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मप्र में किसानों का आंदोलन उग्र, सरकार की पहल से संगठनों में फूट
भोपाल/उज्जैन, 4 जून (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में किसानों का आंदोलन चौथे दिन भी जारी रहा और उसने उग्र रूप ले लिया।
कई स्थानों पर पथराव किया, सब्जी फेंकी और हंगामा किया। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भारतीय किसान संघ से चर्चा करने से संगठनों में फूट पड़ गई है। संघ ने जहां आंदोलन स्थगित कर दिया है वहीं अन्य संगठनों ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। किसानों के आंदोलन के चौथे दिन रविवार को सीहोर, रतलाम में किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया और उनकी पुलिस से झड़प भी हुई। पुलिस ने जहां लाठीचार्ज किया वहीं किसानों ने पथराव किया, जिससे कई पुलिस जवानों को चोटें आई हैं। इसके अलावा झाबुआ, शाजापुर, मंदसौर, आगर-मालवा, उज्जैन, इंदौर में भी किसानों ने विरोध दर्ज कराया।
राज्य के किसान कर्ज माफी, फसल के उचित दाम सहित कई अन्य मांगों को लेकर एक जून से हड़ताल पर हैं उन्होंने इसे 10 दिन अर्थात 10 जून तक जारी रखने का ऐलान किया है। हड़ताल के दूसरे दिन से ही आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ने लगा था, हड़ताल के चौथे दिन रविवार को स्थितियां और भी बिगड़ गई।
इस हड़ताल का कोई बड़ा संगठन नेतृत्व नहीं कर रहा है। भारतीय किसान यूनियन ने आह्वान किया था, मगर स्थानीय स्तर पर अलग-अलग संगठन आंदोलन को संचालित कर रहे हैं। जगह-जगह दूध सड़कों पर बहाया जा रहा है और सब्जियों को सड़कों पर फेंकने का दौर जारी है। रविवार को भी सीहोर में किसानों ने केले से भरे ट्रक से केलों को सड़कों पर फेंक दिया, सब्जियां सड़कों पर बिखरा दी, राजधानी और इंदौर सहित अन्य स्थानों पर दूध की किल्लत बढ़ गई।
किसान आंदोलन के चौथे दिन सरकार ने सकारात्मक रुख दिखाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को उज्जैन में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों से चर्चा की और प्याज आठ रुपये प्रति किलो खरीदने और मूंग की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने का भरोसा दिलाया।
भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री शिवकांत दीक्षित ने संवाददाताओं को बताया है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन पर हड़ताल को स्थगित कर दिया गया है। जब उनसे पूछा गया कि यह आंदोलन तो दूसरे संगठन चला रहे थे और आपने शनिवार को समर्थन ही दिया था, फिर आप यह फैसला कैसे ले सकते हैं, इस पर उनका कहना था कि उनका आंदोलन तो किसानों की मांग को लेकर मई से चल रहा है।
ज्ञात हो कि राज्य में भारतीय किसान यूनियन, किसान सेना, आम किसान यूनियन सहित अन्य किसान संगठन अगल-अलग स्थान पर चार दिन से आंदोलन कर रहे हैं, किसान संघ शुरुआत में आंदोलन के साथ नहीं था मगर शनिवार को उसने इस आंदोलन का समर्थन किया। संघ का नाता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से है।
किसान संघ द्वारा आंदोलन स्थगित किए जाने के ऐलान का भारतीय किसान यूनियन ने विरोध किया। यूनियन के महासचिव अनिल यादव ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा, सोमवार को वे संघ का पुतला दहन करेंगे। संघ तो भाजपा का ही संगठन है। संघ तो इस आंदोलन में शामिल ही नहीं है।
वहीं आम किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य केदार सिरोही का कहना है कि आंदोलन जारी रहेगा, सरकार जब तक सभी मांगे नहीं मान लेती है तब तक किसान सड़कों पर ही रहेंगे। आंदोलन के बढ़ते प्रभाव से परेशान होकर सरकार ने किसान संघ के साथ मिलकर साजिश रची है जो कामयाब नहीं होगी।
पूर्व विधायक और किसान नेता डा सुनीलम ने किसान संघ की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि संघ का चरित्र ही यह रहा है कि किसानों के आंदोलनों को कमजोर किया जाए, उसने एक बार फिर वही किया है, मगर उसका वास्तविक चेहरा सामने आ चुका है, जिसके चलते किसान आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
किसानों ने शनिवार की रात को इंदौर के अलावा रतलाम, उज्जैन आदि में उग्र हो गए। इंदौर में कई वाहनों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की, जिस पर पुलिस को लाठीचार्ज कर आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को छिंदवाड़ा में किसानों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके साथ है। साथ ही आरोप लगाया कि इस आंदोलन में कुछ कांग्रेसी घुस आए हैं, जो उत्पात मचा रहे हैं।
वहीं प्रशासन भी इस हड़ताल को लेकर चिंतित है। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने शनिवार को प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों से जिलों की जानकारी प्राप्त करते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए। ज्ञापन, धरना-प्रदर्शन के दौरान पर्याप्त सतर्कता बरती जाए।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिलों में किसानों के साथ बातचीत कर स्थानीय समस्याओं का निराकरण किया जाए। नागरिकों को दूध एवं आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में दिक्कत नहीं हो, इस बावत पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाएं।
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महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने दिया इस्तीफा, क्या फडणवीस के सिर सजेगा ताज ?
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस दौरान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे। विधानसभा का कार्यकाल आज यानी 26 नवंबर तक ही है। नए मुख्यमंत्री की शपथ की तारीख तय नहीं है। तब तक शिंदे कार्यवाहक सीएम रहेंगे।
इस बीच महाराष्ट्र में अगली सरकार के गठन की रूपरेखा लेकर चर्चा तेज हो गई है। खबर है कि गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर सकते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले ‘महायुति’ गठबंधन ने 288 सदस्यीय विधानसभा में 235 सीट हासिल की हैं। जिसमें बाजेपी अकेली 135 सीटों पर कब्जा कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
बीजेपी की महाराष्ट्र में ये अब तक की सबसे बड़ी जीत है। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीट पर जीत हासिल की और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने 41 सीट पर जीत दर्ज की है। मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे है।
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