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समय आया क्लासरूम में बदलाव का

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नई दिल्ली,, 16 मई (आईएएनएस)| सदियों से बच्चे क्लासरूम में सीखते रहे हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी ने क्लासरूम को पूरी तरह से बदल डाला है। आधुनिक तकनीक के चलते आज हमारा पढ़ने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। पारंपरिक ब्लैक बोर्ड की जगह आज स्मार्टबोर्ड, टैबलेट और ई-बुक ने ले ली है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि पुराने जमाने के क्लासरूम आज पूरी तरह से बदल चुके हैं। इस बदलाव के मद्देनजर जरूरी है कि हम क्लासरूम में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल जारी रखें। नई टेक्नो लॉजी जैसे वर्चुअल रिएल्टी, ऑग्मेन्टेड रिएल्टी और मिक्स्ड

रिएल्टी के चलते क्लासरूम लर्निग के लिए इन्टरैक्टिव स्पेस बन गया है।

क्लासरूम में इमर्सिव लर्निग तकनीकों का इस्तेमाल किए जाने के कई कारण हैं। वर्चुअल रिएल्टी छात्रों के सीखने की तरीके में बदलाव ला सकती है।

एक ऐसे परिवेश की कल्पना करें, जहां छात्र कक्षा में पोटेंशियल और काइनेटिक एनर्जी की अवधारण समझ रहे हैं, इसके लिए रोलर कोस्टर राइड का उदाहरण लिया गया है, ऐसे मामलों में ताज महल के वर्चुअल एजुकेशन फील्ड टिंप का उदाहरण भी लिया जा सकता है। इमर्सिव टेक्नोलॉजी को क्लासरूम में शामिल करने से लर्निग न केवल रोचक बन जाती है, बल्कि छात्र मुश्किल अवधारणाओं को भी आसानी से समझ पाते हैं। वर्चुअल रिएल्टी लर्निग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करती है और छात्रों को व्यावहारिक लर्निग का मौका प्रदान करती है, जो वास्तव में क्लासरूम स्पेस के दायरे से बाहर सीखने का सर्वश्रेष्ठ तरीका होता है।

वहीं दूसरी ओर, वर्चुअल रिएल्टी के द्वारा छात्र चीजों की कल्पना उसी तरह करते हैं, जैसी उम्मीद उनके अध्यापकों को होती है। इस तरह छात्रों में रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है। वे वास्तविक परिस्थितियों की कल्पना कर उसे सीखने की कोशिश करते हैं।

टेक्नोलॉजी आज भी बदल रही है। ऐसे में क्लासरूम में इमर्सिव तकनीक को लागू करने से पहले कई जरूरी चीजों पर ध्यान देना जरूरी है। वर्चुअल रिएल्टी छात्रों को बाहरी दुनिया से जोड़ रही है। ऐसे में इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि छात्र इमर्सिव वातावरण में क्या सीख रहे हैं।

छात्रों को उत्कृष्ट अनुभव प्रदान करने के लिए गुणवत्तापूर्ण वर्चुअल रिएल्टी कन्टेन्ट बनाया जना चाहिए। अच्छा कन्टेन्ट बनाना ही पर्याप्त नहीं है, इसे कक्षा में लागू करना भी एक बड़़ी चुनौती होती है। पोर्टेबल वीआर लैब्स बड़े ही रोचक तरीके से वीआर टेक्नोलॉजी को क्लासरूम में शामिल करती है, इससे जहां एक ओर स्कूल में बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों की लागत कम हो जाती है, वहीं दूसरी ओर छात्रों के लिए अवधरणा को सीखना बेहद व्यावहारिक हो जाता है। कुछ समय पहले तक हेडसेट की कीमत और डिजाइन एक बड़ी चुनौती थी जो स्कूलों में वीआर को अपनाने के आड़े आ रही थी। लेकिन अब यह लागत इतनी कम हो गई है कि इसका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकता है। साथ ही, यह उम्मीद करना अव्यावहारिक होगा कि छात्र भारी, बड़े आकार के वीआर हेडसेट पहनकर पीसी के साथ कनेक्ट हों तथा अपने वीआर अध्यायों का आनंद उठा सकें। हमें ऑल-इन-वन मोबाइल वीआर हेडसेट की आवश्यकता है जो उपरोक्त समस्या का समाधान कर सके और प्रैक्टिकल हैंडहेल्ड कन्ट्रोलर द्वारा लर्निग को इन्टरैक्टिव बनाया जा सके।

इसके अलावा, छात्रों, शिक्षकों, स्कूलों, अभिभावकों एवं अन्य सभी हितधारकों में वर्चुअल रिएल्टी के बारे में जागरूकता पैदा करना भी जरूरी है। उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि कैसे वर्चुअल रिएल्टी क्लासरूम में छात्रों के सीखने के तरीके में बदलाव ला सकती है। साथ ही इससे जुड़ी गलत अवधारणाओं को दूर करना भी जरूरी है, जैसे टेक्नोलॉजी अध्यापक की जगह ले सकती है, जो कि पूरी तरह से गलत है। वर्चुअल रिएल्टी एक सप्लीमेंटरी टूल है जो अध्ययन और अध्यापन की गुणवत्ता बढ़ाता है।

(लेखिका ‘विएटिव लैब्स’ की सीनियर एजुकेशन कन्सलटेंट हैं)

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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