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बिजनेस

फिक्स्ड ब्रॉडबैंड स्पीड में भारत 67वें स्थान पर : ऊकला

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नई दिल्ली, 26 मार्च (आईएएनएस)| दुनिया में फिक्सड ब्रॉडबैंड की स्पीड के मामले में भारत का स्थान 67वां है, तथा मोबाइल इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत का स्थान 109वां है। इंटरनेट परीक्षण और विश्लेषण प्लेटफार्म ऊकला ने सोमवार को यह जानकारी दी है। कंपनी के नवीनतम वैश्विक सूचकांक से पता चलता है कि फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के मामले में भारत का प्रदर्शन सुधरा है, जोकि 2017 के नवंबर में 18.82 एमबीपीएस था और 2018 के फरवरी में यह बढ़कर 20.72 एमबीपीएस हो गया। खासतौर से पिछली तिमाही में इसमें सबसे ज्यादा सुधार हुआ।

ऊकला ने एक बयान में कहा, भारत ने फिक्स्ड ब्रॉडबैंड डाउनलोड स्पीड रैंकिंग में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया है, पिछले साल यह 76वें स्थान पर था, जो अब 67वें स्थान पर आ चुका है।

बयान में कहा गया है, मोबाइल इंटरनेट डाउनलोड स्पीड में भारत की रैंकिंग समान है और यह 109वें स्थान पर है। पिछले साल नवंबर में डाउनलोड स्पीड 8.80 एमबीपीएस थी, जो फरवरी में बढ़कर 9.01 एमबीपीएस हो गई।

बयान के मुताबिक, फरवरी में किए गए स्पीडटेस्ट में नार्वे दुनिया में सबसे आगे रहा, जहां मोबाइल इंटरनेट की औसत डाउनलोड स्पीड 62.07 एमबीपीएस रही।

बयान में कहा गया है, फिक्स्ड ब्रॉडबैंड में सिंगापुर सबसे आगे रहा, जहां औसत डाउनलोड स्पीड 161.53 एमबीपीएस रही।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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