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यहां की लडकियां शादी से ज्यादा कमाई को देती है तवज्जो, जानें क्यों

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वॉशिंगटन। शादी को जीवन का अभिन्‍न अंग माना जाता है, लेकिन अमेरिका में शादी करने का चलन कम होता जा रहा है।

अमेरिका में शादी को अब सुख–सुविधाओं और विशेषाधिकार से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में अमेरिका में लड़कियां शादी के लिए लड़के की कमाई को ज्यादा महत्व दे रही हैं।

मौजूदा समय में 26% गरीब अडल्ट्स, 39% वर्किंग क्लास अडल्ट्स और 56% मिडल ऐंड अपर-क्लास अडल्ट्स 18 से 55 साल उम्र के शादीशुदा हैं। अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट और ऑपरट्यूनिटी अमेरिका, इन दो थिंक टैंक द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च में यह जानकारी सामने आई है।

बता दें कि 1990 में, आधे से ज्यादा अडल्ट शादीशुदा थे। इनमें 51% गरीब अडल्ट्स, 57% वर्किंग क्लास अडल्ट्स और 65% मिडल ऐंड अपर-क्लास अडल्ट्स शामिल थे।

यह जानना दिलचस्प है कि शादी न करने का सबसे बड़ा कारण क्या है? वास्तव में बेरोजगार पुरुष से कोई लड़की शादी नहीं करना चाहती।

जानी मानी समाजशास्त्री शेरॉन सेसलर ने कहा, ‘महिलाएं अब उस व्यक्ति के साथ रिस्क नहीं लेना चाहती हैं जो उन्हें कुछ भी उपलब्ध करा पाने में सक्षम नहीं हो।’ विवाह कम हो रहे हैं लेकिन प्रसव की संख्या कम नहीं हुई। इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादा बच्चे अब माता-पिता के बगैर परिवार में रह रहे हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपॉर्ट के मुताबिक, इंस्टीट्यूट फॉर फैमिली स्टडीज के ब्रैडफोर्ड विलकॉक्स और वेंडी वांग द्वारा सामने रखी गई रिसर्च ब्रीफ के अनुसार, गरीब और वर्किंग क्लास होम्स में आधे से ज्यादा किशोर अपने बायलॉजिकल माता-पिता के साथ रहते हैं,

जबकि मिडल ऐंड अपर क्लास होम्स में यह तादाद 77% है। हालांकि समाजशास्त्रियों का कहना है अब वित्तीय निर्भरता एक बड़े कारक के तौर पर उभर रही है। शादी को उम्र के साथ-साथ कई कसौटियों पर कसा जाता है।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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