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आध्यात्म

बिहार में ‘नहाय-खाय’ के साथ छठ महापर्व शुरू

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पटना, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)| बिहार की राजधानी पटना समेत समूचे राज्य में मंगलवार को ‘नहाय-खाय’ के साथ चार दिवसीय लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व शुरू प्रारंभ हो गया। पटना में गंगा तटों पर सुबह से ही छठव्रतियों की भीड़ उमड़ने लगी। पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरुष और महिला अंत:करण की शुद्धि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।

नहाय-खाय को लेकर छठ घाटों से लेकर घरों तक में छठ के गीत गूंज रहे हैं। व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छठ गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। पटना की सड़कों और बाजारों में भी रौनक है। दउरा, सूप, नारियल, ईख समेत फलों की बिक्री के लिए दुकानों में भीड़ लगी है। लोग दुकानों में घी, गुड़, गेहूं और अरवा चावल की खरीदारी कर रहे हैं।

परिवार की समृद्धि और कष्टों के निराकरण के लिए इस महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को छठव्रतधारी दिनभर बिना अन्न-जल ग्रहण किए सूर्यास्त होने पर ‘खरना’ करेंगे। इसमें भगवान भास्कर की पूजा कर चावल, दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद बनाकर ग्रहण करेंगे।

खरना के दिन व्रती तभी तक जल ग्रहण कर सकते हैं, जब तक चांद नजर आएगा। इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जाएगा।

पर्व के तीसरे दिन गुरुवार को को छठव्रती शाम को नदी, तालाबों सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन शुक्रवार को उदीयमान सूर्य के अघ्र्य देने के बाद ही व्रतधारियों का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद व्रतधारी फिर अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करेंगे।

छठ को लेकर पटना में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि सभी घाटों को दंडाधिकारियों और चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। छठ पर्व के मद्देनजर गंगा नदी में दो दिनों (अघ्र्य वाले दिन) के लिए निजी नावों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है।

उन्होंने बताया कि पटना में 100 से ज्यादा गंगा घाटों के अलावा 49 तालाबों में व्रतियों के भगवान भास्कर को अघ्र्य देने की व्यवस्था की गई है। इनमें से कई तालाब विभिन्न पार्को में स्थित है। अग्रवाल ने बताया कि खतरनाक घाटों को पूरी तरह बंद रखा गया है। सभी घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

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आध्यात्म

पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ

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पटना| सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।

भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।

इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।

इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।

इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।

इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।

लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।

 

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