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भारतीय क्रिकेट को कई सचिन, युवराज दे सकता है एनएससीएल

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नई दिल्ली, 28 मई । स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसजीएफआई) द्वारा पहली बार आयोजित किया जा रहा नेशनल स्कूल क्रिकेट लीग एनएससीएल) आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह, सुरेश रैना, दिलीप वेंगसरकर और विनोद काम्बली जैसे कई स्टार दे सकता है।

स्कूली प्रतिभाओं के लिए खासतौर पर तैयार किए गए इस विश्वस्तरीय प्लेटफार्म की संरचना कुछ इस तरह से की गई है कि इसके माध्यम से आने वाले समय में कई स्टार भारतीय क्रिकेट की पटल पर निकलेंगे और दुनिया भर में छा जाएंगे। एसजीएफआई ने इसे सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारी कर ली है और इस अहम मुहिम की शुरूआत जुलाई में चंडीगढ़ और जयपुर में होने वाले ट्रॉयल्स के साथ हो रही है।

एनएससीएल का आयोजन इस साल होना है और इसमें देश भर की 16 शहरी टीमों के बीच वर्चस्व की लड़ाई होगी। इनमें से 24 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा, जो एसजीएफआई द्वारा आयोजित कैम्प में हिस्सा लेंगे। इस कैम्प से 16 खिलाड़ियों का चयन होगा, संयुक्त अरब अमीरात में होने वाले एशियाई स्कूल क्रिकेट चैम्पियनशिप में एसजीएफआई के बैनर तले भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

यह कहने की बात नहीं कि स्कूलों से हमेशा ही क्रिकेट में बेहतरीन प्रतिभाएं सामने आई हैं। सचिन से लेकर काम्बली तक और युवराज, रैना, मोहम्मद कैफ से लेकर लालचंद राजपूत तक, सबने स्कूल क्रिकेट से निकलर वैश्विक प्लेटफार्म पर देश का प्रतिनिधित्व किया और नाम कमाया। अब भारत के स्कूलों की प्रतिभाओं के सामने एनएससीएल नाम का एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो उन्हें गुमनामी की दुनिया से निकलकर अपनी चमक बिखेरने का मौका देगा।

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व मुख्य चयनकर्ता वेंगसरकर भी इन्हीं में से एक हैं। वेंगसरकर को एनएससीएल के लिए मेंटॉर बनाया गया है। वह एनएससीएल के माध्यम से प्रतिभा की खोज में प्रमुख भूमिका अदा करेंगे। वेंगसरकर की प्रमुख रोल यह तय करना होगा कि कोई भी अच्छी प्रतिभा छूट न जाए। वह अंतिम रूप से चुने गए खिलाड़ियों के साथ 15 दिनों का कैम्प लगाएंगे और उन्हें स्टार बनने के गुण सिखाएंगे।

एनएससीएल एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो स्कूली छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का भरपूर मौका देगा। ऐसा नहीं है कि अंतिम रूप से 24 खिलाड़ियों का चयन नॉकआउट, सेमीफाइनल या फिर फाइनल में पहुंचने वाली टीमों से ही होगा। अगर कोई खिलाड़ी ग्रुप स्तर पर चमकदार प्रदर्शन करता है और उसकी टीम हार भी जाती है तो भी चयनकर्ता उसका चयन कर सकते हैं।

वेंगसरकर उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं जब राजपूत और अन्य दूसरे भारतीय खिलाड़ी स्कूली प्रतियोगिता के तहत लार्डस स्टेडियम में खेले। वेंगसरकर ने कहा, मुझे अब भी याद है कि राजपूत व दूसरे कई खिलाड़ी स्कूली प्रतियोगिता में ऐतिहासिक लार्डस में खेले थे। एनएससीएल आज की तारीख में स्कूली छात्रों को इसी तरह का प्लेटफार्म उपलब्ध कराने को लेकर कृतसंकल्प है। एनएससीएल भारतीय क्रिकेट को भविष्य का सचिन और युवराज दे सकता है। इसी परिकल्पना के साथ इसे गढ़ा गया है।

भारत ने स्कूली क्रिकेट प्रतियोगिताओं में अनके खिताब जीते हैं। साल 2005 में भारतीय स्कूली टीम ने आस्ट्रेलिया में आयोजित राष्ट्रमंडल स्कूल क्रिकेट प्रतियोगिता जीती थी।

इसे पहले और इसके बाद भी स्कूली क्रिकेट का वर्चस्व जारी रहा। युवराज, रतिंदर सिंह सोढ़ी, कैफ, रैना कहीं न कहीं स्कूली क्रिकेट से जुड़े रहे हैं और फिर सचिन और काम्बली की उस 664 (नाबाद) रनों की रिकार्ड साझेदारी को कौन भूल सकता है, जो उन्होंने 1988 में आजाद मैदान पर अपने स्कूल शारदाश्रम विद्यामंदिर के लिए सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ बनाई थी।

इस साझेदारी ने सचिन और काम्बली को रातों-रात स्टार बना दिया। इसी के दम पर सचिन ने अगले ही साल भारतीय टीम में प्रवेश किया और फिर कुछ समय बाद काम्बली ने भी भारतीय टीम में जगह बनाई। एनएससीएल आज के स्कूली छात्रों को कुछ इसी तरह का प्लेटफार्म मुहैया कराने को लेकर कृतसंकल्प है, जिसके माध्यम से वे शीर्ष स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने के अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।

एसजीएफआई ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। देश भर से 16 टीमों के चयन के लिए जुलाई में 20 शहरों में तीन दिवसीय क्रिकेट ट्रायल आयोजित होगा। हर शहर से 16 खिलाड़ियों के अलावा एसजीएफआई पैनल चार स्टैंडबाई खिलाड़ियों का भी चयन करेगा। इसमें 12 से 18 साल के खिलाड़ी शिरकत कर सकते हैं।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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