उनके परिवारों के लिए स्मार्ट पोषण विकल्प चुन सकें।
इस रिपोर्ट में ‘जिम्मेदार खेती’ के बारे में भारत के दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि कृषि उत्पादन को बढ़ाना अब इस क्षेत्र के एकमात्र उद्देश्य के रूप में नहीं देखा जा रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, भारत के कुपोषण संकट को हल करने के लिए पोषण संबंधी पर्याप्तता पर ध्यान केंद्रित करना देश का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि यहां दुनिया के 50 फीसदी से ज्यादा कुपोषित बच्चे रहते हैं।
एसोचैम-ईवाई अध्ययन में यह भी कहा कि फसल-तटस्थ कृषि नीति में बदलाव की जरूरत है, जो विशेष रूप में मुख्य वस्तुओं के खेती की तरफ झुकाव पैदा करता है और किसानों को बाजार की मांग के हिसाब से फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इसके अलावा, नीतियों में आबादी के भीतर स्वास्थ्य और सामाजिक असमानता को कम करने, शैक्षिक उपार्जन को बढ़ाने और डब्ल्यूएएसएच (जल, स्वच्छता और स्वच्छता) की सुविधाएं प्रदान करने तथा साथ ही साथ सुरक्षित नौकरियां प्रदान करने जैसी सेवाओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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