मुख्य समाचार
मप्र : पूर्व अध्यक्षों से अलग नहीं कमलनाथ!
भोपाल 15 जून (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान कमलनाथ को सौंपे जाने के बाद 20 जिलों और शहरों के अध्यक्ष बदले गए। मगर शहडोल जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता को महज एक पखवाड़े में ही हटाना पड़ा। इससे कांग्रेस के भीतर और बाहर लगातार एक सवाल उठ रहा है कि क्या कमलनाथ की स्थिति भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों जैसी ही है, जो बड़े नेताओं के दवाब से अपने को बाहर नहीं निकाल पाए और पद से रुखसत हो गए।
राज्य में कांग्रेस बीते तीन दशकों से गुटों में बंटी हुई है, इसे कोई नकार नहीं सकता। इलाकाई क्षत्रपों के आगे कांग्रेस की स्थिति ठीक वैसी ही रही है, जैसी समाज में गरीबों की है। कई नेता तो ऐसे हैं, जो भोपाल आते थे, होटल या कॉफी हाउस में बैठकें करके चले जाते थे, वे वषरें प्रदेश कार्यालय तक नहीं आए।
राजनीति के जानकारों की मानें तो कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद लगा था कि कांग्रेस में अब दवाब और गुटबाजी कम हो जाएगी। पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत की सहमति से कमलनाथ ने 20 जिला और शहर अध्यक्षों की 22 मई को घोषणा की। इसमें शहडोल के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता को महज एक पखवाड़े के भीतर हटाना पड़ा, क्योंकि एक दिग्गज नेता ने इसे प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था और कमलनाथ पर गुप्ता को हटाने का दवाब बनाया।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख मानक अग्रवाल ने आईएएनएस से कहा, गुप्ता दूसरे दल से कांग्रेस में आए थे, उनका स्थानीय स्तर पर विरोध था, वे नहीं चाहते थे कि कमलनाथ पर किसी तरह का प्रभाव पड़े, लिहाजा उन्होंने स्वयं पद से इस्तीफा दिया। उन पर किसी का दवाब नहीं था।
वहीं, गुप्ता का कहना है कि एक विधायक जो बड़े नेता हैं, उनकी इच्छा नहीं थी कि वे अध्यक्ष रहें। उन्होंने कहा कि उनके (गुप्ता) नेता कमलनाथ हैं, और वे पूरी तरह कमलनाथ के लिए काम करते हैं, लिहाजा उन्होंने पद छोड़ दिया।
इससे पूर्व के अध्यक्ष अरुण यादव के साढ़े चार साल के कार्यकाल पर नजर दौड़ाएं तो एक बात साफ हो जाती है कि वे राज्य के 26 जिला और शहर अध्यक्षों को बदलना चाहते थे, मगर बड़े नेताओं के दखल के चलते वे तमाम कोशिशों के बाद भी अपने अनुरूप कांग्रेस को नहीं चला पाए। संगठन की मजबूती के लिए कई प्रस्ताव बनाए, हाईकमान को भेजे मगर बड़े नेताओं ने वहां भी पेंच फंसाया।
वर्तमान हालात को देखकर यही लगता है कि अरुण यादव की पार्टी में जो स्थिति थी, उससे बहुत बेहतर स्थिति कमलनाथ की नहीं लगती है। यही कारण है कि अपनी पसंद के जिलाध्यक्ष को सिर्फ इसलिए हटाना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को गुप्ता पसंद नहीं। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि जिसे जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह भी कभी कांग्रेस से बगावत कर तिवारी कांग्रेस से विधानसभा का चुनाव लड़े थे।
कमलनाथ को अध्यक्ष बने लगभग दो माह का वक्त गुजर चुका है, मगर अब तक न तो प्रदेश कार्यकारिणी बन पाई है और न ही विकासखंड अध्यक्षों की नियुक्ति हो पाई है। कमलनाथ का पक्ष जानने की कई कोशिश की गई, मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
वरिष्ठ पत्रकार साजी थॉमस का कहना है, राज्य की कांग्रेस में गुटबाजी खत्म हो जाएगी, ऐसी कल्पना बेमानी है। जब दूसरे अध्यक्ष रहे हैं तब कमलनाथ अपने लोगों की पैरवी करते रहे, अब वे अध्यक्ष हैं तो दूसरे नेता भी अपने समर्थकों की पैरवी कर रहे हैं और विरोधी का विरोध दर्ज करा रहे हैं। लिहाजा कांग्रेस में अध्यक्ष कोई भी हो जाए, गुटबाजी खत्म करना आसान नहीं। साथ ही कांग्रेस में अपनी ताकत दिखाने अध्यक्ष को सख्त फैसले लेने होंगे। कोई भी दल कार्पोरेट कल्चर पर चल नहीं सकता, यह भी कांग्रेस नेताओं को समझना होगा।
राज्य में चुनाव महज पांच-छह माह दूर है और कांग्रेस अब भी गुटबाजी के भंवरजाल में उलझी हुई है। जिस दल की कार्यकारिणी, निचले स्तर पर अध्यक्षों के चयन में दिक्कत आ रही है, वह दल चुनाव में कितनी ताकत दिखा पाएगा, यह सवाल उठना लाजिमी है। कार्यकर्ता और दक्ष पदाधिकारी ही पार्टी की ताकत होते हैं, मगर कांग्रेस अबतक ऐसे लोगों को खोजने में नाकाम रही है।
मुख्य समाचार
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
-
मनोरंजन3 days ago
क्या श्वेता तिवारी ने कर ली है तीसरी शादी, जानें इस खबर की सच्चाई
-
नेशनल3 days ago
धीरेन्द्र शास्त्री की एकता यात्रा आज से शुरू, सीएम मोहन यादव और भोजपुरी सिंगर खेसारी लाल यादव ने भेजी शुभकामनाएं
-
नेशनल3 days ago
पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर
-
ऑफ़बीट3 days ago
IND VS AUS: ताश के पत्तों की तरह बिखरा भारत का बैटिंग आर्डर, पूरी टीम 150 रनों पर ढेर
-
ऑफ़बीट2 days ago
बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
-
खेल-कूद3 days ago
IND VS AUS: पर्थ में भारतीय गेंदबाजों का कहर, बैकफुट पर ऑस्ट्रेलिया, 67 रनों पर गंवाए 7 विकेट
-
छत्तीसगढ़3 days ago
सीएम विष्णुदेव साय ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, पत्नी भी थीं साथ
-
Success Story3 days ago
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में शिया मुसलमानों से भरी पैसेंजर वैन पर आतंकी हमला, 50 की मौत