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बिजनेस

रतन टाटा : निवेश की दुनिया में दमदार कदम!

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नई दिल्ली | देश और टाटा समूह के रत्न, रतन टाटा सेवानिवृत्त होने के बाद निवेश की दुनिया में अधिक सक्रिय हो गए हैं। कारोबार की दुनिया में अपने नाम का सिक्का चलाने वाले टाटा ने पिछले 10 महीनों में नौ कंपनियों में निवेश किया है। खास बात यह कि रतन टाटा ने इन कंपनियों में अपनी व्यक्तिगत संपत्तियों से निवेश किया है। पचास सालों तक टाटा ब्रांड की बागडोर संभाल चुके रतन टाटा ने हाल ही में चीन की बड़ी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ‘शियाओमी’ में निवेश कर सबको चौंका दिया, क्योंकि किसी भारतीय द्वारा स्मार्टफोन कंपनी में किया गया यह पहला निवेश है।

वीनस कैपिटल के उपाध्यक्ष के.के. मित्तल ने बताया, “विश्वभर में ई-वाणिज्य कंपनियां बहुत तेजी से अपने पैर पसार रही हैं, क्योंकि भविष्य में इन कंपनियों में अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें रतन टाटा ने भांप लिया है।” मित्तल ने कहा, “रतन टाटा को कारोबार में एक्सपेरिमेंट के लिए भी जाना जाता है। वह नए कारोबारों में हाथ आजमा रहे हैं। मुझे लगता है कि इस समय उनका पूरा ध्यान नए उद्यमों को बढ़ावा देने पर है, जो भविष्य में काफी कारगर होने वाला है।” टाटा समूह के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने समूह से सेवानिवृत्त होने के बाद सर्वप्रथम बॉस्टन की विंड एनर्जी कंपनी में अपना पहला निवेश किया था। इसके बाद उन्होंने ‘स्नैपडील’ में निवेश कर भारतीय ई-वाणिज्य क्षेत्र में प्रवेश किया। हालांकि इस निवेश राशि की जानकारी का खुलासा नहीं किया गया, लेकिन अनुमान है कि उन्होंने 31 से 34 लाख डॉलर के निवेश के साथ 0.17 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है।

स्नैपडील में निवेश करने के बाद रतन टाटा का ई-वाणिज्यिक कंपनियों पर भरोसा बढ़ा और उन्होंने आभूषणों की ऑनलाइन विक्रेता कंपनी ‘ब्लूस्टोन’ में निवेश किया। ब्लूस्टोन में टाटा का यह निवेश कई उद्योगपतियों सहित समूचे उद्योग जगत के लिए चौंकाने वाला रहा, क्योंकि टाटा समूह का अपना स्वयं का आभूषण ब्रांड ‘तनिष्क’ है। रतन टाटा ने पिछले साल नवंबर में फर्नीचर कंपनी ‘अर्बन लैडर’ में भी निवेश किया था। फर्नीचर कारोबार में निवेश करने के फैसले पर विश्लेषकों का मानना है कि निवेश के लिहाज से यह एक आकर्षक क्षेत्र है, क्योंकि इसमें मुनाफा (मार्जिन) काफी ज्यादा होता है। इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य कंपनी ‘स्वस्थ इंडिया’ में दो करोड़ रुपये का निवेश किया और ‘कार देखो डॉट कॉम’ में भी निवेश किया। रतन टाटा ने मोबाइल भुगतान सेवा कंपनी ‘पेटीएम’ में भी अनिर्दिष्ट राशि का निवेश कर हिस्सेदारी खरीदी है। रतन टाटा द्वारा पेटीएम में हिस्सेदारी खरीदने के बाद चीन की सबसे बड़ी ई-वाणिज्य कंपनी अलीबाबा ने पेटीएम में 500 अरब डॉलर का निवेश किया।

रतन टाटा काफी योजनाबद्ध तरीके से लगभग हर क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने मार्च महीने में सोशल इंपेक्ट कंपनी ‘ग्रामीण कैपिटल इंडिया’ में भी अल्पमत हिस्सेदारी खरीदी है। लेकिन हाल ही में चीन की स्मार्टफोन कंपनी ‘शियाओमी’ में रतन टाटा का निवेश बिल्कुल अप्रत्याशित रहा। क्योंकि आमतौर पर हमारे देश में ऐसी धारणा है कि भारतीय अरबपति चीनी कंपनियों में निवेश करने से कतराते हैं। रतन टाटा द्वारा ई-वाणिज्यिक कंपनियों में लगातार निवेश पर ‘कपूरशर्मा डॉट कॉम’ के निवेश सलाहकार सलिल शर्मा ने बताया, “भविष्य में ई-वाणिज्य कंपनियों का भविष्य उज्जवल है। इनकी आमदनी बढ़ने की उम्मीद है। इन कंपनियों ने अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपनी आदमनी चार से पांचगुना बढ़ा ली है और भविष्य में भी ये इसी रफ्तार से विकास करेंगी।” शर्मा ने कहा, “रतन टाटा ने पूरे योजनाबद्ध तरीके से चीन की स्मार्टफोन कंपनी शियोमी में निवेश किया है, क्योंकि इस समय शियोमी चीन में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में तेजी से अपना विस्तार कर रहा है। इसके नए स्मार्टफोन हाथोहाथ बिक रहे हैं। रतन टाटा को इससे बहुत लाभ होने वाला है।”

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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