प्रादेशिक
बिहार : अगवा चिकित्सक का सुराग नहीं, आईएमए का विरोध
गया | बिहार के गया जिले के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ़ पंकज कुमार गुप्ता एवं उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता के अपहरण के चार दिन गुजर जाने के बाद भी पुलिस उनके बारे में कोई सुराग हासिल नहीं कर पाई है, जिसके विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गया में मंगलवार को विरोध मार्च निकाला। आईएमए ने अपहृत गुप्ता और उनकी पत्नी का सुराग हासिल करने में पुलिस की नाकामी के विरोध में रैली निकाली, जिसमें बडी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी, व्यवसायी और कई संगठनों के लोग शामिल हुए। यह विरोध रैली आजाद पार्क से शुरू होकर आईएमए हॉल तक पहुंची।
आईएमए बिहार इकाई के अध्यक्ष सहजानंद सिंह ने कहा कि मंगलवार को आईएमए की एक बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने सरकार से गुप्ता और उनकी पत्नी को सुरक्षित वापस लाने की मांग की। बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (भासा) ने आंदोलन की धमकी भी दी है। भासा की सोमवार को हुई एक बैठक में सरकार को अगवा चिकित्सक और उनकी पत्नी की रिहाई के लिए 48 घंटे का समय दिया है। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की धमकी दी है। भासा के अध्यक्ष डॉ़ अजय कुमार ने बताया कि 48 घंटे के अंदर यदि गुप्ता को पत्नी सहित सकुशल रिहा नहीं किया गया तो राज्य में सभी स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी जाएंगी। उन्होंने पुलिस पर भी मामले को नजरअंदज करने का आरोप लगाया। इधर, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस की अलग-अलग टीमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के इलाकों में छापेमारी कर रही है। गुप्ता और उनकी पत्नी के अपहरण के बाद से रिहाई के बदले फिरौती के लिए किसी तरह का कॉल या मैसेज नहीं आया है।
उल्लेखनीय है कि गुप्ता और उनकी पत्नी को गया जिले के जीटी रोड (ग्रैंड ट्रैंक रोड) पर बाराचट्टी के पास से शुक्रवार को उस समय अगवा किया गया था, जब दोनों गिरीडीह (झारखंड) में एक शादी में शामिल होने के बाद अपनी नई कार से गया वापस घर लौट रहे थे। उनके घर नहीं लौटने पर परिजनों ने बाराचट्टी थाना में अपहरण का मामला दर्ज कराया था। गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी़ कन्नन ने मंगलवार को बताया कि जांच में जुटी टीम सुराग के आधार पर कार्रवाई रही है। उन्होंने बताया कि अगवा चिकित्सक के परिवार से अब तक किसी तरह की फिरौती नहीं मांगी गई है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुप्ता के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढाढ़स बंधाया और धीरज रखने का आग्रह किया।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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