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शेयर बाजारों को बजट में एलटीसीजी कर की घोषणा से झटका (साप्ताहिक समीक्षा)

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मुंबई, 3 फरवरी (आईएएनएस)| बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि निवेशक 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में सरकार द्वारा दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर लगाए जाने से निराश हैं। इस दौरान सेंसेक्स 36,000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी 11,000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे बंद हुआ। बीते सप्ताह पांच कारोबारी सत्र में चार में शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 983.69 अंकों या 2.73 फीसदी की गिरावट के साथ 35,066.75 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 309.05 अंकों या 2.79 फीसदी की गिरावट के साथ 10,760.60 पर बंद हुआ। बीएसई के मिडकैप सूचकांक में 1266.49 अंकों या 7.1 फीसदी की गिरावट रही तथा स्मॉलकैप सूचकांक में 1494.65 अंकों या 7.73 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

सोमवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद निवेशकों में उत्साह का माहौल रहा और शेयर बाजार में तेजी रही, क्योंकि इसमें वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। इस दिन सेंसेक्स 232.81 अंकों या 0.65 फीसदी की वृद्धि के साथ 36,283.25 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 60.75 अंकों या 0.55 फीसदी की गिरावट के साथ 11,130.40 पर बंद हुआ।

मंगलवार को नकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण सेंसेक्स 249.52 अंकों या 0.69 फीसदी की गिरावट के साथ 36,033.73 पर बंद हुआ और निफ्टी 80.75 अंकों या 0.73 फीसदी की गिरावट के साथ 11,049.65 पर बंद हुआ।

बुधवार को बजट के पहले निवेशकों द्वारा सर्तकता बरतने के कारण सेंसेक्स 68.71 अंकों या 0.19 फीसदी की गिरावट के साथ 35,965.02 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 21.95 अंकों या 0.2 फीसदी की गिरावट के साथ 11,027.70 पर बंद हुआ।

गुरुवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट में शेयरों में निवेश करने पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर लगाने की घोषणा की। इसके कारण सेंसेक्स 58.36 अंकों या 0.16 फीसदी की गिरावट के साथ 35,906.66 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 10.80 अंकों या 0.10 फीसदी की गिरावट के साथ 11,016.90 पर बंद हुआ।

बजट में एलटीसीजी कर के प्रावधान से निवेशकों में छाई निराशा से शुक्रवार को शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 839.91 अंकों या 2.34 फीसदी की गिरावट के साथ 35,066.75 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 256.30 अंकों या 2.33 फीसदी की गिरावट के साथ 10,760.60 पर बंद हुआ। इस गिरावट में नकारात्मक वैश्विक संकेतों की भी प्रमुख भूमिका रही।

बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे – इंडसइंड बैंक (1.33 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.73 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (1.51 फीसदी) और एलएंडटी (0.1 फीसदी)।

सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे – एक्सिस बैंक (7.95 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (0.37 फीसदी), यस बैंक (3.71 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (1.09 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (6.56 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (5.19 फीसदी), टाटा स्टील (12.91 फीसदी), एनटीपीसी (3.84 फीसदी), मारुति सुजुकी इंडिया (2.98 फीसदी), टाटा मोटर्स (4.04 फीसदी) और बजाज ऑटो (1.83 फीसदी)।

सरकार ने बजट 2018-19 में शेयरों में निवेश से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर मिलने वाली छूट हटा दी है। अब एक साल बाद शेयर बेचने पर अगर एक लाख रुपये का मुनाफा होता है तो इस पर 10 फीसदी कर चुकाना होगा। अभी एक साल से कम समय में शेयर बेचने पर 15 फीसदी का अल्पकालिक पूंजी लाभ कर देना होता है। यह यथावत है। इस नए कर से सरकार को 36,000 करोड़ रुपये की आय होगी।

व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर पर दो फीसदी प्राथमिक शिक्षा सेस और एक फीसदी उच्च शिक्षा सेस की जगह चार फीसदी स्वास्थ्य और शिक्षा सेस लगाया गया है। इससे प्राप्त रकम का उपयोग गरीबी रेखा से नीचे तथा ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर किया जाएगा।

इसी प्रकार सभी सीमा शुल्क पर 10 फीसदी समाज कल्याण सरचार्ज लगाया गया है, जो आयातित सामानों पर शिक्षा सेस की जगह लाया गया है।

अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार का जोर अगले वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम आजीविका के मौके मुहैया कराना है, इसलिए आजीविका, कृषि और उससे संबंद्ध गतिविधियों तथा ग्रामीण इलाकों में अवसरंचना निर्माण पर ज्यादा खर्च किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 2018-19 में, ग्रामीण इलाकों में आजीविका और अवसरंचना सृजन पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा कुल 14.34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें 11.98 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय और गैर-बजटीय संसाधन शामिल हैं। इस व्यय से कृषि गतिविधियों और स्वरोजगार में रोजगार पैदा होने के अलावा 321 करोड़ मानव दिवस, 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें, 51 लाख नए ग्रामीण घर, 1.88 करोड़ शौचालय बनाए जाएंगे, और 1.75 नए घरेलू बिजली कनेक्शन मुहैया कराए जाएंगे।

श्रमिक कल्याण के तहत, नए कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि में सरकारी योगदान सभी सेक्टरों के लिए अगले तीन सालों तक 8.33 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। रोजगार और विकास को विकास को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना पर अनुमानित बजटीय और अतिरिक्त बजटीय खर्च पिछले साल के 4.94 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,97 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

व्यापक आर्थिक मोर्चे पर, भारत के विनिर्माण क्षेत्र में कारोबारी परिस्थितियों में जनवरी में सुधार दर्ज किया गया है, लेकिन इसकी वृद्धि दर में गिरावट आई है। प्रमुख आर्थिक आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली। इसके परिणामस्वरूप, निक्केई इंडिया मैन्युफैक्च रिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) में साल 2017 के दिसंबर में 54.7 फीसदी से गिरकर 52.4 फीसदी हो गया।

इस सूचकांक में 50 से अधिक का अंक तेजी का और 50 से कम अंक गिरावट का सूचक है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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