खेल-कूद
फिर पिटी विराट एंड कंपनी, 187 रनों पर साउथ अफ्रीका ने समेटा
जोहान्सबर्ग| जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। वंडर्स की विकेट भी तेज उछाल वाली निकली और एक बार फिर तेज गेंदबाजों का कहर देखने को मिला। पहले दिन कुल 11 विकेट गिरे। बुधवार को जल्दी पवेलियन लौटने वाली भारतीय टीम ने पहले दिन खेल खत्म होने से पहले मेजबान दक्षिण अफ्रीका को शुरुआती झटका दे दिया। मेजबान टीम ने दिन का अंत छह ओवरों में छह रनों पर एक विकेट के साथ किया। सलामी बल्लेबाज डीन एल्गर चार रन बनाकर खेल रहे हैं। नाइट वॉचमैन कागिसो रबादा ने 10 गेंद खेलने के बाद अपना खाता नहीं खोला है।
भारत को 187 रनों पर ही समेटने के बाद अपनी पहली पारी खेलने उतरी मेजबान टीम के सलामी बल्लेबाजों को भी गेंद की उछाल और स्विंग ने छकाया। टीम को पहला झटका भुवनेश्वर कुमार ने तीसरे ओवर में एडिन मार्करम (2) को विकेट के पीछे पार्थिव पटेल के हाथों कैच करा कर दिया। इससे पहले, मेजबान टीम के गेंदबाजों का जलवा देखने को मिला जिनके सामने भारत के सिर्फ तीन बल्लेबाज ही दहाई के आंकड़े को छू सके। कप्तान विराट कोहली (54) और चेतेश्वर पुजारा (50) के अलावा भुवनेश्वर ने बहुमूल्य 30 रनों की पारी खेली। हालांकि, कोहली को जीवनदान भी मिला।
भारतीय टीम ने पहले और दूसरे सत्र में दो-दो विकेट खोए। दिन के आखिरी सत्र में वह अपने बाकी के छह विकेट खोकर पवेलियन लौट गई। पहले सत्र में भारत ने 13 के कुल स्कोर पर ही अपने दो विकेट खो दिए थे, लेकिन कोहली ने दबाव में बिखरे बिना अपना स्वाभाविक खेल खेला और पुजारा के साथ तीसरे विकेट के लिए 84 रनों की साझेदारी करते हुए टीम को संभाला। इसी बीच लुंगी नगिडी की एक गेंद कोहली के बल्ले का किनारा लेकर सीधे स्लिप में अब्राहम डिविलियर्स के हाथों में चली गई और इस मौके को डिविलियर्स ने हाथ से जाने नहीं दिया। यहां कोहली की पारी का अंत हुआ। उन्होंने 106 गेंदों पर नौ चौके लगाए।
दो टेस्ट मैचों से बाहर बैठे अंजिक्य रहाणे से सभी को उम्मीदें थीं। उनके स्थान पर पहले दो टेस्ट मैचों में रोहित शर्मा को मौका दिया गया था जिसे लेकर कोहली के टीम चयन पर काफी उंगलियां उठी थीं। लेकिन, रहाणे मौके का फायदा नहीं उठा पाए और 113 के कुल स्कोर पर मोर्ने मोर्केल की गेंद पर पगबाधा करार दे दिए गए।
आउट होने से पहले रहाणे को जीवनदान भी मिला। वर्नोन फिलेंडर द्वारा फेंक गए 49वें ओवर की चौथी गेंद पर रहाणे विकेट के पीछे क्विंटन डी कॉक को कैच दे बैठे थे, लेकिन यह गेंद नो बाल निकली और रहाणे को जीवनदान मिला। लेकिन, रहाणे उसका फायदा नहीं उठा सके।
बेहद धीमा और संभलकर खेल रहे पुजारा ने अपना अर्धशतक पूरा किया लेकिन उसके बाद पवेलियन लौट गए। उनकी मैराथन पारी का अंत आंदिले फेहुलकवायो ने 144 के कुल स्कोर पर क्विंटन डी कॉक के हाथों कैच करा कर किया।
अंत में भुवनेश्वर एक छोर पर खड़े रहे और पार्थिव पटेल (2), हार्दिक पांड्या (0), मोहम्मद शमी (8), ईशांत शर्मा (0) जल्दी-जल्दी पवेलियन लौट लिए। रबादा ने भुवनेश्वर को आउट कर भारतीय पारी का अंत किया।
इससे पहले भारत ने टॉस जीता और कोहली ने तेज गेंदबाजों की मददगार मानी जा रही इस विकेट पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। उनका यह फैसला दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के सामने गलत साबित हुआ जो लगातार अपनी उछाल और स्विंग से मेहमान टीम की सलामी जोड़ी को परेशान कर रहे थे।
भारत को पहला झटका लोकेश राहुल के रूप में लगा। फिलेंडर की एक शानदार इनस्विंग गेंद उनके बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर विकेटकीपर डी कॉक के हाथों में जा समाई। राहुल एक भी रन नहीं बना पाए। वह सात के कुल स्कोर पर आउट हुए।
उनके बाद पुजारा और मुरली विजय (8) ने संघर्ष करने की कोशिश की, लेकिन मेजबान टीम के कप्तान फाफ डु प्लेसिस द्वारा किए गए गेंदबाजी में बदलाव के कारण विजय का संघर्ष ज्यादा देर चल नहीं सका। विजय, कागिसो रबादा की बाहर जाती गेंद पर कवर ड्राइव खेलने गए तभी गेंद उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेकर डी कॉक के हाथों में चली गई। विकेटकीपर ने यहां कोई गलती नहीं की और विजय को पवेलियन लौटना पड़ा।
खेल-कूद
HAPPY BIRTHDAY KING KOHLI : भारतीय क्रिकेट टीम के किंग विराट कोहली आज मना रहे है अपना 36वां जन्मदिन
नई दिल्ली। भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली का आज 36वां जन्मदिन हैं। एक साल से कोहली काफी उतार-चढ़ाव से गुजर रहे हैं। हालिया न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में इस रन मशीन को एक-एक रन के लिए जूझते हुए देखा गया। कोहली ने अब से ठीक एक साल पहले अपने 35वें जन्मदिन पर रिकॉर्ड की बराबरी करने वाला 49वां वनडे शतक बनाया और उसके कुछ दिन बाद ही 50वां वनडे शतक जड़ महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड को तोड़ डाला।
कहां से मिली कोहली को असली पहचान?
विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली में हुआ. वह दिल्ली के उत्तम नगर में पले-बढ़े. बताया जाता है कि सिर्फ 9 साल की उम्र में ही कोहली ने क्रिकेट को अपना लिया था. इसके बाद उन्होंने अपने बचपन के कोच राजकुमार शर्मा से क्रिकेट की बारीकियां सीखीं.
कोहली ने क्रिकेट में धीरे-धीरे कमाल करना शुरू किया. उन्होंने एज ग्रुप क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट की तरफ कदम बढ़ाया. 2006 में कोहली ने करियर का पहला फर्स्ट क्लास मैच दिल्ली के लिए खेला. इसी दौरान कोहली के पिता प्रेम कोहली का निधन हुआ. पिता के निधन के बावजूद कोहली कर्नाटक के खिलाफ खेल रहे मैच में बैटिंग करने के लिए गए और उन्होंने 90 रनों की पारी भी खेली. यहां से कोहली को कुछ पहचान मिली.
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