मुख्य समाचार
सपनों और उम्मीदों में हमेशा अमर रहेंगे डॉ. कलाम
मिसाइलमैन और लोगों के राष्ट्रपति के रूप में मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आज हमारे बीच नहीं हैं। अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी डॉ. कलाम का भौतिक शरीर भले ही हमें अलविदा कह गया हो लेकिन अपनी शिक्षाओं, उम्मीदों के सहारे वह हमेशा अमर रहेंगे। जब-जब भारत के विकास की चर्चा होगी, डॉ. कलाम उसके प्रणेता के रूप में याद किए जाएंगे। कलाम साहब की उपलब्धियों की चर्चा करना सूरज को दिया दिखाने के बराबर है। उन्होंने देश को पृथ्वी, अग्नि, नाग मिसाइलों के साथ-साथ परमाणु सुरक्षा कवच और अंतरिक्ष तकनीक दी। वह जीवनभर युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने में लगे रहे। वह हमेशा ऊंचा सोचने और उसे पाने का संकल्प दोहराते रहे। इसका अहम उदाहरण उनके नेतृत्व में 11 मई 1998 को हुआ परमाणु परीक्षण था। इस परीक्षण में डॉ. कलाम की खास भूमिका थी। पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद ही देश परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। डॉ. कलाम के इसरो के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर के पद पर रहते भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। उनके दिशा-निर्देशन में ही 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और देश अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना। डॉ. कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने भारतीय तकनीक से मिसाइल कार्यक्रम का विकास किया।
डॉ. कलाम की उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन उनका दिल हमेशा आम आदमी की जिंदगी की बेहतरी के लिए धड़कता रहा। जब वह राष्ट्रपति बने तो भी राष्ट्रपति भवन की गरिमा व प्रोटोकॉल उनके सरल और अतुलनीय व्यक्तित्व के आड़े नहीं आया। बताया जाता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद कपड़ों से भरा एक बैग लेकर उन्होंने राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया। फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बाकी सभी कमरे बंद करवा दिए और कहा कि मुझे तो एक कमरे में ही सोना है। पदमुक्त होने के बाद वह बस एक बैग लेकर ही राष्ट्रपति भवन से विदा हुए।
डॉ. कलाम के व्यक्तित्व का एक आकर्षक पहलू यह था कि बच्चों से मुलाकात के दौरान वह खुद बच्चे हो जाते। यही वजह है कि ताउम्र बच्चों से मिलने में उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया। लाखों बच्चों से मुलाकात की। वे बच्चों की जिज्ञासा और उत्सुकता को शांत करने की कोशिश करते। भले ही कोई बच्चा बार-बार एक ही सवाल पूछे, मगर वह कभी नाराज नहीं होते। डॉ. कलाम उन्हीं के बीच बैठकर सवालों के जवाब देते।
कलाम साहब ने हमेशा देश को विकसित बनाने का सपना देखा। इसके लिए वे देश के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की वकालत करते थे। वह कम्प्यूटर, प्रौद्योगिकी विकास जैसे क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने की बात करते थे। उनका मानना था कि गुणी वैज्ञानिकों, सक्षम शिक्षकों और शिल्पकारों व प्राकृतिक स्त्रोतों के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है। डॉ. कलाम का मानना था कि विकसित होने के बाद देश को और खुशहाली के रास्ते पर ले जाना होगा।
बच्चों से लेकर नौजवान तक उनमें उम्मीद की किरण देखते थे। गरीबी, बेरोजगारी और परेशानियों से जूझते देश को उन्होंने सपने देखने सिखाया। वे हमेशा कहते थे- कामयाब वही होते हैं, जो बड़े सपने देखते हैं। यकीनन जिसने उन्हें सुना, देखा या पढ़ा होगा वह जरूर बड़े सपने देखेगा और कामयाब भी होगा। विजन-2020 का वह सपना जिसकी बात डॉ. कलाम हमेशा किया करते थे, उसके सहारे आज देश तरक्की की नई परिभाषा लिखने के लिए तैयार है।
डॉ. कलाम अपने इन्हीं सपनों और उम्मीदों के सहारे अमर हो चुके हैं। अपनी सोच, शिक्षाओं और ज्ञान के माध्यम से वह हमेशा अमर रहेंगे। ऐसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को कोटि-कोटि नमन…
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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।
उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।
विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा
प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।
विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान
योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।
समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा
पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।
खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग
योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।
बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति
चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।
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