बिजनेस
सरकार ने बिटकॉइन में निवेश के खतरों के प्रति सावधान किया
नई दिल्ली, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारत सरकार ने शुक्रवार को क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में निवेश के खतरों को लेकर सतर्क करते हुए कहा कि बिटकॉइन की कोई ‘वास्तविक कीमत’ नहीं होती है। सरकार ने इसकी तुलना पोंजी स्कीम से की, जिसमें भोले-भाले निवेशक धोखाधड़ी के शिकार होते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि आभासी मुद्राओं (वीसीज) को परिसंपत्तियों का कोई सहारा नहीं होता है, उनकी कीमतें पूर्णतया अनुमान पर आधारित होती हैं।
मंत्रालय ने निवेशकों को सतर्क करते हुए कहा, उपभोक्ताओं को ऐसी पोंजी योजनाओं में फंसने से बचने के लिए बहुत सतर्क रहने की जरूरत है।
पोंजी स्कीम निवेश का वह भ्रमजाल है, जिसमें निवेशकों को उनके द्वारा निवेश की गई रकम के लिए उच्च प्रतिफल मिलने का भरोसा दिलाया जाता है और यह प्रतिफल महज पुराने निवेशकों को नए निवेशकों के पैसों से प्रदान किया जाता है। ऐसे में पैसे के आगम से निर्गम ज्यादा होने पर निवेश की यह पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है। अमेरिका में इटली के एक प्रवासी के नाम पर इस स्कीम का नाम पोंजी स्कीम पड़ा।
वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि बिटकॉइन या अन्य आभासी मुद्राओं में निवेश बड़ा जोखिम है। आभासी मुद्राओं को डिजिटल रूप में संग्रह किया जाता है, जिससे इनके साथ कोई दुर्घटना हो सकती है, जैसे कोई इन्हें हैक कर सकता है या फिर पासवर्ड भूलने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा मालवेयर के हमले से भी खतरे पैदा हो सकते हैं। इस तरह बिटकॉइन या अन्य आभासी मुद्राओं में निवेश किया गया पूरा पैसा डूब सकता है।
वीसीज में लेन-देन कूट रूप में होता है। इसलिए इनका इस्तेमाल आतंकियों को धन मुहैया करवाने, तस्करी, नशीली दवाओं का कारोबार और अन्य धनशोधन जैसे अवैध व विनाशकारी गतिविधियों में भी किया जा सकता है।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि आभासी मुद्राएं कोई वैध मुद्राएं नहीं हैं और भारत में इसके लिए नियामक संबंधी अनुमति या परिरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
मंत्रालय ने कहा, वीसीज न तो मुद्रा है और न ही सिक्का। सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) की ओर से वीसीज को विनिमय का माध्यम नहीं माना गया है। साथ ही, सरकार या भारत में किसी अन्य नियामक ने किसी एजेंसी को वीसीज के लिए एक्सचेंज या अन्य प्रकार के मध्यस्थ के तौर पर कार्य करने का लाइसेंस नहीं दिया है।
सरकार की ओर से यह कहा गया कि आरबीआई ने बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खतरों को लेकर निवेशकों को पहले भी तीन बार -दिसंबर 2013, फरवरी 2017 और दिसंबर 2017 में- सावधान किया है।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसीज की मांग व कीमतों में तेजी से साइबर अपराधियों को निवेशकों को धोखाधड़ी का शिकार बनने का एक नया जरिया मिल गया है।
भारत में एक बिटकॉइन 10 लाख रुपये से ज्यादा पर बिका है और यहां लोग तकरीबन तीन हजार रुपये से लेकर लाखों में पैसे बिटकॉइन में निवेश कर रहे हैं।
बिटकॉइन में आई तेजी की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल न्यूयॉर्क में बिटकॉइन के मूल्य में 1,600 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस समय वहां बिटकॉइन 15,000 प्रति डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है।
उधर, क्रिप्टोकरेंसी के डीलर प्लूटो एक्सचेंज ने गुरुवार को भारत में आभासी मुद्राओं की लेन-देन के लिए पहला मोबाइल एप्लीकेशन शुरू करने की घोषणा की।
एक्सचेंज के संस्थापक व प्रबंधक भरत वर्मा ने कहा कि पहले से बाजार में मौजूद एप्स का इस्तेमाल बिटकॉइन में लेन-देन करने में चूक होने का खतरा रहता है, लेकिन प्लूटो के एप्स में महज मोबाइल नंबर के 10 डिजिट से ही लेन-देन संभव हो जाएगा।
बिजनेस
जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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