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बीसपुरम : महिलाओं के लिए ‘मुश्किल दिनों’ में ताड़ के पत्ते ही सहारा

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विशाखापट्टनम, 20 नवंबर (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की अनंतगिरि पहाड़ियों से घिरा एक आदिवासी गांव ‘बीसपुरम’ महिला सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल बना हुआ है, लेकिन सशक्तिकरण की मिसाल बन रहीं ये महिलाएं माहवारी के दिनों में ताड़ के पत्ते इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।

यहां की महिलाएं गरीबी, अशिक्षा और अस्वच्छता के बीच पूरे गांव की बागडोर संभाले हुई हैं। 400 की आबादी वाले इस गांव के बीचों-बीच एक चबूतरे पर ग्राम पंचायत लगती है, जिसका आगाज महिलाएं ही करती हैं। गांव के मामले निपटाने से लेकर खेतों में काम करने तक यहां महिलाएं हमेशा ही पुरुषों से आगे रहती हैं।

गांव की ज्यादातर महिलाएं आसपास के कॉफी के बागानों में दिनभर काम करती हैं। यहां के कॉफी बागान महिलाओं के दम पर ही चल रहे हैं।

आईएएनएस जब इस गांव में पहुंचा तो पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और महिला स्वच्छता जैसी पहल के शोरशराबे के बीच यहां की महिलाएं माहवारी के दिनों में ताड़ के पत्तों का इस्तेमाल करती हैं।

ग्रामीण महिला चिगन्ना कहती हैं, माहवारी के वे मुश्किल भरे दिन शुरू होने से एक सप्ताह पहले ही हम खेतों से ताड़ के पत्ते चुनना शुरू कर देते हैं। इतना कपड़ा नहीं है कि कपड़े का इस्तेमाल करें। ऐसे ही चलता है।

यह सिर्फ चिगन्ना की आपबीती नहीं है, बल्कि बीसपुरम के अलावा आसपास के कई आदिवासी गांवों में महिलाओं का यही हाल है। गांव का लगभग हर दूसरा बच्चा कुपोषित नजर आता है, जो मोदी के न्यू इंडिया की पोल खोलता दिखता है।

यह गांव विशाखापट्टनम के लोकप्रिय हिल स्टेशन अराकू वैली से ज्यादा दूर नहीं है। अमूमन, अराकू घूमने आने वाले सैलानी इस गांव का रुख करते हैं और यहां की दरिद्रता एवं महिलाओं के संबल को अपने कैमरे में कैद करके चले जाते हैं।

बीसपुरम के गांव की महिलाओं के हालात यकीनन बदतर हैं, लेकिन उनके हौसले चौंका देते हैं। कई महिलाएं अपने दम पर परिवार चला रही हैं, तो कुछ पति के निकम्मेपन की वजह से काम करने को मजबूर हैं। वहीं, करुणान्नन थुंबा जैसी महिला भी है, जो खुद को पुरुषों से कमतर नहीं समझती।

थुंबा ने आईएएनएस को बताया, मैं कॉफी बागान में काम करती हूं। पति के सहारे की जरूरत नहीं है। जब शादी हुई थी, तो ठान लिया था कि किसी पर बोझ नहीं बनूंगी। मेरा घर मेरी कमाई से चलता है।

मौजूदा समय में आंध्र प्रदेश में 35 आदिवासी समुदाय हैं, जिनकी संस्कृति एक-दूसरे से बहुत अलग है। बीसपुरम में हिंदू बहुल आबादी है, गांव के बीच में प्राचीन शिव मंदिर है। गांव की महिलाएं पारंपरिक तरीके से साड़ी पहनकर यहां पूजा-अर्चना करने आती हैं। यहां की महिलाओं के आभूषण भी कम आकर्षक नहीं हैं! मसलन, नाक में तीन बालियां पहनने का अनूठा रिवाज है।

चिगन्ना कहती हैं, हमें आभूषणों का बहुत शौक है। गांव की हर महिला के पास ढेरों गहने हैं। हम इनके जरिए अपने संस्कारों को जिंदा रखे हुए हैं।

इक्कीसवीं सदी में भी यह गांव देश-दुनिया से कटा हुआ है। राजनीति, डिजिटल इंडिया, न्यू इंडिया जैसे तमाम मुद्दों से यहां के लोगों का कोई सरोकार नहीं है। ये लोग प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं जानते। बीसपुरम की महिलाएं बस इतना चाहती हैं कि उनके बच्चे भूखे पेट न सोएं और वे इसी जद्दोजहद में रोजाना सुबह कॉफी बागान की ओर चल देती हैं।

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महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने दिया इस्तीफा, क्या फडणवीस के सिर सजेगा ताज ?

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मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस दौरान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे। विधानसभा का कार्यकाल आज यानी 26 नवंबर तक ही है। नए मुख्यमंत्री की शपथ की तारीख तय नहीं है। तब तक शिंदे कार्यवाहक सीएम रहेंगे।

इस बीच महाराष्ट्र में अगली सरकार के गठन की रूपरेखा लेकर चर्चा तेज हो गई है। खबर है कि गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर सकते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले ‘महायुति’ गठबंधन ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 235 सीट हासिल की हैं। जिसमें बाजेपी अकेली 135 सीटों पर कब्जा कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

बीजेपी की महाराष्ट्र में ये अब तक की सबसे बड़ी जीत है। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 41 सीट पर जीत दर्ज की है। मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे है।

 

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