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हेल्थ

फ्लू फैलने से रोकें, डॉक्टर के पास न जाएं

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नई दिल्ली| दुनियाभर में जहां भी सर्दियों का मौसम आता है वहां पर फ्लू फैलता है क्योंकि एनफ्लुएंजा वायरस ठंडे और खुश्क मौसम में पनपता है। इसके साथ ही सर्द मौसम और नमी की कमी से एनफ्लुएंजा वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ज्यादा तेजी से फैलता है। सर्दियों में भारत का हर तीसरा व्यक्ति बुखार, जुकाम और खांसी से पीड़ित होता है। हर रोज डॉक्टरों के पास आने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो जाती है। जितनी तेजी से फ्लू फैलता है उसके मद्दनेजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) सलाह देता है कि हल्के फ्लू से पीड़ित लोग डॉक्टर के पास जाने की बजाए लाइब्रेट जैसी टेलिमेडिसन सुविधा का लाभ उठाएं। अगर पीड़ित लोग खुद डॉक्टर के पास न जाकर यह रास्ता अपनाएं तो बीमारी के फैलने की संभावना 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

जैसे कि हम सब जानते हैं कि फ्लू हर साल अपना रंग दिखाता है, इसकी वजह इसके कारणों, खतरों, लक्षणों और इलाज के बारे में जागरूकता की कमी है। स्वाइन फ्लू जैसे नई किस्म के फ्लू फैलने से दहशत का माहौल और भी बढ़ रहा है। जिस वजह से भारी संख्या में लोग अस्तपाल पहुंच जाते हैं बिना यह समझे कि वह खुद भी बीमारी को आगे फैला सकते हैं और खुद भी किसी गंभीर वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करते हुए आईएमए के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, “यह जागरूकता फैलाई जानी बेहद आवश्यक है कि फ्लू क्या होता है और इसे कैसे रोका व बचा जा सकता है। अगर बुखार ना हो तो इतका अर्थ है फ्लू नहीं है। फ्लू से पीड़ित व्यक्ति को खांसी, जुकाम और बुखार रहता है। बिना बुखार के खांसी जुकाम एलर्जी हो सकते हैं, जिनका इलाज एंटीहिस्टामाइन्स से किया जा सकता है। हल्के फ्लू के लिए फोन व इंटरनेट के जरिए सहायता ली जा सकती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को फ्लू के साथ-साथ सांस फूलने की शिकायत हो तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।”

डॉ अग्रवाल बताते हैं, “यह जानकारी होना भी जरूरी है कि फ्लू के इलाज के लिए एंटीबॉयटिक्स की आवश्यकता नहीं होती। वह केवल उन्हें दिया जाना चाहिए जिनमें बुखार के साथ गला पकने की शिकायत हो। फ्लू से पीड़ित लोगों को अपने रूमाल या हाथ में खांसी व जुकाम नहीं करना चाहिए। इसकी जगह टीशू पेपर का इस्तेमाल करें और अगर उपलब्ध न हो तो अपनी स्लीव का प्रयोग करें। हाथों को साफ-सुथरा रखना बेहद जरूरी है।”

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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी

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नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.

एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.

डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।

डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।

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