नेशनल
भाजपा हुकूमत कांग्रेस से भी जहरीली : अन्ना हजारे
आंदोलन करने को कहकर बार-बार पलटी मारने वाले विख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे एक बार फिर आंदोलन की हुंकार भर रहे हैं।
कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले अन्ना आजकल उनसे खासे नाराज हैं। मोदी को उन्होंने अब सबसे नाकारा पीएम तक कह डाला है, जिसकी अहम वजह अन्ना के खत का पीएम का जबाव न देना है।
लोकपाल के मुद्दे पर वह प्रधानमंत्री को लगातार खत लिख रहे हैं, पर मोदी उनके किसी खत का जवाब नहीं दे रहे हैं। इसलिए अन्ना ने अब 2011 जैसे आंदोलन की फिर से चेतावनी दी है।
अन्ना इससे पहले भी वह कई बार आंदोलन करने की बात कह चुके हैं, जो बाद में हवा-हवाई साबित हुई। लेकिन इस बार उन्होंने महात्मा गांधी की समाधि पर जाकर, कसम खाकर आंदोलन करने की बात कही, इसलिए भरोसा किया जाना चाहिए। इस मौके उन्होंने विस्तृत बातचीत की।
मैंने सवाल किया, आंदोलन करूंगा, ये कहकर आप खलबली मचा देते हैं और चुपचाप बैठ जाते हैं। ऐसे में तो आपकी गंभीरता कम हो जाएगी। क्या इस बार पक्का आंदोलन करेंगे?
उन्होंने कहा, शत प्रतिशत होगा इस बार आंदोलन। मैं पलटी नहीं मारता था, नेता चालाकी से मुझे सभी मुद्दे पूरा करने को कहकर शांत करा देते थे। मुझे जनता में झूठा बनाने की ये उनकी सोची समझी तरकीब थी।
अन्ना ने कहा, जिस उम्मीद के साथ देश की जनता ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर चुना था, उस पर वह खरा नहीं उतर सके। मौजूदा अर्थव्यवस्था डावांडोल हो गई है। काम-धंधे चौपट हो गए हैं। सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत के काम नहीं होता। नोटबंदी के बाद मैंने सरकार के कई मंत्रियों से पूछा कि इससे विदेशों में जमा कितना काला धन भारत आया, तो कोई जबाव नहीं देता। ऐसे कई गंभीर मुद्दे हैं, जिनका मैं जवाब मांगता रहा हूं, लेकिन कोई जबाव देने को राजी नहीं। शायद प्रधानमंत्री ने मुझसे बात करने के लिए सभी को मना कर दिया है।
उन्होंने कहा, मैंने पिछले 6-7 महीनों में कई बार मोदी को खत भेजे हैं, किसी का उन्होंने जबाव देना उचित नहीं समझा। मैं पूछना चाहता हूं आखिर क्यों नहीं उत्तर देते हो। मैं अपने लिए थोड़ी न कुछ मांग रहा हूं। जीएसटी लगाने के बाद व्यापारियों को कितनी तकलीफ सहनी पड़ रही है, इसका अंदाजा भी नहीं है प्रधानमंत्री को। रोजाना व्यापारी मुझसे मिलते हैं और कहते हैं कि हमारी आवाज बुलंद करो, क्योंकि उनकी बात सरकार नहीं सुनती।
आंदोलन करने की कोई तारीख तय की है? जवाब में अन्ना ने कहा, इस साल दिसंबर के अंत में या शुरुआती साल के पहले महीने में मैं फिर से आपको रामलीला मैदान में बैठा दिखाई दूंगा।..और मुझे यह भी पता है कि इस बार आंदोलन को असफल बनाने के पूरे प्रयास किए जाएंगे। रामलीला मैदान में लोगों को पहुंचने से भी रोका जाएगा। मेरे पास इस तरह की खबरें आ रही हैं।
उन्होंने कहा, मौजूदा सरकार कांग्रेस सरकार से भी जहरीली दिख रही है। कांग्रेस सरकार में कम से कम बात सुनी तो जाती थी, वह अलग बात है कि उस पर अमल नहीं होता था। लेकिन मोदी सरकार अपने घमंड में इतनी चूर हो गई है कि किसी से बात करना भी उचित नहीं समझती।
वर्ष 2011 के आंदोलन में आपको अभूतपूर्व जनसमर्थन मिला था, जिसमें भाजपा-आरएसएस का भी समर्थन शामिल था। आपको उम्मीद है आगे भी ऐसा ही समर्थन मिलेगा?
