खेल-कूद
बैडमिंटन : श्रीकांत, सिंधु ने सुर्खियां बटोरीं, फॉर्म में लौटीं सायना (सिंहावलोकन-2017)
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| यह साल भारतीय बैडमिंटन के लिए बेहद खास रहा, जहां एक ओर किदांबी श्रीकांत और पी.वी. सिंधु अपने अच्छे प्रदर्शन के दम पर सुर्खियों में बने रहे, वहीं सायना नेहवाल भी फॉर्म में लौटीं।
श्रीकांत और सिंधु ने न केवल खिताब जीते, बल्कि कई ऐतिहासिक उपलब्धियां भी अपने नाम कीं और इसके लिए भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) ने उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा।
हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण लेने वाले श्रीकांत अन्य पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी बने और उन्होंने कई उपलब्धियां अपने नाम कीं।
श्रीकांत के लिए हालांकि, साल की शुरुआत धीमी थी। शुरुआत में कुछ टूर्नामेंट में उन्हें निराशा हाथ लगी। इनमें सैयद मोदी ग्रां.प्री और इंडिया ओपन रहे। लेकिन, 18 जून को इंडोनेशिया ओपन जीतकर श्रीकांत ने अपनी लय हासिल की। उन्होंने केवल यह खिताब नहीं जीता, बल्कि इसे अपने नाम करने वाले भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी बन गए।
राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच गोपीचंद के शिष्य श्रीकांत का सफर यहीं नहीं रुका। इसके बाद उन्होंने आस्ट्रेलिया ओपन में भी जीत हासिल की। इन दोनों खिताबों को जीतने से पहले वह सिंगापुर ओपन के फाइनल तक का सफर तय कर गए थे।
कई दिग्गजों को मात देते हुए एक टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंचने और दो टूर्नामेंटों में खिताबी जीत हासिल करने वाले श्रीकांत विश्व रैंकिंग में 22वें स्थान से बड़ी छलांग लगाते हुए शीर्ष 10 खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गए।
विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में उन्हें निराशा हाथ लगी। वह क्वार्टर फाइनल में हारकर बाहर हो गए।
श्रीकांत ने इसके बाद डेनमार्क ओपन और फ्रेंच ओपन सुपरसीरीज खिताब जीता। वह एक साल में चार सुपरसीरीज खिताब जीतने वाले चौथे खिलाड़ी बन गए। उन्होंने इस क्रम में लिन डान, ली चोंग वेई और चेन लोंग की बराबरी कर ली। उन्होंने इन उपलब्धियों से अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिग हासिल की। वह विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर पहुंचे। वर्तमान में वह तीसरे स्थान पर हैं।
अगर सिंधु की बात की जाए, तो उन्होंने इंडिया ओपन का खिताब जीतकर साल की अच्छी शुरुआत कर ली थी। उन्होंने अपने प्रदर्शन को सुधारते हुए विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में रजत पदक हासिल किया। यह विश्व चैम्पियनशिप में उनके करियर का पहला रजत पदक था। इससे पहले, उन्होंने 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीते थे।
इसके अलावा, सिंधु ने सैयद मोदी इंटरनेशनल ओपन, कोरिया ओपन और इंडिया ओपन का खिताब जीता। वह हांगकांग ओपन के फाइनल में भी पहुंची थीं।
सिंधु के विश्व चैम्पियनशिप और दुबई वल्र्ड सुपरसीरीज के फाइनल मैच सबसे अधिक सुर्खियों में रहे। इन दोनों मैचों में उन्होंने जापान की खिलाड़ियों के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया और जीत से केवल एक कदम दूर रह गईं। विश्व चैम्पियनशिप में जापान की नोजोमी ओकुहारा और दुबई वर्ल्ड सुपर सीरीज में जापान की अकाने यामागुची ने सिंधु के दमदार खेल की सराहना भी की।
अपने अच्छे प्रदर्शन से सिंधु ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनाई। आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद से नवाजा।
ओलम्पिक खेलों की कांस्य पदक विजेता और पूर्व शीर्ष विश्व वरीयता प्राप्त सायना नेहवाल इस साल अपने फॉर्म में लौटती हुई दिखाई दीं। मलेशिया ओपन खिताब जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि उनकी चमक अब भी बरकार है।
