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सड़क हादसे में मृतक के भविष्य के आधार पर तय होगी मुआवजे की रकम

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सडक़ हादसे में मारे गए व्यक्ति के आश्रितों को मुआवजे का आदेश देते समय मृतक के भविष्य की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। अदालत ने ऐसे दावों में मुआवजे के निर्धारण के लिए नए मानक बनाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुआवजे की रकम सिर्फ दुर्घटना में मरने वाले की मौजूदा आमदनी के हिसाब से ही तय नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए ये भी देखा जाएगा कि अगर वो शख्स जिंदा रहता तो भविष्य में उसकी आमदनी क्या होती है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने 27 याचिकाओं की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि वैसे तो मौत का विकल्प पैसा नहीं हो सकता, लेकिन मुआवजे में एक समानता तो होनी ही चाहिए। पीठ ने कहा कि इन दोनों के बीच संतुलन होना जरूरी है। संविधान पीठ ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत पीडि़त परिवारों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि तय करने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि वह तार्किक और समानता के सिद्धांत के अनुरूप हो।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि फिक्स सैलिरी या फिर अपना कारोबार करने वाले किसी शख्स की सडक़ हादसे में मौत हो जाती है तो मुआवजे के आकलन में उसके भविष्य में बढऩे वाली आमदनी को भी ध्यान में रखा जाएगा। स्थायी नौकरी करने वालों को रिटायरमेंट की उम्र तक के भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर मुआवजे के आकलन में उसे तरजीह दी जाती रही है और अब सुप्रीम कोर्ट की नई व्यवस्था से फिक्स सैलरी और अपना रोजगार करने वालों को भी ये लाभ मिल सकेगा।

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ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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