मैं आज भी पहले जैसा ही फकीर हूं। उस वक्त मेरे साथ जो लोग थे, उनकी मंशा कुछ और थी। वे सभी आंदोलन की आड़ में अपना उल्लू सीधा करना चाहते थे, वैसा किया भी। मुझे दिखावे की भीड़ नहीं चाहिए। दूसरे आंदोलन के लिए मुझे नि:स्वार्थ आंदोलनकारियों की जरूरत होगी। लोग मेरे साथ आज भी हैं। देश के भीतर जो समस्या 2011 में थी, वह सभी ज्यों की त्यों हैं। कोई फर्क या सुधार नहीं हुआ। लोगों के भीतर फिर वैसी ही नाराजगी है।
अब लोगों में मोदी के प्रति प्यार नहीं, बल्कि डर घुस गया है। उनके मंत्रियों की भी कोई मजाल नहीं कि उनके फैसले पर उंगली उठा सके। जिस-जिसने ऐसा किया, उसका हाल हम-आप देख ही चुके हैं।
आपकी लोकपाल की मांग को सरकार ने तकरीबन नकार दिया है। इसकी कोई खास वजह?
ठंडे बस्ते में पड़ा है लोकपाल का मसौदा। छह बार संसद के पटल पर आ चुका है, लेकिन उसे लागू करने में सरकार के हाथ कांप रहे हैं। उनको पता है, लोकपाल को लागू करने का मतलब उनके खुद के गले में फांसी का फंदा डालना होगा। सरकार के आधे मंत्री जेल में होंगे। बाकी दलों के नेताओं की तो बात ही न करो।
लोकपाल के लिए 2012 में हमने जो मसौदा तैयार करके भेजा था, उसे पूरा बदल दिया गया है। अब जो है, वह कूड़ा है। जिन राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किए गए हैं, वे सफेद हाथी के सिवाय कुछ नहीं हैं। मुझे कोई बताए कि मोदी के आने के बाद उन्होंने अपनी कार्रवाई से किसी नेता को जेल भेजा हो। सभी लोकायुक्त सरकारों के हिस्सा बन गए हैं।
आंदोलन पार्ट-2 में क्या आप केजरीवाल या उनके साथियों को शामिल करेंगे?
मुझसे होशियारी दिखाके उनको जो हासिल करना था, उन्होंने हासिल कर लिया। लोकपाल बनाने की पहली मांग अरविंद की थी, पर दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद वह पलटी मार गए। आज वह इस मुद्दे पर बात करना भी मुनासिब नहीं समझते। उनके दूसरे साथी जो राजनीति को कभी कीचड़ कहते थे, आज सभी उसी दलदल में समाए हुए हैं। दरअसल, उन सबका मकसद राजनीति में ही जाना था, जिसे मैं भांप नहीं पाया। लेकिन आगामी आंदोलन में उनको शामिल नहीं किया जाएगा। सबको दूर रखा जाएगा।
आप पर आंदोलन की सार्थकता को खत्म करने का आरोप लग चुका है, क्या कहेंगे?
मैं इस आरोप को काफी हद तक सही मानता हूं। दरअसल, 2011 का आंदोलन हाईजैक हुआ था। जो लोग उस आंदोलन में जुड़े थे, उन्होंने लोगों के विश्वास को तोड़ा है। अपने स्वार्थ के लिए लोगों की संवेदानाओं की भी हत्या कर दी। मैं मानता हूं कि लोगों का विश्वास आंदोलनों के प्रति कम हुआ है। मेरे आंदोलन का भी वही हश्र हुआ, जो कभी जेपी आंदोलन का हुआ था। (आईएएनएस/आईपीएन)
अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन
डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।
डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।
बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।
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