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राहुल और जिग्नेश के बीच बन गई बात, बीजेपी के खिलाफ शंखनाद

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नवसारी (गुजरात)। गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के नेता अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस में शामिल होने के बाद, गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने यहां शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और कहा कि ‘घमंडी’ भाजपा के खिलाफ यहां कम से कम यह बातचीत इच्छा तो है। मेवानी ने स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह और सभी दलित संगठन व कार्यकर्ता आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने की पुरजोर कोशिश करेंगे।

दक्षिण गुजरात के नवसारी शहर के एक फॉर्महाउस में राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद उन्होंने कहा, “ढेड़ वर्ष पहले उना में घटी घटना या उससे पहले से भाजपा के घमंडी रवैये से दलित संगठनों और कार्यकर्ताओं के बीच काफी गुस्सा है।”

मेवानी ने कहा, “हमारी मांगों के बारे में तो भूल जाइए, उन्होंने हमसे बातचीत करने की जरूरत भी नहीं समझी।” मेवानी ने राहुल के साथ उसी बस से मीडिया को संबोधित किया, जिससे राहुल गांधी क्षेत्र में अपने अभियान के दौरान राज्य की यात्राएं कर रहे हैं।

दलितों के भूमि अधिकारों से संबंधित मामलों की लड़ाई लड़ रहे वकील मेवानी ने कहा, “हमने न्याय के लिए 17 मांगें रखी हैं और राहुलजी कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में इनमें से अधिकतर को लागू करने के लिए सहमत हो गए हैं।”

उन्होंने कांग्रेस नेता के साथ हुई वार्ता पर खुशी जाहिर की और कहा, “हमारी लगभग 90 प्रतिशत मांगों पर वार्ता हुई। यह हमारी कोई मांग नहीं है, बल्कि हमारा संवैधानिक अधिकार है, जिसे भाजपा ने नकारा है।”

दलित नेता ने कहा कि राहुल के साथ और भी बैठक होगी और फिलहाल वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं। राहुल ने कहा, “समाज का ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जो गुजरात में खुश हो। चाहे वह जिग्नेश हों, हार्दिक हों या अल्पेश हों। सभी दबे हुए आक्रोश और निराशा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए राहुल ने कहा, “कांग्रेस की सरकार ही लोगों के मन की बात सुनेगी और जनता पर हमारे मन की बात नहीं थोपेगी।”

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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