प्रादेशिक
राम जन्मभूमि विवाद पर टली सुनवाई, जानिए क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के जज
सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले पर सुनवाई हुई। इस मामले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी थी लेकिन अनुवाद का काम पूरा नहीं होने की वजह से आज की सुनवाई टल गई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।
कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेज जमा करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है। बता दें कि इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले मुख्य याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी जाएंगी। बाद में अन्य याचिकाकर्ताओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा हैं।
पिछली सुनवाई में चेइफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफतौर पर कह दिया था कि इस मामले की सुनवाई नहीं टाली जाएगी। वहीँ शीर्ष न्यायालय की विशेष पीठ ने भी सुन्नी वक्फ बोर्ड की उस दलील को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि, अगले आम चुनावों के बाद हो इन याचिकाओं पर सुनवाई हो।
उधर, मुस्लिम पक्षकार की ओर से 5 दिसंबर को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनावाई के लिए इतनी जल्दी क्यों है? हालांकि विशेष पीठ ने साफतौर पर ये स्पष्ट कर दिया था कि वह 8 फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी। और अब इस मामले की सुनवाई में देरी नहीं की जाएगी। सिब्बल ने कहा था कि ये कोई साधारण जमीन का मामला नहीं है। बल्कि इस मामले का राजनीति के भविष्य पर भी असर पड़ेगा, ऐसे में 2019 के आम चुनाव तक इसकी सुनवाई को टाल देना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने उनकी इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
3 जजों की स्पेशल पीठ करेगी सुनवाई –
बता दें कि, 21 जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने मामले को उठाया था और अयोध्या केस की जल्द सुनवाई किए जाने की अपील की थी। तब चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि हम जल्दी सुनवाई के मुद्दे पर फैसला लेंगे। जिसके बाद इस मामले में 7 अगस्त को स्पेशल बेंच का गठन किया गया। बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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