सायना ने इसके बाद विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। उन्होंने पिछले साल भी विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था।
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय बैडमिंटन चैम्पियनशिप में सिंधु को हराकर खिताबी जीत हासिल की और एक बार फिर शीर्ष-10 खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गईं।
सायना ने पुलेला गोपीचंद अकादमी में वापसी कर मीडिया गलियारों में हलचल मचा दी थी। उल्लेखनीय है कि डेनमार्क में 2014 विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के क्वार्टरफाइनल में हारने के बाद सायना कोच गोपीचंद से अलग हो गई थीं, जो पहली बार हुआ था। इन मतभेदों ने भी मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थीं।
ऐसे में गोपीचंद अकादमी में वापसी के बाद सायना ने कहा कि वह अपने उस मुकाम को फिर से हासिल करने आई हैं, जहां एक समय पर वह हुआ करती थीं।
गोपीचंद से अलग होने के बाद सायना ने बेंगलुरु में विमल कुमार के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण का फैसला किया था। विमल के मार्गदर्शन में उम्मीद के मुताबिक परिणाम न पाकर आखिरकार सायना ने गोपीचंद की छत्रछाया में जाने का फैसला किया।
श्रीकांत, सिंधु और सायना के अलावा, बी. साई. प्रणीत और एच.एस. प्रणॉय भी सुर्खियों में रहे। प्रणीत ने थाईलैंड और सिंगापुर ओपन का खिताब जीता, वहीं प्रणॉय ने इंडोनेशिया ओपन में अपना परचम लहराया और अमेरिका ओपन के फाइनल तक का सफर तय किया।
प्रणॉय ने प्रीमियर बैडमिंटन लीग में सबसे महंगे खिलाड़ी बनने का गौरव भी प्राप्त किया। विदेशी और घरेलू खिलाड़ियों में सबसे महंगे बिके प्रणॉय इस लीग में नई टीम अहमदाबाद स्मैश मास्टर्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्हें अहमदाबाद की टीम ने 62 लाख रुपये में खरीदा था।
खेल-कूद
IPL Auction: 13 साल के वैभव सूर्यवंशी ने रचा इतिहास, बन गए सबसे युवा करोड़पति
पटना। बिहार के वैभव सूर्यवंशी ने महज 13 साल की उम्र में इतिहास रच दिया है। वैभव को आईपीएल मेगा नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने 1.1 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। 13 साल 243 दिन की उम्र में वैभव आईपीएल के इतिहास में सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स उन्हें अपने साथ जोड़ने में दिलचस्पी दिखाई। राजस्थान ने 1.1 करोड़ रुपये में अपने साथ जोड़ा।
वैभव ने हाल ही में सबका ध्यान अपनी ओर खींचा जब वह अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज (13 वर्ष, 288 दिन) बने। उन्होंने चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ भारत अंडर-19 के लिए खेले गए यूथ टेस्ट में 62 गेंदों पर 104 रन बनाए। बाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने 58 गेंदों पर शतक बनाया। यह किसी भारतीय का सबसे तेज यूथ टेस्ट शतक और दुनिया में दूसरा सबसे तेज शतक था।
वैभव एक बेहतरीन खिलाड़ी है और उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 आईपीएल में वह जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे। वैभव की बात करें तो वह बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं। महज 13 साल के बेटे के करोड़पति बनने के बाद उनके पिता भावुक नजर आ रहे हैं।
एक मीडिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने कहा कि अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया। अपनी खेती तक की जमीन बेच दी ताकि वैभव क्रिकेट खेल सके और अपना करियर बना सके। वैभव के बारे में बात करते हुए पिता ने बताया कि उसे हमेशा से क्रिकेट में रूचि थी और वह महज 5 साल का था, तब से क्रिकेट खेल रहा है। वैभव को उनके पिता ने ही घर में नेट प्रैक्टिस करवाई, जिसके बागद समस्तीपुर क्रिकेट एकेडमी भेजा। उनके पिता ने बेटे की कामयाबी के लिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी का भी शुक्रिया किया।
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