बिजनेस
मिडिल क्लास को लुभा रही हीरे की चमक
नई दिल्ली। भारतीय महिलाओं का सोने के प्रति प्रेम जग जाहिर है, लेकिन अब वे चमकते हीरे खरीदना भी पसंद करती हैं। यह कहना है भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) के 35वें संस्करण में म्यांमार से आए एक प्रदर्शक का। अपने बेशकीमती माणिक और नीलम के लिए विख्यात म्यांमार भारत के सबसे बड़े व्यापार मेले में भाग ले रहे देशों में से एक है।
‘डी क्यू म्यांमार ज्वेल्स’ के साझेदार नील ने बताया, “हम पिछले 15 वर्षो से यहां आ रहे हैं। हर साल हम नया कलेक्शन पेश करते हैं। इस बार हम ज्यादा हीरे लाए हैं, क्योंकि सोने के खरीदार भी हीरे खरीद रहे हैं।” उनके हीरे के आभूषणों की रेंज 15,000 रुपये से 15 लाख रुपये के बीच है। नील ने कहा, “मध्य वर्ग के लोगों सहित भारतीय अब हीरे पसंद कर रहे हैं। हम भारतीय बाजारों से 25 प्रतिशत कम कीमत पर हीरे दे रहे हैं, इसलिए यह उनके बजट से बाहर नहीं होगा।” माना जाता है कि भारत में हीरे की खपत बढ़ गई है।
हीरा खनन कंपनी डी बीयर्स द्वारा कराए गए ‘कंज्यूमर डायमंड पर्चेजिंग सर्वे’ के मुताबिक, भारत के मध्य वर्ग के बीच हीरे की खपत दर 2002 में दो प्रतिशत से 2014 में बढ़कर नौ प्रतिशत हो गई। म्यांमार से आई एक अन्य प्रदर्शक ‘म्यांमार जेम्स एंड ज्वेलरी एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन’ की सदस्य स्वीटी सुएजिन के मुताबिक, “हम पूरी तरह हीरे के सेट नहीं लाए हैं, लेकिन हम ऐसे पीस लाए हैं, जिनमें हीरों के साथ माणिक और नीलम जड़े हैं।”
सुजिएन ने कहा, “भारतीयों को आभूषण पसंद हैं। इसलिए हम वही बेचने आएं हैं, जो उन्हें पसंद है।” व्यापार मेले का समापन 27 नवम्बर को होगा।
प्रादेशिक
एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन
मुंबई। एस्सार ग्रुप के सह-संस्थापक शशि रुइया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। रुइया के पार्थिव शरीर को प्रार्थना और श्रद्धांजलि के लिए वालकेश्वर के बाणगंगा में रखा जाएगा। अंतिम संस्कार यात्रा रुइया हाउस से शाम 4 बजे हिंदू वर्ली श्मशान के लिए निकलेगी।
शशि रुइया ने अपने भाई रवि रुइया के साथ मिलकर एस्सार की स्थापना की थी। वह करीब एक महीने पहले अमेरिका से इलाज करा लौटे थे। मंगलवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक उनका पार्थिव शरीर रुइया हाउस में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। शाम चार बजे रुइया हाउस से शवयात्रा हिंदू वर्ली श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।
उद्योगपति शशि रुइया ने अपने पिता नंद किशोर रुइया के मार्गदर्शन में 1965 में अपने व्यावसायिक दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपने भाई रवि के साथ मिलकर 1969 में चेन्नई बंदरगाह पर एक बाहरी ब्रेकवाटर का निर्माण कर एस्सार की नींव रखी। इसके बाद एस्सार ग्रुप ने इस्पात, तेल रिफाइनरी, अन्वेषण और उत्पादन, दूरसंचार, बिजली और निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार किया।
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