बिजनेस
रिटेल में क्रांति लाएगी क्रिप्टोकरंसी
नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)| बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी ने सरकारी बैंकों के दखल के बिना विकेंद्रीाकृत लेजर टेक्नोलॉजी से बाजार पर कब्जा कर लिया है।
क्रिप्टोकरंसी एक डिजिटल करंसी है, जो सुरक्षित लेन-देन के लिए क्रिप्टोग्राफिक इन्सक्रिप्शन का प्रयोग करती है। नए युग की यह करंसी काफी सुरक्षित है क्योंकि इसके लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक लेजर में रेकॉर्ड किए जाते हैं। इनकी प्रोग्रामिंग की जा सकती है। सबसे सामान्य तरीके की क्रिप्टोकरंसी का नाम बिटकॉइन है, पर क्रिप्टोकरंसी के अन्य प्रकार जैसे इथिरियम और आरटोकेन भी बाजार में उपलब्ध हैं।
ट्रांसजेक्शन के केंद्रीयकृत डेटाबेस का लेखा-जोखा रखे बिना मार्केट में क्रिप्टोकरंसी का ट्रैक रेकॉर्ड रखने का एक प्रभावी तरीका ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी है। इसका विकास बिटकॉइन के अकाउंट का लेखा-जोखा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ब्लॉकचेन का आधार एक पूर्ण रूप से वितरित लेजर टेक्नॉलजी है, जिससे केंद्रीकृत रेकॉर्ड रखे बिना हर लेन-देन का प्रमाणीकरण किया जा सकता है। इसमें लेन-देन के आंकड़े ब्लॉक्स में सुरक्षित रखे जाते हैं, जिससे ठगी या धोखाधड़ी की कोई आशंका नहीं रहती।
क्रिप्टोकरंसी का प्रयोग लेन-देन को गुप्त रखने के लिए किया जाता है, पर इसे इस्तेमाल करने के लिए कारोबारी के पास इस कॉन्सेप्ट की अच्छी समझ होनी चाहिए। उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि इसमें निवेश कैसे किया जा सकता है। दरअसल ब्लॉकचेन एक सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है, जिसमें किसी भी सूचना को डेटाबेस में स्टोर किया जाता है। इसमें केवल क्रिप्टोग्राफिक इन्क्रिप्शन की मदद से ही कोई बदलाव किया जा सकता है या किसी जानकारी को डिलीट किया जा सकता है। ब्लॉकचेन की ओर से लागू की गई लेजर टेक्नॉलजी के वितरण कर्मशल मार्केट में लेन-देन का लेखा-जोखा करने का सबसे अच्छा तरीका बन गया है।
ब्लॉकचेन एक विस्तृत शीट की तरह है, जिसे रोजाना अपडेट करने की सुविधा कारोबारियों को मिलती है। सभी सूचना देने वाले ब्लॉक्स एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं, जिससे कॉन्टेंट को आसानी से प्रमाणित किया जा सकता है। ब्लॉकचेन 30 साल से ज्यादा समय से अस्तित्व में हैं। इससे आप अपने हर ट्रांसजेक्शन को 10 मिनट में चेक कर सकते हैं। ब्लॉकचेन में डेटा होता है, जो नेटवर्क में पूरी तरह गुंथा रहता है। दिलचस्प यह है कि बिटकॉइन मार्केट में इकलौती क्रिप्टोकरंसी नहीं है क्रिप्टोकरंसी के अन्य कई प्रकार, इथिरियम, आरटोकेन और एनईओ हैं।
इथिरियम
इथिरियम एक ओपन सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म है, जिसकी टेक्नोलॉजी का आधार ब्लॉकचेन टेक्नोलज़ी है। बिटकॉइन और इरिथियम ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, लेकिन इसके मकसद और क्षमताओं में फर्क है। जो डिवेलपर्स तकनीकी रूप से प्रशिक्षित है और नए-नए ऑपरेशन डिवेलप करना पसंद करते हैं, उनके लिए इथीरियम बेहतरीन डिजिटल करेंसी है। इथिरियम के लिए डिवेलपर्स कोई भी प्लेटफॉर्म विकसित कर सकते हैं। इथिरियम वर्चुअल मशीन एक नई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है, जो ब्लॉकचेन एप्लिकेशन को विकसित करने के प्लेटफॉर्म की प्रक्रिया को आसान बनाती है। इथिरियम के डिजाइन किए गए एप डिवेलपर्स कोड पर डिजाइन किए जाते हैं। इसे किसी व्यक्ति या संस्था की ओर से नियंत्रित नहीं किया जाता। इथिरियम पर आधारित नए एप्स में वेफंड, यूपोर्ट, ब्लॉकऐप्स, प्रूवनेंस और ऑगर शामिल है।
(लेखिका आरपे की संस्थापक सीईओ हैं।)
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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