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बिजनेस

लिस्टिंग प्रक्रिया सरल करने का मिलेगा फायदा

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नई दिल्ली, प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियों,शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर,भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड,अधिकाधिक स्टार्टअप कंपनियां

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नई दिल्ली | प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियों के लिए शेयर बाजार में सूचीबद्ध होकर पूंजी जुटाने की प्रक्रिया सरल करने के बाजार नियामक के फैसले के बारे में जहां अधिकतर उद्यमी मानते हैं कि इसका फायदा मिलेगा, वहीं कई और मानते हैं कि पूंजी जुटाने की पुरानी प्रक्रिया बेहतर थी। रीग्लोब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक मंदीप मनोचा ने कहा, “छोटी कंपनियों के लिए फंडिंग कंपनी की नजर में आना कठिन होता है। लेकिन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए नियम से छोटे उद्यमियों के लिए अवसरों के द्वार खुलेंगे।” पहले स्टार्टअप कंपनी एंजल निवेशक या वेंचर कैपिटलिस्ट से पूंजी जुटा सकती थी, लेकिन अब सेबी के नए नियम के बाद वह आम लोगों से भी पूंजी जुटा सकती है। सेबी ने 23 जून को जारी एक बयान में कहा, “बोर्ड ने प्राथमिक बाजार में मौजूद नियमों की समीक्षा की और बाजार के प्रतिभागियों के उन सुझावों पर गौर किया, जिसमें बड़ी संख्या में मौजूद स्टार्टअप कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को अनुकूल बनाने की बात कही गई थी।”

ई-कॉमर्स कोलिशन ऑफ इंडिया और कर्मा रिसाइक्लिंग के सह-संस्थापक आमिर जरीवाला ने आईएएनएस से कहा, “स्टार्टअप उद्योग के आकार के लिहाज से दुनिया के पांचवें सबसे बड़े देश भारत में सेबी की यह घोषणा उद्यमियों और घरेलू निवेशकों दोनों के लिए सकारात्मक है।” मोबिक्वि क के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी बिपिन प्रीत सिंह ने आईएएनएस से कहा, “निजी बाजार में पूंजी जुटाना अधिक आसान था। प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियों को खुद को साबित करने में समय लगता है और उनका कारोबारी मॉडल बदलता रहता है। इसलिए एंजल निवेशकों और वेंचर कैपिटलिस्ट से पूंजी जुटाना आसान था। यदि कोई प्रथम सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाता है, तो आम निवेशकों की उम्मीद काफी अधिक रहती है।”

लर्नसोशल के संस्थापक राजू वनापला ने आईएएनएस से कहा, “सेबी के इस कदम से निवेशकों और उद्यमियों दोनों के लिए निवेश से बाहर निकलने का एक रास्ता मिलेगा।” नियमों की सख्ती के कारण अबतक अधिकतर स्टार्टअप कंपनियां विदेशी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने का रास्ता अपनाती रही हैं। अब सेबी के नए फैसले से भारतीय बाजार में निवेशक रुचि लेंगे और अधिकाधिक स्टार्टअप कंपनियां देश में ही बाजार में खुद का सूचीबद्ध कर पाएंगी।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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