बिजनेस
लेनोवो ने नया ‘टैब 4’ सीरीज रेंज उतारा
बेंगलुरू, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| अपने टैबलेट पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए लेनोवो ने सोमवार को ‘टैब 4’ सीरीज के तहत भारतीय बाजार में चार नए डिवाइस उतारे।
‘टैब 4 8’ (12,990 रुपये), ‘टैब 4 8’ (16,990 रुपये) ‘टैब 4 10 प्लस’ – 3 जीबी वेरिएंट (24,990 रुपये) और ‘टैब 4 10 प्लस’- 4 जीबी वेरिएंट (29,990 रुपये) फ्लिपकार्ट पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।
यह डिवाइस फिंगरप्रिंट क्विक लॉग इन फीचर युक्त है जो मल्टीपल यूजर्स के लिए डिवाइस को सुरक्षित रखता है।
लेनोवो इंडिया के निदेशक (विपणन) भास्कार चौधरी ने एक बयान में कहा, टैब 4 को मल्टीपल यूजर को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है, जो भारतीय परिवारों के लिए प्रासंगिक है।
बयान में कहा गया कि 8 इंच का ‘टैब 4 8’ के साथ 2 जीबी रैम और 16 जीबी इंटरनल स्टोरेज है, जबकि 10 इंच के ‘टैब 4 10 प्लस’ में 3 जीबी रैम और 16 जीबी रोम है। दोनों ही टैब में 1.4 गीगाहट्र्ज स्नैपड्रैगन क्वैड-कोर प्रोसेसर है।
‘टैब 4 8 प्लस’ और ‘टैब 4 10 प्लस’ में 2.0 गीगाहट्र्ज क्वालकॉम ऑक्टा-कोर प्रोसेसर के साथ 4 जीबी रैम और 64 जीबी इंटरनल स्टोरेज है।
इस डिवाइस का बैटरी बैक अप सामान्य इस्तेमाल करने पर 20 घंटे चलने का कंपनी ने दावा किया है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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