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बिहार में थाना प्रभारी 50 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार
पटना, 24 नवंबर (आईएएनएस)| बिहार निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की एक टीम ने शुक्रवार को पश्चिमी चंपारण जिले के एक सहायक थाना के प्रभारी (दारोगा) को 50,000 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक अंजनी कुमार ने बताया कि पश्चिमी चंपारण के बानूछापर सहायक थाना के प्रभारी मोहम्मद याकूब अली अंसारी को 50 हजार रुपये रिश्वत लेते उनके आवास से गिरफ्तार किया गया।
ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि संत कबीर रोड निवासी रंजन कुमार झा को छठ के दिन छठ घाट पर शराब के नशे में हंगामा करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। घटनास्थल पर मौजूद रंजन की कार को भी थाना प्रभारी बगैर जब्ती सूची बनाए थाने में ले गए।
रंजन जब जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आया, तो वह अपनी कार को छुड़ाने थाना पहुंचा। इसके बाद थाना प्रभारी ने उससे बतौर रिश्वत 50 हजार रुपये की मांग की। इसकी शिकायत रंजन ने निगरानी ब्यूरो को दे दी।
मामले की सत्यता जांचने के बाद ब्यूरो ने एक टीम गठित की। शुक्रवार को जैसे ही रंजन रिश्वत के रूप में 50 हजार रुपये थाना प्रभारी को दे रहा था, उसी वक्त निगरानी टीम ने थाना प्रभारी को गिरफ्तार कर लिया।
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी छापेमारी के तहत इस साल 60 से अधिक भ्रष्ट लोकसेवकों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब वे नहीं जीते तो मतलब ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और जब चुनाव जीत गए तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने बताया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में चिंता जताई थी तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हार गए, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी और जब वे जीते, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.
याचिकाकर्ता ने जब कहा कि सभी जानते हैं कि चुनावों में पैसे बांटे जाते हैं, तो पीठ ने टिप्पणी की, “हमें कभी किसी चुनाव के लिए पैसे नहीं मिले।” याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी याचिका में एक और अनुरोध चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को विनियमित करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने और यह सुनिश्चित करने का था कि इस तरह की प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हों। याचिका में जागरूकता बढ़ाने और सूचित निर्णय लेने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान चलाने का निर्देश देने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा, आज 32 प्रतिशत शिक्षित लोग मतदान नहीं कर रहे हैं। यह कितनी त्रासदी है। आने वाले वर्षों में क्या होगा यदि लोकतंत्र इसी तरह खत्म होता रहा और हम कुछ नहीं कर पाए।
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