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मोदी सरकार ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत किया : राजदूत बेवन

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने भारत और ब्रिटेन के संबंधों को मजबूत बनाने में मदद की है, दोनों देशों के बीच निवेश के अवसरों का दायरा बढ़ाया है। यह बात भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स डेविड बेवन ने कही है।

बेवन ने बातचीत में कहा, “ब्रिटेन और भारत के बीच हमेशा से बहुत अच्छे व्यापारिक संबंध रहे हैं और मौजूदा परिदृश्य में वर्तमान सरकार के प्रयासों ने हमारे रिश्तों और निवेश के अवसरों को और मजबूत किया है। यह चीज दोनों देशों के लिए फायदे का सौदा साबित होने वाली है।” राजदूत ने कहा कि खर्च और यात्राओं के लिहाज से 2014 एक रिकॉर्ड तोड़ने वाला साल था। इस अवधि के दौरान ब्रिटेन में 3,90,000 भारतीय आगंतुकों ने 44.4 करोड़ पाउंड खर्च किए।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत आगंतुकों की संख्या के लिहाज से ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन का एक संगठन) में ब्रिटेन का शीर्ष साझेदार है। बेवन ने कहा कि भारत में ब्रिटेन की एक महत्वाकांक्षी एवं अनुकूल छवि है, जिसका वह आनंद उठाता है। उन्होंने कहा, “युनाइटेड नेशन्स वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन(यूएनडब्ल्यूटीओ) ने अनुमान जताया है कि वर्ष 2020 तक भारत पांच करोड़ पर्यटक पहुंचेंगे, जो मजबूत विकास का संकेत दे रहा है।”

दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत बनाने में सिर्फ पर्यटन ने ही मदद नहीं की है। इसमें फिल्मों और टेलीविजन विषय सामग्री के आदान-प्रदान ने भी एक अहम भूमिका निभाई है। भारत में 20 नवंबर को रिलीज हुई जेम्स बान्ड की ‘स्पेक्टर’ फिल्म इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने ‘स्पेक्टर’ की रिलीज से पूर्व भारत में यूके ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट, ब्रिटिश काउंसिल और सोनी पिक्चर्स इंटरटेनमेंट के साथ मिलकर ‘बान्ड इज ग्रेट’ अभियान भी शुरू किया।

बेवन का मानना है कि बान्ड फ्रेंचाइजी की अगली फिल्में भारत में भी फिल्माई जा सकती हैं। उन्होंने कहा, “हमने बीते समय में भारत में ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ और ‘द एग्जोटिक मैरीगोल्ड होटल’ जैसी कुछ अच्छी फिल्मों की शूटिंग होती देखी है और हमें यकीन है कि यह चीज अन्य प्रोडक्शन हाउस को यहां आने के लिए प्रेरित करेगी।”

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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